मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में किसको सत्ता मिलेगी और किसको हार का मुंह देखना पड़ेगा. इसका फैसला 11 दिसंबर को होगा। वहीं बुधवार को हुई वोटिंग में करीब 74 प्रतिशत मतदान हुआ।
मुख्य चुनाव आयुक्त वीएल कांताराव ने कहा कि हमारे चुनाव आंकड़े अपडेट हो रहे हैं, अब तक मप्र में 74.61 प्रतिशत मतदान दर्ज हुआ है। चुनाव के दौरान आयोग को 386 शिकायतें प्राप्त हुई।
एक प्रतिशत बदली गईं ईवीएम
मुख्य चुनाव आयुक्त के मुताबिक मॉक पोल के दौरान एक प्रतिशत ईवीएम बदली गई वहीं मतदान के दौरान 2 प्रतिशत ईवीएम बदलना पड़ी। कांताराव ने बताया कि मतदान के दौरान इंदौर, धार और गुना में तीन कर्मचारियों की मौत हुई है।
एमपी में किसकी होगी कुर्सी
वैसे तो यहां बीजेपी-कांग्रेस समेत कई निर्दलीय और कई पार्टियों के उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन यहां सीधा-सीधा मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच देखा जा रहा है. ऐसे में मध्य प्रदेश में बीजेपी जीत का चौका लगा पाती है या फिर कांग्रेस जीत दर्जकर अपना वनवास खत्म कर पाती है, ये देखना बड़ा ही दिलचस्प होगा.
ये है चुनावी गणित
अब जरा मध्य प्रदेश का चुनावी गणित समझिए. यहां राज्य में इस बार बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होने की उम्मीद है. हालांकि, एमपी में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी दिल्ली की तरह यहां भी जीत का परचम लहराने की बात कह रही है. लेकिन इन सबके बीच टक्कर बीजेपी और कांग्रेस के बीच देखने को मिल सकती है.
गठबंधन के बिना उतरी पार्टियां
जहां बीजेपी ने सभी 230 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है तो वहीं कांग्रेस 229 सीटों पर अपने उम्मीदवार और 1 सीट पर अपने सहयोगी शरद यादव के लोकतांत्रिक जनता दल के लिए छोड़ी है. वहीं बात बाकी पार्टियों की करें तो AAP ने 208, BSP 227, शिवसेना 81 और सपा ने 52 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं.
चिल्लर पार्टियां बनी सिर दर्द
वहीं एमपी में कई चिल्लर पार्टियां कांग्रेस और बीजेपी के लिए सिर का दर्द बन गई हैं क्योंकि ये पार्टियां किसकी जीत होगी और किसकी हार ये तय करने में अहम भूमिका निभा सकती है. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी कमलनाथ की अगुवाई में पिछले 15 सालों से सत्तारूढ़ बीजेपी को उखाड़ने की कोशिश कर रही है जबकि बीजेपी की कमान एमपी में शिवराज सिंह चौहान के हाथों में हैं, जिनकी अगुवाई में बीजेपी ने लगातार चौथी बार कुर्सी जीतने के लिए अबकी बार 200+ सीटों का लक्ष्य तय किया है. हालांकि, ये सब तो 11 दिसंबर को चुनाव के परिणाम के बाद ही साफ हो पाएगा.