प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दक्षिण भारत के चौथे दिन के दौरे पर हैं. पीएम मोदी ने चौथे दिन के दौरे की शुरुआत केरल के पलक्कड़ में रोड शो से की. वाम दलों का गढ़ कहे जाने वाले केरल में पीएम मोदी के रोड शो में जमकर ‘मोदी-मोदी’ के नारे लगे।
प्रधानमंत्री मोदी केरल में भाजपा प्रत्याशी अनिल एंटनी के समर्थन में यहां पहुंचे हैं. अनिल एंटनी को भाजपा ने पथानामथिट्टा से अपना प्रत्याशी बनाया है. केरल के बाद तमिलनाडु जाएंगे, जहां वे जनसभा को संबोधित करेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस साल ये साउथ का 5वां दौरा है. प्रधानमंत्री के अबकी बार 400 पार वाले नारों के मद्देनजर खुद नरेंद्र मोदी दक्षिण भारत का ताबड़तोड़ दौरा कर रहे हैं।
पीएम मोदी ने इस बार बीजेपी के लिए 370 लोकसभा सीटों और एनडीए के लिए 400 पार का नारा दिया है। माना यही जा रहा है कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए ही इस बार दक्षिण भारत में बीजेपी और एनडीए को लोकसभा चुनाव में बड़े पैमाने पर जीत दिलाने के लिए पीएम मोदी लगातार इस इलाके के राज्यों में जा रहे हैं।
दरअसल, दक्षिण भारत में सिर्फ कर्नाटक को छोड़ दें, तो बीजेपी को बाकी राज्यों में लोकसभा की ज्यादा सीटें जीतने का मौका अब तक नहीं मिला है। ऐसे में दक्षिण के राज्यों में अगर बीजेपी और एनडीए गठबंधन के साथी दल इस बार ज्यादा सीटें हासिल करने में सफलता पाते हैं, तो इससे मोदी का 370 और 400 पार का लक्ष्य आसानी से पूरा हो सकता है। साथ ही अगर बीजेपी और एनडीए इन दक्षिणी राज्यों में जीती, तो उससे विपक्ष को भी तगड़ा झटका लगेगा।
अगर दक्षिण के राज्यों की बात करें, तो तेलंगाना में 17 लोकसभा सीटें हैं। इनमें से 2014 में बीजेपी 1 सीट और 2019 में 4 सीटें जीती थीं। कर्नाटक को देखें। यहां लोकसभा की 28 सीटें हैं। इनमें से बीजेपी ने 2014 में 17 और 2019 में 25 सीटें जीती थीं। इसके अलावा आंध्र प्रदेश की 25, केरल की 20 और तमिलनाडु की 39 लोकसभा सीटों पर बीजेपी जीत दर्ज नहीं कर सकी थी। दक्षिण के इन सभी राज्यों को मिलाकर लोकसभा की 129 सीटें होती हैं।
पुदुचेरी की 1 सीट को मिला दें, तो सीटों की संख्या 130 होती है। अगर इनमें से आधी यानी 65 सीटें भी बीजेपी इस बार जीतती है, तो मोदी का दिया लक्ष्य लोकसभा में हासिल करने में उसे आसानी होगी। और शायद इसी की वजह से इस बार मोदी ने खुद दक्षिण में घूम-घूमकर बीजेपी और एनडीए के पक्ष में माहौल बनाने का फैसला किया। हालांकि, इसमें उनको कितनी सफलता मिलती है, ये 4 जून को लोकसभा चुनाव नतीजे आने पर ही पता चल सकेगा।