यूपी की योगी सरकार ने शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड एवं सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड में भ्रष्टाचार की शिकायतों की एसआईटी से जांच कराने का फैसला किया है। दोनों संस्थाओं में पिछले एक-डेढ़ दशक के दौरान हुए भ्रष्टाचार के मामले जांच के दायरे में आएंगे।
एसआईटी जांच के लिए अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक़्फ विभाग ने अपनी संस्तुति दे दी है।
सीबीआई जांच की जगह एसआईटी को जिम्मा
बीते मंगलवार को भागीदारी भवन में हुई समीक्षा बैठक में अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक़्फ विभाग के अधिकारियों ने हिस्सा लिया। जिसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि दोनों बोर्डों की जांच सीबीआई से नहीं हो पाने के चलते एसआईटी को सौंपी जाएगी। विभाग के कैबिनेट मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में दोनों राज्यमंत्री मोहसिन रजा व बलदेव सिंह औलख भी मौजूद थे। बैठक में राज्यमंत्री मुस्लिम वक़्फ एवं हज मोहसिन रज़ा ने जांच की मांग दोहराई। साथ ही प्रमुख बिन्दुओं को उठाया, जिसके बाद ये फैसले लिए गए।
पिछली सरकारों में उठी थी जांच की मांग
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड की जांच की मांग बीते कई सालों से चल रही थी। वहीं इस मामले में राजनीति भी हो चुकी है। घोटालों का सिलसिला बीएसपी सरकार में शुरु हुआ था। जिसकी जांच अखिलेश सरकार में भी नहीं हुई। वहीं दूसरी तरफ शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष बसपा सरकार में नियुक्त किए गए थे। जबकि पूरे मामले में बीजेपी सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। लेकिन जांच शुरु नहीं हो पाई।
आमदनी बढ़ाने पर भी हुआ फैसला
इस बैठक में सरकार और शासन को असंवैधानिक तरीके से मुतावल्लियों की नियुक्ति की शिकायतें मिल रही थीं। साथ ही दोनों बोर्डों में विशेष ऑडिट कराने का फैसला भी किया गया। समीक्षा बैठक में वक्फ संपत्तियों के संबंध में न्यायालयों में लंबित प्रकरणों पर भी चर्चा हुई। इसके बाद इसमें प्रभावी पैरवी कर उनका निस्तारण कराने पर सहमति बनी। विभाग ने वक्फ हित एवं अल्पसंख्यक समुदाय के हितों को देखते हुए वक्फ बोर्ड़ की आमदनी बढ़ाने और मुस्लिम समुदाय के असहाय एवं ग़रीब परिवारों के कल्याण के लिए प्रदेश में वक्फ संपत्तियों को विकसित करने का फैसला भी किया।