Lok Sabha Election 2019: जानिए किन 5 राज्यों में BJP को कड़ी टक्कर दे सकती है Congress

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 के लिए राजनीतिक पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है. पूरे हिंदुस्तान में इस समय सियासी घमासान तेज हो गया है. भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दल सियासी दंगल जीतने के लिए रैलियों और जनसभाओं की शुरुआत कर चुके हैं. लेकिन इन सबके बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थक यह मानने को तैयार नहीं हैं कि विपक्षी दल यानी कि कांग्रेस उन्हें चुनाव में टक्कर दे सकती है. हालांकि यह कहना कुछ हद तक ठीक नहीं होगा. क्योंकि कांग्रेस हर राज्य के हिसाब से अपनी रणनीति बना रही है जहां वो अपने दम पर चुनाव लड़ सकती है और बीजेपी को कड़ी टक्कर दे सकती है. तो आइए जानते हैं कि कांग्रेस किन पांच राज्यों में सबसे ज्यादा सक्रिय है.

बता दें, 2014 के चुनावों में 50 सीटों पर सिमट गई कांग्रेस के खाते में पांच राज्य हैं जहां उसे सबसे ज्यादा उम्मीद है. यानी कि राजस्थान, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और गुजरात.

सबसे पहले बात करते हैं राजस्थान की. यहां लोकसभा की कुल 25 सीटें हैं. साल 2014 के चुनावों में काग्रेंस यहां की एक भी सीट पर खाता नहीं खोल पाई थी जबकि बीजेपी ने सभी सीटों पर जीत हासिल की थी. लेकिन अलवर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार को जीत हासिल हुई थी. इस तरह कांग्रेस के पाले में अभी भी सिर्फ एक लोकसभा सांसद है. वहीं दिसंबर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव से सत्ता में वापसी करने के बाद कांग्रेस को उम्मीद है कि 2019 चुनाव में उसकी लोकसभा सीटें बढ़ेंगी. इसकी एक वजह यह भी है कि मध्य प्रदेश की तरह ही राजस्थान में भी कोई मजबूत क्षेत्रीय दल नहीं है. इसलिए बीजेपी और कांग्रेस की सीधी टक्कर में कांग्रेसियों को उम्मीद है कि उनकी सीट बढ़ेगी.

दूसरा राज्य जहां कांग्रेस को जीतने की काफी उम्मीदें हैं वो है कर्नाटक. यहां लोकसभा की कुल 28 सीटें हैं. साल 2014 के चुनावों में काग्रेंस ने 28 में से 9 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं उसकी कुछ सीटों को देखें तो पूरे देश से कांग्रेस की जितनी सीटें आई थीं उनमें तकरीबन 20 फीसदी सीटें सिर्फ कर्नाटक से आईं थी. इसके बाद हुए एक उपचुनाव में कांग्रेस को जीत मिली जिसके बाद अब उसके पाले में दस लोकसभा सांसद हैं. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि कर्नाटक से हमारी सीटें काफी ज्यादा नहीं हैं लेकिन हम अपने सहयोगी जनता दल सेकुलर के साथ मिलकर कर्नाटक में बीजेपी की सीटों को कम करने में कामयाब हो सकते हैं. आपको बता दें कि 2014 में जनता सेकुलर को सिर्फ दो सीटें हासिल हुई थीं. जबकि बीजेपी ने 17 सीटों पर कब्जा किया था.

अब बात करते हैं मध्य प्रदेश की. यहां लोकसभा की कुल 29 सीटें में से कांग्रेस के पाले में सिर्फ तीन सीटें हैं. इनमें से एक सीट छिंदवाड़ा की है जहां से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ जीतते आए हैं. इस तरह से कांग्रेस के पास अब सिर्फ दो लोकसभा सांसद बचे हैं. हालांकि 2019 चुनाव की बात की जाए तो कांग्रेस को पूरी उम्मीद है कि वो यहां से बीजेपी को कड़ी टक्कर देगी. इसकी पहली वजह है कि 15 साल बाद 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को यहां से जीत हासिल हुई. वहीं दूसरी तरफ प्रदेश में 15 साल की और केंद्र में पांच साल की बीजेपी सरकार को लेकर यहां के लोगों में जो नाराजगी है उसका फायदा पार्टी को मिलेगा. जबकि दूसरी वजह ये है कि कांग्रेस और बीजेपी के अलावा यहां और कोई मजबूत क्षेत्रीय पार्टी नहीं है.

अब आता है तमिलनाडु जहां से लोकसभा की 39 सीटें हैं. राजस्थान की तरह तमिलनाडु में भी 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस एक भी सीट पर जीत हासिल करने में नाकामयाब रही थी. इसके अलावा 2019 चुनाव के लिए कांग्रेस ने जिस द्रविड़ मुनेत्र कड़गम से गठबंधन किया है उसे ही 2014 चुनाव में एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई थी. लेकिन तमिलनाडु से सीटें बढ़ने की उम्मीद कांग्रेस और डीएमके को इसलिए है कि पिछली बार जे जयललिता के हाथों में अन्नाद्रमुक की कमान थी. उनके निधन के बाद अन्नाद्रमुक में आपसी मतभेद चरम पर है और इसका फायदा वहां केंद्र की सत्ताधारी भाजपा उठा रही है. कांग्रेस और डीएमके दोनों को उम्मीद है कि अन्नाद्रमुक में नेतृत्व की अस्पष्टता का सीधा फायदा उन्हें मिलेगा.

आखिरी में आता है गुजरात. यहां लोकसभा की 26 सीटें हैं साथ ही यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के हाथ गुजरात की एक भी सीट नहीं लगी थी. लेकिन 2019 चुनाव में कांग्रेस को यहां पर जीत की पूरी उम्मीद है. इसके पीछे की तीन वजह है पहली से कि 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन ठीक ठाक रहा था. दूसरी वजह कि यहां भी मध्य प्रदेश और राजस्थान की तरह कोई मजबूत क्षेत्रीय पार्टी नहीं है. और तीसरी वजह ये कि गुजरात में हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकोर जैसे चेहरे उभरकर आए हैं जिन्होंने मोदी सरकार को घेरने का काम किया है, जिसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है.

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