लखनऊ : राजधानी लखनऊ में कैब ड्राइवर की पिटाई के मामले में थाना इंचार्ज समेत उप निरीक्षक और चौकी इंचार्ज को सजा मिल गई है. तीनों को लाइन हाजिर कर दिया गया है. साथ ही इस मामले की जांच अब एडीसीपी सेंट्रल जोन चिरंजीवी नाथ सिन्हा को दी गई है. इस बीच आरोपी लड़की और ड्राइवर के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी है. ट्रैफिक रेड लाइट पर थप्पड़ कांड के बाद कृष्णानगर थाना इंचार्ज महेश दुबे, उप निरीक्षक मन्नान और चौकी इंचार्ज भोला खेडा हरेंद्र सिंह को लाइन हाजिर कर दिया गया है. थाना इंचार्ज पर अपने उच्च अधिकारियों को मिसगाइड करने का आरोप था, जबकि चौकी इंचार्ज पर कैब ड्राइवर ने 10 हजार रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगाया था.
थाना प्रभारी और इंस्पेक्टर महेश दुबे ने कहा कि उनकी गैर मौजूदगी में भोलाखेड़ा के चौकी इंचार्ज हरेंद्र यादव ने कैब ड्राइवर से गाड़ी छोड़ने की एवज में रुपए लिए थे. इसकी रिपोर्ट भी कमिश्नर को सौंपी जा चुकी है. वहीं, चौकी इंचार्ज ने इंस्पेक्टर को ही कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि वह खुद को बचाने के लिए मुझे झूठा फंसा रहे हैं. कृष्णानगर इंस्पेक्टर महेश दुबे का कहना है कि 30 जुलाई की घटना वाली रात ईको गार्डन धरनास्थल पर ड्यूटी कर रहे थे.
इसी समय साहब की कॉल आई कि कोई ब्लैक एसयूवी कार कोतवाली में खड़ी की गई है. गाड़ी पर मजिस्ट्रेट लिखा है, कार एटा एसडीएम की है, जफर नाम का आदमी पहुंच रहा है. उसे गाड़ी दे दो, चूंकि वह कोतवाली में नहीं थे. इसलिए भोलाखेड़ा चौकी प्रभारी हरेंद्र यादव को फोन करके गाड़ी छोड़ने को कहा. बाद में कोतवाली आने पर पता चला कि पीड़ित सआदत अली की कैब भी आई थी जिसे गेट से छोड़ दिया गया. लेकिन एसयूवी छोड़ने के एवज में हरेंद्र यादव ने रुपए लिए थे.
वहीं दरोगा हरेंद्र यादव का कहना है कि घटनास्थल उनके चौकी क्षेत्र में था. इसलिए वह कैब के साथ चालक सआदत अली और उसकी पिटाई करने वाली लड़की प्रियदर्शिनी नारायण को कोतवाली लाए थे. देर रात सआदत को तलाश करते हुए उसके भाई इनायत और दाऊद एसयूवी से कोतवाली पहुंचे. दोनों को भी कोतवाली में बैठा लिया गया. कैब और एसयूवी को भी कब्जे में ले लिया गया.