टिड्डी टेररः 26 साल बाद कीड़ों का इतना बड़ा हमला झेल रहा है भारत, जानें इसके बारे में सबकुछ

नई दिल्ली, राजसत्ता एक्सप्रेस। कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बीच टिड्डी दलों का हमला किसानों पर बहुत बड़ी मुसीबत बनकर आया है। 26 साल बाद भारत में टिड्डी दलों का इतना बड़ा हमला देखा जा रहा है। टिड्डी दलों का आतंक उत्तर भारत के किसानों की चिंता का कारण बना हुआ है। इसस पहले भारत में टिड्डी दलों का हमला राजस्थान तक सीमित रहता था। अब ये इनका आतंक मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में बढ़ता जा रहा है। टिड्डी दल रास्ते में आने वाली हरियाली को बर्बाद करते आगे बढ़ रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि भारत में टिड्डीयों का ये 26 साल का सबसे बड़ा हमला है। टिड्डियों का ये संकट मॉनसून के आने तक चल सकता है। अगर टिड्डियों के आतंक से जल्द नहीं निपटा गया तो ये हजारों करोड़ रुपये की फसल को पल भर में बर्बाद कर देंगे।

जानें टिड्डी दल कैसे लेता है जन्म?

छोटे-छोटे कीड़ों के समूह से पैदा होने वाले टिड्डी दल में लाखों की संख्या में कीड़े शामिल होते हैं। उत्तर पूर्वी अफ्रीका में कीड़ों का ये झुंड तैयार होता है। ये ग्रासहॉपर समुदाय का एक सदस्य होता है। ये टिड्डे अपना झुंड बनाकर एक जगह से दूसरे जगह जाते हैं। ये कीड़े अगर कम संख्या में हों तो खेती को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाते। वहीं, जब ये लाखों की संख्या में झुंड में होते हैं तो तबाही मचा देते हैं।

एक साथ अचानक लाखों की तादाद कहां से आ जाती है?

इन कीड़ों को मनमाफिक स्थिति जैसे हरियाली, बारिश वगैरह मिलती है, तो उनके दिमाग में सेरेटॉनिन नाम का रसायन कुछ बदलाव लाता है। इस बदलाव के साथ इनमें प्रजनन करने की प्रक्रिया काफी तेज हो जाती है और इनकी संख्या में विस्फोटक बढ़ोतरी होने लगती है। वो अपना झुंड जबरदस्त तरीके से बढ़ाते जाते हैं। फिर ये झुंड हरियाली की खोज में आगे बढ़ने लगता है। झुंड में बढ़ते हुए ये टिड्डी दल रास्ते में आने वाली फसलों, पौधों, पेड़ों को चट करते जाते हैं। कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि ये कीड़े रेगिस्तानी इलाके में पैदा होते हैं और हरियाली वाले इलाकों का पीछा करते हुए आगे बढ़ते हैं। ये उसी दिशा में आगे बढ़ते हैं जिस दिशा की हवा चल रही होती है।

किसानों के लिए कितनी बड़ी परेशानी?

इस टिड्डी दल में लाखों कीड़े होते हैं और बहुत तेजी से हरियाली चट करते हैं। कुछ मिनटों में ये दल पूरा का पूरा खेत चट कर जाता है। ये 50 से 100 गुना तेजी से अपनी संख्या में बढ़ोतरी करते हैं। अगर इन टिड्डियों को हरियाली मिलती जाती है तो ये और तेजी से अपनी संख्या बढ़ाते हैं। किसानों को सलाह दी जाती है कि अगर टिड्डियों का दल आता दिखे तो जोर जोर से आवाज करके थाली पीटकर, ढोल ताशे बजाकर इस टिड्डी दल को भटकाया जा सकता है। इसके अलावा कीटनाशकों का भी छिड़काव किया जा सकता है।

कहां-कहां असर?

टिड्डी दल भारत में पाकिस्तान की तरफ से आते हैं। टिड्डी दल का हमला राजस्थान के गंगानगर से शुरू होकर जयपुर और आसपास के इलाकों तक होता है। लंबे समय से ये किसानों की फसलों में तबाही मचाते आ रहे हैं। कुछ रिहायशी इलाकों में भी इस दल ने हमला किया। आमतौर पर ये टिड्डी दल सिर्फ गुजरात या राजस्थान तक ही सीमित रहते हैं लेकिन इस बार ये मध्य प्रदेश और अब उत्तर प्रदेश की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। मध्य प्रदेश में मालवा निमाड़ होते हुए अब ये टिड्डी दल बुंदेलखंड के छतरपुर तक पहुंच चुका है। यहां से अब ये उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर रहा है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अब ये टिड्डी दल 2-3 भागों में बंट गया है। जो कि राहत की बात है।

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