लोकसभा का यह सत्र कई मामलों को लेकर हंगामेदार रहा है। खासकर विपक्ष ने संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर के मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश की। इस बीच, अब कांग्रेस एक अलग विवाद में फंसती हुई नजर आ रही है। लोकसभा सत्र के दौरान मकर द्वार पर हुए एक धक्का-मुक्की कांड के बाद, जहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच हिंसक झड़प हुई, संसद के अंदर विरोध-प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई है। इस आदेश के बाद, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अब कोई भी राजनीतिक दल या सांसद संसद भवन के किसी भी द्वार पर विरोध प्रदर्शन नहीं करेंगे।
लोकसभा स्पीकर का कड़ा आदेश
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने इस कड़ी घटना के बाद सख्त कदम उठाते हुए संसद भवन के बाहर विरोध प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी है। उन्होंने कहा कि संसद के भीतर कामकाजी माहौल को बनाए रखने के लिए यह निर्णय लिया गया है। इस आदेश के बाद, विरोध करने वाले किसी भी समूह को संसद भवन के द्वारों के पास प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं होगी।
कांग्रेस का प्रदर्शन और विवाद
संसद सत्र की शुरुआत के साथ ही कांग्रेस पार्टी ने मकर द्वार के पास विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए थे। वे आंबेडकर से जुड़े मुद्दे पर सरकार के खिलाफ विरोध कर रहे थे। हालांकि, यह प्रदर्शन अब तक शांतिपूर्ण थे, लेकिन बुधवार को हुई एक घटना ने स्थिति को पूरी तरह से बदल दिया। इसी बीच, एक बड़ी धक्का-मुक्की की घटना हुई, जिसमें बीजेपी और कांग्रेस के बीच झड़प हो गई।
धक्का-मुक्की कांड और उसके बाद की घटनाएं
मकर द्वार के पास हुए इस झगड़े के दौरान दोनों पक्षों के बीच शारीरिक संघर्ष हुआ, जिसमें बीजेपी के दो सांसद, प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत घायल हो गए। बीजेपी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के कारण यह सब हुआ और यह दोनों सांसदों को शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचा। बीजेपी ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने जानबूझकर दोनों सांसदों को धक्का दिया, जिसके कारण वे घायल हुए।
राहुल गांधी पर मामला दर्ज
धक्का-मुक्की की इस घटना के बाद बीजेपी ने राहुल गांधी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। बीजेपी ने राहुल गांधी पर शारीरिक हमले और उकसाने का आरोप लगाया। इसके बाद पुलिस ने राहुल गांधी के खिलाफ छह धाराओं में मामला दर्ज किया। इस घटना ने संसद परिसर में सुरक्षा और शांति को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
घायल सांसदों की स्थिति में सुधार
घायल बीजेपी सांसदों प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत की हालत अब पहले से बेहतर बताई जा रही है। दोनों सांसदों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनका इलाज चल रहा है। दोनों का रक्तचाप सामान्य है और डॉक्टरों की टीम उनकी निगरानी कर रही है। अस्पताल में सीटी स्कैन और एमआरआई रिपोर्ट भी सामान्य आई हैं। हालांकि, दोनों सांसदों को अभी भी आईसीयू में रखा गया है ताकि उनकी स्थिति पर नजर रखी जा सके।
संसद में असहमति का उबाल
यह घटनाक्रम संसद में असहमति और विरोध के उबाल को दर्शाता है। जहां विपक्ष सरकार से अपने मुद्दों को लेकर संघर्ष कर रहा है, वहीं इस तरह की हिंसक घटनाएं संसद के गरिमापूर्ण माहौल को नुकसान पहुंचाती हैं। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि संसद का कार्यकाल देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, और इसके दौरान होने वाले विरोध-प्रदर्शन से संसद की कार्यवाही में रुकावट आनी चाहिए, ऐसा नहीं होने दिया जाएगा।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं ने इस घटना को लेकर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उनका कहना है कि बीजेपी इस मामले को राजनीतिक रूप से उभारने की कोशिश कर रही है और इससे पार्टी के अंदर की असहमति को दबाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस का कहना है कि उनका विरोध लोकतांत्रिक अधिकार है, और इसके बावजूद उन्हें इस तरह से हिंसा में फंसाने की कोशिश की जा रही है।