महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: आचार संहिता उल्लंघन पर शिंदे सरकार को बड़ा झटका

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही राज्य सरकार को चुनाव आयोग की ओर से एक बड़ा झटका लगा है। चुनाव आयोग ने आचार संहिता का उल्लंघन करने के आरोप में एकनाथ शिंदे की सरकार पर एक्शन लिया है। इस कारण शिंदे सरकार को कई जीआर (गवर्नमेंट रिजोल्यूशंस) और टेंडर्स कैंसिल करने पड़े हैं।

आचार संहिता का उल्लंघन

चुनाव आयोग ने पाया कि शिंदे सरकार ने आचार संहिता लगने से पहले कुछ अहम नियुक्तियां और फैसले लिए थे। आयोग ने स्पष्ट किया कि इन फैसलों को चुनाव आयोग की अनुमति के बिना लागू करना आचार संहिता का उल्लंघन है। इसके चलते सरकार को आदेश दिया गया है कि इन फैसलों को आचार संहिता के दौरान स्थगित रखा जाए। चुनाव आयोग ने इस पर सख्ती दिखाई और सरकार को निर्देशित किया कि किसी भी तरह के नए फैसले आचार संहिता के दौरान नहीं लिए जा सकते।

चुनाव आयोग ने राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी है, जिसमें उन सभी फैसलों की जानकारी हो, जिन पर जीआर निकाले गए हैं लेकिन जिनका अमल नहीं हुआ। आयोग ने यह भी कहा कि आचार संहिता लागू होने के बाद लिए गए फैसलों की प्रक्रिया को तुरंत रोक दिया जाए।

103 फैसले और 8 टेंडर रद्द

इस सख्त रवैये के बाद शिंदे सरकार को मजबूरन अपने फैसले वापस लेने पड़े। राज्य सरकार ने अपनी वेबसाइट पर जारी किए गए 103 फैसले और 8 टेंडर को रद्द कर दिया है। हाल ही में जब चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया, तब शिंदे सरकार ने तुरंत अपनी वेबसाइट पर कई नियुक्तियों और टेंडरों का ऐलान कर दिया था। इस पर चुनाव आयोग ने तुरंत हस्तक्षेप किया और सरकार को पत्र लिखकर बताया कि आचार संहिता लागू होने के बाद ऐसे फैसले नहीं लिए जा सकते।

आचार संहिता का उल्लंघन कर सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों के चलते एकनाथ शिंदे की सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। चुनाव आयोग का यह कदम न केवल शिंदे सरकार के लिए चुनौती है, बल्कि यह चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता को भी बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण है।

अब यह देखना होगा कि शिंदे सरकार इन चुनौतियों का सामना कैसे करती है और क्या वे चुनावी प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने में सफल हो पाएंगे। इस तरह के कदम चुनावी माहौल में तनाव बढ़ा सकते हैं और सरकार की साख पर असर डाल सकते हैं। चुनाव आयोग की नजरें अब सरकार के अगले कदमों पर हैं, जिससे यह स्पष्ट होगा कि क्या सरकार आचार संहिता के तहत सभी नियमों का पालन करेगी या नहीं।

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