Live: अयोध्या विवाद की सुनवाई खत्म,सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद मामला
राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद मामला

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई खत्म –

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद की सुनवाई खत्म हो गई है। सबसे आखिर में मुस्लिम पक्ष की ओर से दलीलें रखी गईं। अब सुप्रीम कोर्ट ने लिखित हलफनामा, मोल्डिंग ऑफ रिलीफ को लिखित में जमा करने के लिए तीन दिन का समय दिया है।

नक्शा फाड़ने की बात वायरल हो गई

मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि, ये वायरल हो गया है कि मैंने कोर्ट में नक्शा फाड़ा, लेकिन मैंने ये कोर्ट के आदेश पर किया। मैंने कहा था कि मैं इसे फेंकना चाहता हूं तब चीफ जस्टिस ने कहा कि तुम इसे फाड़ सकते हो। इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि हमने कहा था कि अगर आप फाड़ना चाहें तो फाड़ दें।

मुस्लिम पक्ष की दलीलें शुरू

मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन की बहस शुरू हुई, उन्हें बोलने के लिए डेढ़ घंटे का समय दिया गया है। राजीव धवन ने कहा कि, धर्मदास ने केवल ये साबित किया कि वो पुजारी है न कि गुरू, इसके अलावा  हिन्दू महासभा की तरफ से सरदार रविरंजन सिंह, दूसरी विकाश सिंह, तीसरा सतीजा और चौथा हरि शंकर जैन के सबूत दिए गए हैं।

राजीव धवन ने कहा कि, इसका मतलब है महासभा 4 हिस्सों में बंट गया है, क्या दूसरी महासभा इसको सपोर्ट करता है? इसके अलावा उन्होंने रंजीत कुमार को जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने पार्टी ना बनने का सवाल किया, लेकिन क्या हम किसी को पार्टी बनाएंगे?

पीएन मिश्रा ने रखी ये दलीलें

पीएन मिश्रा ने सुनवाई में ट्रैफन थेलर और निकोलो मनुची जैसे 16वीं सदी में आए विदेशी यात्रियों के वृतांत का ज़िक्र किया। जिसमें मन्दिर का तो ज़िक्र है पर मस्जिद का नहीं है, ब्रिटिश गजेटियर में भी राममन्दिर का ही ज़िक्र है। इस दौरान जस्टिस बोबड़े ने क्रोनोलॉजी बताने को कहा, तो जस्टिस चंद्रचूड़ ने लिमिटेशन का सवाल उठाया। पीएन मिश्रा ने कहा कि 1934 में हमारे पूजा के अधिकार पर पहला हमला हुआ।

सुब्रमण्यम स्वामी को सुनने से इनकार

संच के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी को सुनने से भी इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि हमने ये कल ही कह दिया था कि किसी और को नही सुनेंगे। हरि शंकर जैन ने कहा कि वह लिखित जवाब दाखिल करेंगे। कोर्ट ने कहा कि स्वामी ने पूजा के अधिकार वाली अपील इससे अलग है।

केवल तीन दलीलों को सुनेगी अदालत

लंच के बाद फिर से मामले की सुनवाई करने बैठी बेंच ने साफ किया कि केवल पीएन मिश्रा को सुना जाएगा। फिर मुस्लिम पक्ष और फिर मोल्डिंग इफी रिलीफ़ पर। हिन्दू महासभा की ओर से हरिशंकर जैन बहस कर रहे हैं। CJI ने कहा कि हम हरिशंकर जैन, पीएन मिश्रा और राजीव धवन को ही सुनेंगे।

बुद्धिस्ट सभा की दलील सुनने से इनकार

लंच के बाद सुप्रीम कोर्ट में बुद्धिस्ट सभा की ओर से वकील रणजीत थॉमस ने दलील देने की कोशिश की। कोर्ट ने सुनने से इनकार किया और कहा कि हमने आपको डीटैग कर दिया है। यानी जिन्होंने इस मामले में सिविल अपील दाखिल नहीं की है उनको किसी भी सूरत में नहीं सुना जाएगा।

निर्मोही अखाड़ा की बहस पूरी, अदालत में हुआ लंच

निर्मोही अखाड़ा की तरफ से सुशील जैन ने कहा कि हमारा दावा मंदिर की भूमि, स्थाई संपत्ति पर मालिकाना अधिकार को अधिकार है। मुस्लिम पक्षकारों के इस दावे में भी दम नहीं है कि 22/23 दिसंबर 1949 की रात बैरागी साधु जबरन इमारत में घुसकर देवता को रख गए थे। उन्होंने कहा कि ये मुमकिन ही नहीं कि मुसलमानों के रहते इतनी आसानी से वो घुस गए जबकि 23 दिसंबर को शुक्रवार था। इसी के साथ निर्मोही अखाड़ा की दलील पूरी हुई।

अब शिया वक्फ बोर्ड की ओर से दलील शुरू हुई। शिया बोर्ड की ओर से कहा गया कि हमारा विवाद शिया बनाम सुन्नी बोर्ड को लेकर है, इस पर सुन्नियों का दावा नहीं बनता है। शिया वक्फ बोर्ड की ओर से एमसी धींगड़ा ने कहा कि वहां पर शिया मस्जिद थी, 1966 में आए फैसले से हमें बेदखल किया गया था। 1946 में दो जजमेंट आए थे एक हमारे पक्ष में और दूसरा सुन्नी के पक्ष में, 20 साल बाद 1966 में कोर्ट ने हमारा दावा खारिज कर दिया।

इसी के साथ अदालत लंच के लिए उठ गई है। लंच के बाद 45 मिनट पीएन मिश्रा को और उसके बाद डेढ़ घंटा मुस्लिम पक्षकारों को दिया जाएगा।

निर्मोही अखाड़ा ने रामजन्मभूमि न्यास का विरोध किया

निर्मोही अखाड़ा की ओर से सुशील जैन ने कहा कि, उन्होंने 1961 का एक नक्शा दिखाया, जो गलत था। उन्होंने बिना किसी सबूत के सूट फाइल कर दिया। वहां की इमारत हमेशा से ही मंदिर थी। ऐसा कोई सबूत नहीं है कि मस्जिद बाबर ने बनाई थी। निर्मोही अखाड़ा ने रामजन्मभूमि न्यास की दलील का विरोध किया और कहा कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा कि बाबर ने मंदिर गिराया और मस्जिद बनाई। हमने हमेशा कहा है कि वो मंदिर ही था। हमने कभी मुस्लिमों को जमीन का हक ही नहीं दिया। इसपर जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि जो सूट दायर किया गया है वह टाइटल का है, इसमें एक्सेस की कोई बात नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट में हिंदू महासभा के वकील विकास ने कहा कि अदालत में डॉक्यूमेंट के आधार पर कब्जे की बात कही गई। जिस जमीन पर बहस हुई वहां पर जन्मस्थान है। उन्होंने इस दौरान अन्य मंदिरों का भी हवाला दिया। इसी के साथ हिंदू महासभा की बहस खत्म हुई। अब निर्मोही अखाड़ा की तरफ से सुशील जैन अपनी दलील रख रहे हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारा समय मत खराब करिए और आगे की बहस शुरू करें। निर्मोही अखाड़ा ने कहा कि मुस्लिम पक्ष अपना दावा स्थापित करने में फेल रहा है, साबित उन्हें करना है हमें नहीं।

वकीलों की तीखी बहस पर खफा हुए CJI

वकीलों की तीखी बहस के बीच चीफ जस्टिस खफा हुए। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सुनवाई के दौरान कहा कि हमारी तरफ से दोनों ओर से बहस पूरी हो चुकी है। हम सिर्फ इस इसलिए सुन रहे हैं कि कोई कुछ कहना चाहता है तो कह दे। हम अभी उठ कर जा भी सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई हिंदू महासभा की आखिरी दलील…

सुप्रीम कोर्ट में ऑल इंडिया हिन्दू महासभा की ओर से विकास सिंह ने एडिशनल डॉक्यूमेंट के तौर पर पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल की ओर से शोधपरक ग्रन्थ बेंच को दिया गया। इस पर मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने ज़ोरदार आपत्ति जताई।

राजीव धवन ने कहा कि इसे ऑन रिकॉर्ड ना लिया जाए, ये बिल्कुल नई चीज है। कोर्ट इसे वापस कर दें, इसपर अदालत की ओर से कहा गया कि ये किताब वो बाद में पढ़ेंगे। इसी के साथ किताब वापस दे दी गई है।

हिंदू महासभा की ओर से विकास सिंह ने अब बहस शुरू कर दी है। जब विकास सिंह ने किताब दी तो चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि क्या वह इसे रख सकके हैं? मैं इसे बाद में पढ़ूंगा।

राजीव धवन के विरोध पर हिंदू महासभा के वकील विकास सिंह ने कहा कि कोर्ट ने किसी नए कागजातों को लाने पर मनाही की है। लेकिन कोई पार्टी किसी तरह का सबूत या किताब दे सकती है।

निर्वाणी अखाड़ा की ओर से कहा गया है कि रामलला जन्मस्थान की सेवा का अधिकार उनका है। इसपर जस्टिस भूषण ने कहा कि लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा को सेवायायी माना है। इसपर जयदीप गुप्ता ने कहा कि वो दावा गलत है। इसी के साथ जयदीप गुप्ता की दलील खत्म हो गई।

निर्वाणी अखाड़ा की ओर से धर्मदास के वकील की दलील…

धर्मदास की ओर से वकील जयदीप गुप्ता ने कहा कि टाइटल पर हमारा विवाद नहीं है, हिंदुओं को जो रामलला का अधिकार मिलेगा उससे हम ही सेवायत होंगे। सेवायत का दावा निर्मोही अखाड़े का भी है, हमने सूट फाइल नहीं किया है हम तो डिफेंडेन्ट हैं।

धर्मदास की ओर से कहा गया कि अभी तो हम ही इकलौते सेवायत दावेदार हैं। जब वहां रिसीवर नियुक्त किए गए तब भी हमारा अखाड़ा ही सेवा, शोभायात्रा और उत्सव का आयोजन और देखरेख करता था, लेकिन बाद में हमें बाहर कर दिया।

गोपाल सिंह विशारद की ओर से बहस पूरी कर दी गई। उनके बाद निर्वाणी अखाड़ा और महंत धर्मदास की ओर से दलील रखी जा रही है। निर्वाणी अखाड़ा की ओर से जयदीप गुप्ता दलील रख रहे हैं।

गोपाल सिंह विशारद की दलील शुरू…

गोपाल सिंह विशारद की ओर से रंजीत कुमार ने कहा कि हिंदुओं की ओर से पूजा का अधिकार पहले मांगा गया था, लेकिन मुस्लिम रूल में हिंदुओं को पूजा के अधिकार मिलने में दिक्कत आई थी। हालांकि, जब ब्रिटिश रूल आया तो इस मामले में कुछ राहत मिली।

रामलला विराजमान के वकील से बोले CJI- आपका समय पूरा हुआ…

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन को कहा कि अब आपका समय पूरा हो गया है, बैठ जाइए। इसपर वैद्यनाथन ने कहा कि सर कुछ मिनट और।

इसी दौरान गोपाल सिंह विशारद के वकील रंजीत कुमार खड़े हुए तो CJI ने उन्हें कहा कि आपको सिर्फ 2 मिनट ही मिलेंगे। क्योंकि कल आपने दो ही मिनट मांगे थे। इसपर रंजीत कुमार ने कहा कि सर, वो तो कल के लिए दो मिनट थे। अब कैसे बहस पूरी होगी?

रामलला विराजमान की दलील पूरी…

रामलला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि जबतक जमीन पर हक ना हो तो मस्जिद नहीं बनाई सकती है। इसी के साथ ही रामलला विराजमान की दलीलों का समय खत्म हो गया है। अब गोपाल सिंह विशारद की ओर से रंजीत कुमार बहस कर रहे हैं। उन्हें सिर्फ दो मिनट का समय मिलेगा।

सुप्रीम कोर्ट में रामलला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि उन्होंने (मुस्लिम पक्ष) हमपर कब्जा करने की बात कही है, लेकिन हमने ऐसा नहीं किया। हम जो मांग रहे हैं वह बाबर के द्वारा जो अवैध निर्माण हुआ था उसकी जमीन मांग रहे हैं।

इसपर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि वक्फ बोर्ड के जमीन पर हक के दावा पर आप क्या कहेंगे? इसपर वैद्यनाथन ने कहा कि ये लोग मंदिर के दावे को खारिज कर रहे हैं लेकिन जब वहां पर पहले से ही मंदिर था तो ऐसा कैसे कह सकते हैं?

रामलला विराजमान की तरफ से सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि मुस्लिम पक्ष के पास ऐसे कोई सबूत नहीं हैं कि वो साबित कर सके कि जमीन पर उनका हक है। मुस्लिम पक्ष की तरफ से ये दावा किया गया कि वहां 22-23 दिसंबर तक नमाज हो रही थी, लेकिन 1934 तक शुक्रवार की नमाज होती थी।

1949 से नहीं पढ़ी गई नमाज़…

हिंदू पक्षकार सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि इस बात के प्रमाण हैं कि 16 दिसंबर 1949 के बाद विवादित स्थल पर कोई नमाज़ अदा नहीं की गई। 22/23 दिसंबर की रात से रामलला वहां विराजमान थे. 23 दिसंबर 1949 को शुक्रवार था, लेकिन मूर्ति होने की वजह से नहां पर नमाज़ नहीं हो सकी थी।

हिंदू पक्षकारों ने शुरू की अपनी दलीलें…

सुप्रीम कोर्ट में हिंदू पक्षकार के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि 1885 तक हिंदू-मुस्लिम उस जमीन पर पूजा का दावा करते थे, लेकिन बाद में ब्रिटिश सरकार ने वहां पर रेलिंग करवा दी। अब मुस्लिम पक्ष बाहरी और आंतरिक आहते पर विवाद कर रहा है, वो छोटी-सी जगह को बांटना चाहते हैं।

इस दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आपका 1885 के बाद पूजा का क्या आधार है?

वकील वैद्यनाथन ने कहा कि ब्रिटिशों की रेलिंग के बाद भी हिंदू लगातार पूजा करते रहे थे। लेकिन बाद में मुगलों ने जबरन मस्जिद बना दी थी। इसपर जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा कि रेलिंग को लेकर आपकी क्या स्थिति है।

आज आखिरी सुनवाई –

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई शुरू हो गई है। आज इस मामले पर अंतिम सुनवाई हो जाएगी। सभी पक्षकारों ने अपनी ओर से लिखित बयान अदालत में पेश कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान किसी भी प्रकार की दखल पर मनाही की है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा है कि अब बहुत हुआ, शाम 5 बजे तक इस मामले में पूरी सुनवाई पूरी होजाएगी। और यही बहस का अंत होगा।

SC का हर फैसला स्वीकारेंगे: इकबाल अंसारी

इस मामले में पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट इस केस में जो भी फैसला करेगा, वो मानेंगे। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि फैसला जिसके भी पक्ष में आए, उसे मानना चाहिए। लोग शांति से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करें। हम हमेशा से ही देश की तरक्की चाहते हैं।

इकबाल अंसारी के वकील ने मध्यस्थता के दावे को किया खारिज…

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर आखिरी सुनवाई से पहले मुस्लिम पक्ष की ओर से इस मामले में मध्यस्थता की खबरों का खंडन किया गया है। मुस्लिम पक्ष की ओर से पक्षकार इकबाल अंसारी के वकील एम.आर. शमशाद ने एक बयान जारी कर कहा है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने जमीन पर दावा छोड़ने की बात नहीं की है, ये सभी अफवाह हैं।

गुरुवार को जब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर आखिरी दलील शुरू हो रही है, उससे पहले मुस्लिम पक्ष के वकील की ओर से बयान जारी किया गया है। एम. आर. शमशाद ने अपने बयान में लिखा है, ‘मैं इस मामले में पिछले काफी समय से हाशिम अंसारी, अब इकबाल अंसारी की ओर से दलीलें रख रहा हूं। सुन्नी वक्फ बोर्ड को लेकर मध्यस्थता की बातें जो चल रही हैं उस बारे में मैं साफ करना चाहता हूं कि ऐसी कोई अपील नहीं की गई है।’

अभी तक की सुनवाई में किसने रखा क्या तर्क???

सुप्रीम कोर्ट में अब से कुछ देर में अयोध्या मामले की आखिरी बहस शुरू होगी। अभी तक की सुनवाई में हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष ने अपनी कई दलीलें अदालत में रखी हैं। अभी तक की सुनवाई में रामलला ने कहा है कि मुस्लिम पक्ष ज़मीन पर अपना हक नहीं जमा सकता है, जबकि मुस्लिम पक्ष ने कहा है कि अखाड़ा सिर्फ बाहरी इलाके में हक की बात करता है लेकिन विवाद अंदर की जगह पर है।

बता दें कि निर्मोही अखाड़ा के पास बाहरी अहाते का अधिकार है। वहीं गोपाल सिंह विशारद की ओर से दावा किया गया है कि पूरा स्थान देवतुल्य है। मंदिर ईसा पूर्व से भी पहले का है. हिंदू पक्षकार लगातार कह रहे हैं कि हम अपने प्रभु का जन्मस्थान नहीं बदल सकते हैं, मुस्लिम कहीं और जाकर नमाज़ पढ़ सकते हैं। दूसरी ओर मुस्लिम पक्ष ने दावा किया है कि जन्मस्थान का कोई सबूत नहीं है।

फैसले के लिए तैयार है अयोध्या?

सुप्रीम कोर्ट में इस विवाद की सुनवाई अंतिम दौर में पहुंचते ही अयोध्या में भी सुगबुगाहट तेज हो गई है। अयोध्या जिले में 10 दिसंबर तक धारा 144 लगा दी गई है, इसके अलावा शहर में संतों का पहुंचना शुरू हो गया है। अयोध्या में किसी तरह से हालात ना बिगड़े इसके लिए सुरक्षाबल भी मुस्तैद हैं।

17 अक्टूबर को क्या होगा

सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस मामले की सुनवाई का आखिरी दिन 17 अक्टूबर तय किया गया था, लेकिन बहस के लिए आखिरी दिन 16 अक्टूबर है। 17 अक्टूबर को ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’ के लिए रिजर्व रखा गया है इस दौरान दोनों पक्षकार अपनी मांग सुप्रीम कोर्ट के सामने रखेंगे।

आज कौन-कितनी देर तक रखेगा दलील?

सुप्रीम कोर्ट में आज हिंदू पक्ष की ओर से निर्मोही अखाड़ा के वकील अपनी अंतिम दलील देंगे। बुधवार को हिंदू पक्ष के वकील सीएस. वैद्यनाथन को बहस के लिए 45 मिनट मिलेंगे, इसके अलावा हिंदू पक्षकारों के अन्य वकीलों को भी इतना ही समय मिलेगा। बाद में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन को जवाब देने के लिए 1 घंटे का समय मिलेगा।

अयोध्या पर आखिरी बहस!

दशकों से चल रहा अयोध्या का रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद अब अपने अंतिम दौर में है। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को इस विवाद पर आखिरी बहस होनी है, आज दोनों ही पक्षों की ओर से अंतिम दलीलें रखी जाएंगी। मंगलवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने ऐसे संकेत दिए थे कि 16 अक्टूबर को सुनवाई खत्म हो जाएगी।

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