महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतानी चल रही है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस गुरुवार या शुक्रवार को दोबारा राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले सकते हैं। शिवसेना बीजेपी को बार बार 50-50 के फॉर्मूले को याद दिला रही है जिसका बीजेपी पर कोई असर नही हो रहा है। और बीजेपी यह भी उम्मीद जता रही है कि उसकी गठबंधन सहयोगी शिवसेना आगे कोई भी इस तरह का दबाव नही बनाएगी। आज भाजपा महाराष्ट्र की विधायक दल की बैठक होगी, जिसमें देवेंद्र फडणवीस का विधायक दल का नेता चुना जाना तय है। ये बैठक महाराष्ट्र विधान भवन में होगी। केंद्रीय आलाकमान की ओर से नरेंद्र सिंह तोमर, अविनाश राय खन्ना को पर्यवेक्षक बनाया गया है। जो विधायक दल का नेता चुनेंगे।
दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा को 105 और शिवसेना को 56 विधायक मिले हैं, कुल 161 का आंकड़ा बहुमत के आंकड़े से काफी अधिक है इस सब के बीच शिवसेना भाजपा से लिखित में सत्ता का बराबर बंटवारा और ढाई साल तक मुख्यमंत्री का पद संभालना चाहती है। भाजपा इसके लिए तैयार नहीं है जिसे लेकर दोनों पार्टियों के बीच एक राय नहीं बन पा रही है। भाजपा सूत्रों को उम्मीद है कि शिवसेना सरकार गठन में उसका साथ देगी बेशक दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच जुबानी जंग चल रही है। शिवसेना का साफ कहना है कि यदि उसकी मांगे पूरी नहीं होंगी तो वह अन्य विकल्पों पर विचार करने के बारे में सोच सकती है। इसके बावजूद भाजपा को लगता है कि शिवसेना उसके साथ आएगी क्योंकि दोनों ही पार्टियों के पास सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत नहीं है।
आपको बतादें कि बीजेपी को निर्दलीय विधायकों का समर्थन बराबर मिलता जा रहा है। साहूवाडी से जनसूर्या पार्टी के विधायक विनय कोरे, युवा स्वाभिमानी पार्टी के रवि राणा, मीरा-भयंडर से गीता जैन, बारसी से राजेंद्र राउत, उरान से महेश बाल्दी, गोंदिया से विनोद अग्रवाल अभी तक महाराष्ट्र में भाजपा को अपना समर्थन दे चुके हैं। शिवसेना के संजय राउत का कहना है, कि चुनाव से पहले भाजपा ने 50-50 फॉर्मूले का वादा किया था, जो मीडिया के सामने की ही बात है। इसी के तहत मुख्यमंत्री पद शिवसेना को मिलना चाहिए. शिवसेना के सामना में भी लगातार इस बारे में बात कहा जा रहा है। बीजेपी और शिवसेना के बीच इस मसले पर लगातार विवाद चल रहा है।