महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एकनाथ शिंदे सरकार ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। राज्य सरकार ने गाय को ‘राजमाता’ का दर्जा देने का फैसला लिया है। यह घोषणा महायुती सरकार ने सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में की। यह निर्णय चुनावी परिदृश्य में एक बड़ा कदम माना जा रहा है, जो सरकार के हिंदूवादी रुख को और मजबूत करता है।
कब और क्यों हुआ यह फैसला?
सरकार का मानना है कि भारतीय संस्कृति में गाय की विशेष स्थिति रही है, विशेषकर वैदिक काल से। देशी गायों के दूध की उपयोगिता, आयुर्वेद में गाय के गोबर और गोमूत्र का महत्व, तथा जैविक कृषि प्रणालियों में इनका उपयोग इस निर्णय के पीछे की वजह हैं। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने गाय को “राज्यमाता गोमाता” घोषित करने की मंजूरी दी है।
इस कदम का मुख्य उद्देश्य चुनावी माहौल को मजबूत करना और गाय के प्रति लोगों की भावनाओं को जोड़ना है। पिछले कुछ वर्षों में, गाय की सुरक्षा और संरक्षण को लेकर कई आंदोलन हुए हैं, और यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब चुनाव नजदीक हैं। शिंदे सरकार का यह कदम न केवल गाय के प्रति सम्मान को बढ़ावा देगा, बल्कि यह हिंदू मतदाताओं के बीच भी अपनी जगह मजबूत करने का प्रयास है।
गाय को भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान
गाय को भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान दिया गया है। इसे माता का दर्जा दिया जाता है और यह भारतीय जीवन का अभिन्न हिस्सा रही है। देशी गाय के दूध को स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है, जो न केवल मानव आहार का हिस्सा है बल्कि आयुर्वेद में इसके अनेक औषधीय गुण भी बताए गए हैं। इसके अलावा, जैविक खेती में गाय के गोबर और गोमूत्र का इस्तेमाल भी आम है, जो मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने में मदद करता है।