महाकुंभ में 30 श्रद्धालुओं की मौत की खबर के बाद पूरे प्रशासन में हड़कंप मच गया है। इस हादसे के बाद अब तीन बड़े अधिकारी चर्चा में हैं। पहला नाम महाकुंभ के डीएम विजय किरण आनंद का, दूसरा एसएसपी राजेश द्विवेदी और तीसरा कमिश्नर विजय विश्वास पंत का। इन तीनों में से दो अधिकारी—एसएसपी और कमिश्नर—भगदड़ को लेकर सवालों के घेरे में हैं।
जांच के लिए पहुंचे डीजीपी और मुख्य सचिव
गुरुवार को इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश के डीजीपी प्रशांत कुमार और मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने महाकुंभ मेला क्षेत्र का दौरा किया। वे उस जगह भी गए, जहां पर भगदड़ मचने की घटना घटी थी, यानी संगम नोज पर स्थित पिलर नंबर-158 पर। दोनों अधिकारियों ने मौके का निरीक्षण किया और यह समझने की कोशिश की कि आखिर भगदड़ कैसे हुई? हालांकि महाकुंभ के एसएसपी राजेश द्विवेदी पहले ही यह साफ कर चुके थे कि वहां कोई भगदड़ नहीं हुई थी।
वॉच टावर से पूरी स्थिति को समझने की कोशिश
डीजीपी और मुख्य सचिव ने फिर मेला क्षेत्र के वॉच टावर पर चढ़कर पूरे इलाके का मुआयना किया और वहां के DIG वैभव कृष्ण से पूरी घटना की जानकारी ली। इसके बाद दोनों अधिकारी एसएसपी के ऑफिस में गए और वहां अधिकारियों के साथ बैठक की। सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कमिश्नर विजय विश्वास पंत के उस बयान का जिक्र किया, जो उन्होंने भगदड़ की संभावना के बारे में दिया था।
महाकुंभ के कमिश्नर विजय विश्वास पंत ने संगम क्षेत्र में आए श्रद्धालुओं को अनाउंसमेंट के जरिए यह चेतावनी दी थी कि अगर वे जगह से नहीं उठेंगे तो भगदड़ हो सकती है। यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया था और कई लोग इसे हादसे की वजह मान रहे हैं। अधिकारियों की बैठक में इस बयान की भूमिका पर भी चर्चा हुई। इस बयान के बाद जब टीवी9 डिजिटल की टीम ने कमिश्नर से सवाल पूछा, तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया और मुंह घुमा लिया। वहीं एसएसपी राजेश द्विवेदी से जब भगदड़ के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया।
क्या है मुख्य सचिव और डीजीपी का कहना?
मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह से मीडिया ने पूछा कि क्या भगदड़ के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “ज्यूडीशियल इन्वेस्टिगेशन चल रही है, उसके बाद ही हम किसी कार्रवाई की बात करेंगे।” इसके साथ ही जब उनसे पूछा गया कि क्या भगदड़ जैसी कोई घटना हुई थी, तो उन्होंने कहा, “ज्यूडीशियल इन्वेस्टिगेशन की रिपोर्ट आने के बाद ही इस पर कोई प्रतिक्रिया दी जाएगी।”
डीजीपी प्रशांत कुमार ने भी मीडिया से बात करते हुए कहा, “जांच चल रही है, हमें रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए। इस बारे में हम मीडिया से भी बात करेंगे, लेकिन फिलहाल किसी भी कार्रवाई के बारे में कुछ भी कहना ठीक नहीं होगा।”
सरकार का एक्शन क्या होगा?
अब सवाल यह उठता है कि क्या सरकार इस हादसे के बाद किसी भी अधिकारी पर कार्रवाई करेगी? फिलहाल सरकार का यही कहना है कि ज्यूडीशियल जांच के बाद ही इस बारे में कोई फैसला लिया जाएगा। इस दौरान अधिकारियों के बयान और घटनास्थल पर घटित हुई घटनाओं की पूरी जांच की जाएगी। यह जांच रिपोर्ट आने के बाद ही किसी एक्शन की संभावना होगी।
इस हादसे के बाद कई सवाल खड़े हुए हैं कि क्या प्रशासन की लापरवाही ने इस हादसे को बढ़ावा दिया? क्या अधिकारियों ने समय रहते जरूरी कदम नहीं उठाए? इस तरह के सवालों के जवाब आने में अभी कुछ समय लगेगा, क्योंकि जांच अभी जारी है।
भगदड़ और प्रशासन की लापरवाही का नतीजा
महाकुंभ जैसी बड़ी धार्मिक घटना में लाखों श्रद्धालु जुटते हैं, और अगर सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था न हो तो ऐसी घटनाओं का होना एक बड़ा खतरा बन जाता है। संगम के पास घटित हुई इस घटना ने यह भी साबित कर दिया कि प्रशासन को श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर और अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। जब इतनी बड़ी संख्या में लोग एक जगह इकट्ठा होते हैं, तो उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना सबसे अहम जिम्मेदारी बनती है।
अभी फिलहाल यह साफ नहीं है कि भगदड़ के पीछे कौन सी वजह रही, लेकिन यह जरूर कहा जा सकता है कि प्रशासन की लापरवाही की वजह से कई जिंदगियां चली गईं। अब इस पर क्या कार्रवाई होती है, यह आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा।