संसद के शीतकालीन सत्र में हंगामे ने बर्बाद किया 65 घंटे, केवल एक बिल पास हुआ
संसद का शीतकालीन सत्र खत्म हो गया, लेकिन इस सत्र का नतीजा ज्यादा असरदार नहीं रहा। हंगामे की वजह से संसद में काफी समय बर्बाद हुआ। सिर्फ 20 दिनों के सत्र में लोकसभा में करीब 65 घंटे बर्बाद हो गए, जबकि राज्यसभा का हाल और भी बुरा था। राज्यसभा में कुल 43 घंटे की कार्यवाही हुई, जबकि प्रस्तावित समय करीब 120 घंटे था। सत्र में इस हंगामे की वजह से न सिर्फ कामकाज रुक गया, बल्कि सरकार एक भी बिल पास करने में मुश्किल से सफल हो पाई, जबकि 15 बिल पास करने का लक्ष्य था।
हंगामे की वजह बने दो प्रमुख मुद्दे
शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले ही संसद में हंगामा शुरू हो गया था, और इसका सबसे बड़ा कारण था उद्योगपति गौतम अडानी का अमेरिका से जुड़ा विवाद। कांग्रेस ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया, जिससे संसद के पहले हफ्ते में ही अडानी पर हंगामा मचा रहा। दोनों सदनों में इस मुद्दे को लेकर बवाल हुआ और कामकाज लगभग ठप हो गया।
दूसरे हफ्ते में उम्मीद थी कि कामकाज फिर से शुरू होगा, लेकिन तब विपक्षी दलों ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया। इसने हालात और भी बिगाड़ दिए। लोकसभा में अडानी के मामले से भी बड़ा मुद्दा जॉर्ज सोरोस का बन गया, जिस पर खूब हंगामा हुआ।
इसके बाद सत्र के आखिरी हफ्ते में संविधान से जुड़ा मुद्दा गर्माया। अमित शाह के एक बयान को लेकर विपक्ष ने दोनों सदनों में विरोध शुरू कर दिया और फिर से कामकाज प्रभावित हुआ।
सत्र में फंसे ये 14 विधेयक
इस सत्र में कुल 14 बिल ऐसे थे, जो सरकार पास कराना चाहती थी, लेकिन हंगामे के चलते यह सभी बिल फंसे हुए हैं। इनमें से कुछ बिल लोकसभा में पेश किए गए थे, जबकि कुछ राज्यसभा में लाने थे।
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मर्चेंट शिपिंग बिल – यह बिल समुद्री नियमों को अपडेट करने के लिए था और 10 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया, लेकिन हंगामे के चलते यह अटका हुआ है।
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कॉस्टल शिपिंग बिल 2024 – इस बिल का मकसद भारतीय तटीय जल के भीतर व्यापार में लगे जहाजों को विनियमित करना था। यह 2 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया, लेकिन सत्र में इसे पास नहीं किया जा सका।
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तटीय नौवहन विधेयक 2024 – यह बिल पारदर्शिता लाने और दंड में सुधार करने के लिए था, लेकिन यह भी इस सत्र में अटका पड़ा है।
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पंजाब कोर्ट संशोधन विधेयक 2024 – यह बिल भी इस सत्र में पास होना था, लेकिन हंगामे की वजह से इसे आगे बढ़ाया नहीं जा सका।
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सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक 2024 – इस बिल का उद्देश्य ग्रामीण विकास और सहकारिता से जुड़े शिक्षा क्षेत्र में सुधार करना था। यह भी हंगामे के कारण पेश नहीं हो पाया।
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रेलवे संशोधन विधेयक 2024 – यह बिल लोकसभा से पास हो चुका था, लेकिन राज्यसभा में यह अटका पड़ा है। इसके लागू होने से रेलवे को ज्यादा अधिकार मिलेंगे और निजी भागीदारी को लेकर भी निर्णय लिया जा सकेगा।
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बिल्स ऑफ लैडिंग बिल 2024 और समुद्री मार्ग से माल परिवहन विधेयक 2024 – ये दोनों बिल ट्रांसपोर्ट से जुड़े थे, लेकिन हंगामे की वजह से इनमें कोई प्रगति नहीं हो सकी।
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वक्फ से जुड़े विधेयक – वक्फ से जुड़े दो विधेयक इस सत्र में पेश होने थे, लेकिन हंगामे की वजह से सरकार ने इन्हें नहीं पेश किया। ये अभी जेपीसी कमेटी के पास हैं।
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आपदा प्रबंधन संशोधन विधेयक 2024 – यह बिल लोकसभा से पास हो चुका था, लेकिन राज्यसभा में इसे पेश नहीं किया जा सका। इस विधेयक के लागू होने से एक व्यापक आपदा डेटाबेस तैयार किया जा सकता था।
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गोवा विधानसभा में एसटी समुदाय को आरक्षण देने संबंधी विधेयक – यह विधेयक भी इस सत्र में पास नहीं हो पाया। इसके पास होने से गोवा विधानसभा में एसटी समुदाय के लिए आरक्षित सीटें निर्धारित की जा सकती थीं।
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बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2024 – यह विधेयक लोकसभा में ध्वनिमत से पारित हो गया था, लेकिन राज्यसभा में हंगामे के चलते यह पेश नहीं हो पाया। इसके लागू होने से बैंक खाताधारक 4 नॉमिनि जोड़ सकेंगे।
सत्र के आखिरी दिनों की नीरसता
सत्र के आखिरी दिनों में, जहां एक ओर विपक्ष और सरकार के बीच टकराव चल रहा था, वहीं लोकसभा के स्पीकर ने सत्र के खत्म होने पर कोई खास संबोधन नहीं दिया। इससे विपक्षी नेताओं ने भी कड़ा विरोध किया और सत्र के समापन के बाद स्पीकर के टी-पार्टी में भी शामिल नहीं हुए। यह पूरी स्थिति संसद के असफलता का प्रतीक बन गई।