इजरायली कंपनी के सॉफ्टवेयर पेगासस के जरिए राजनेताओं से लेकर पत्रकारों तक को जासूसी कराने की रिपोर्ट्स सामने आने के बाद विपक्ष केन्द्र सरकार पर हमलावर है. इसकी गूंज सोमवार को मॉनसून सत्र के दौरान संसद में भी सुनाई दी. हालांकि, सरकार ने फोन टैपिंग की मीडिया रिपोर्ट्स को पूरी तरह से खारिज कर दिया. इस बीच, शिवसेना ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के भी फौन टैपिंग का सरकार पर आरोप लगाया है.
शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने जासूसी मामले पर सोमवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह देश की सुरक्षा के साथ सबसे बड़ा खिलवाड़ है. महाराष्ट्र में भी हमारी सरकार बन रही थी तो टैपिंग का मामला सामने आया था. राउत ने आगे कहा कि इस बार विदेशी कंपनी करवा रही है. मुझे लगता है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का भी फोन टैप हुआ हो तो मुझे आश्रर्य नहीं. संसद सत्र शुरू होने से पहले शिवसेना प्रवक्ता ने आगे कहा कि पार्लियामेंट में इस मुद्दे का उठाएंगे. पीएम मोदी और गृह मंत्री सामने आकर इस पर अपना स्पष्टीकरण दें.
इससे पहले, फोन टैपिंग मामले को लेकर एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए उस पर हमला किया. ओवैसी ने सरकार से सवाल पूछा कि, फोन हैकिंग के लिए पेगासस सॉफ्टवेयर हैकिंग है, टैपिंग नहीं. उन्होंने कहा हैकिंग एक अपराध है फिर चाहे ये किसी शख्स ने किया हो या किसी सरकार ने. उन्होंने सरकार से दो टूक शब्दों में कहा कि, सरकार को दो बातें जरूर बतानी होंगी. पहली ये कि क्या उसने एनएसओ स्पाईवेयर का उपयोग किया? क्या सरकार ने न्यूज रिपोर्ट्स में लिए नामों को दायरे में लिया था कि नहीं?
पेगासस मामले पर रिटायर्स आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने भी ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि, अच्छे-अच्छे फंसे थे जासूसी के जाल में- पत्रकार, विपक्ष के नेता, सुप्रीम कोर्ट के जज तक को नहीं छोड़ा. उन्होंने आगे सवाल करते हुए कहा कि, आखिर इन सबकी फोन टैपिंग क्यूं कराई जा रही थी? क्या खतरा था? वाणी पर पहरे लगा दिए. लोकतंत्र की गर्दन मरोड़ कर रख दी.
दरअसल वॉशिंगटन पोस्ट और द गार्जियन अखबार के दावे के मुताबिक देश में 40 से ज्यादा पत्रकार, तीन प्रमुख विपक्षी नेताओं, एक संवैधानिक प्राधिकारी, नरेंद्र मोदी सरकार में दो पदासीन मंत्री, सुरक्षा संगठनों के वर्तमान और पूर्व प्रमुख एवं अधिकारी और बड़ी संख्या में कारोबारियों की जासूसी की गई. द गार्जियन और वॉशिंगटन पोस्ट ने एक रिपोर्ट के जरिए आरोप लगाया है कि दुनिया की कई सरकारें एक खास पेगासस नाम के सॉफ्टवेयर के जरिए मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, बड़े वकीलों समेत कई बड़ी हस्तियों की जासूसी करवा रही हैं, जिसमें भारत भी शामिल है. भारत सरकार ने इन आरोपों को खारिज किया है.