महाराष्ट्र में पिछले विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद महाविकास अघाड़ी (MVA) के भीतर फूट पड़ गई है। दरअसल, सपा (समाजवादी पार्टी) ने अबू आजमी के नेतृत्व में गठबंधन से बाहर होने का ऐलान किया है। यह कदम शिवसेना (UBT) के एक नेता के बाबरी मस्जिद को लेकर की गई विवादित पोस्ट के कारण उठाया गया। मिलिंद नार्वेकर, जो शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट के वरिष्ठ नेता हैं, ने बाबरी मस्जिद ढहाने के मामले को लेकर एक पोस्ट किया था, जिसे लेकर सपा भड़क उठी और उसने महाविकास अघाड़ी से बाहर निकलने का फैसला लिया।
शिवसेना (UBT) का विवादित बयान, सपा ने उठाया बड़ा कदम
मिलिंद नार्वेकर ने सोशल मीडिया पर एक तस्वीर पोस्ट की थी, जिसमें बाबरी मस्जिद के विध्वंस को लेकर शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे का कथन था। नार्वेकर ने लिखा था कि उन्हें गर्व है उन लोगों पर जिन्होंने बाबरी मस्जिद को ढहाया। इसके साथ ही इस पोस्ट में उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे की तस्वीरें भी थीं। इस पोस्ट को लेकर सपा नेता अबू आजमी और पार्टी के अन्य नेताओं में गुस्सा पैदा हो गया।
अबू आजमी ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि शिवसेना ने जो पोस्ट की, वह उनकी विचारधारा से मेल नहीं खाती। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद के विध्वंस को लेकर किसी भी प्रकार की सकारात्मक टिप्पणी करना सपा के मूल्यों के खिलाफ है। अबू आजमी ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जो लोग इस घटना की तारीफ करते हैं, उनका और बीजेपी के बीच कोई अंतर नहीं है। इसके बाद ही सपा ने महाविकास अघाड़ी से अपने आप को अलग कर लिया।
चुनाव परिणाम के बाद गठबंधन में दरार
सपा के इस फैसले के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ आया है। महाविकास अघाड़ी को विधानसभा चुनाव में 46 सीटें मिली थीं, जिसमें सपा को भी दो सीटों पर जीत मिली थी। इन दोनों सीटों में से एक मानखुर्द शिवाजीनगर और दूसरी भिवंडी सीट थी, जो मुस्लिम बहुल हैं। सपा की इन सीटों पर जीत महाविकास अघाड़ी के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत थी, लेकिन अब यह गठबंधन टूटता हुआ नजर आ रहा है।
सपा के इस कदम से महाविकास अघाड़ी में एक बड़ी दरार पड़ी है और गठबंधन के अन्य दलों के बीच यह स्थिति अब चुनौतीपूर्ण हो गई है। फिलहाल, शिवसेना (UBT) की ओर से सपा के इस फैसले पर कोई बयान नहीं आया है। हालांकि, राजनीतिक हलकों में यह चर्चा हो रही है कि महाराष्ट्र में आगे की राजनीति में यह घटनाक्रम क्या असर डालने वाला है।
सपा की ओर से हिन्दुत्व पर उठाए गए सवाल
सपा के महाराष्ट्र प्रमुख अबू आजमी ने कहा कि शिवसेना के इस बयान के बाद यह साबित हो गया कि बीजेपी और शिवसेना की विचारधारा में कोई अंतर नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह घटना बीजेपी के नजरिए को ही समर्थन देने जैसी है। उन्होंने कहा कि सपा हमेशा से सामाजिक न्याय की पक्षधर रही है और वह ऐसे मुद्दों पर कभी समझौता नहीं कर सकती।
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना ने अपने हिंदुत्व के एजेंडे को पहले से ही मुखर किया है, लेकिन अब यह विवादित पोस्ट पार्टी के भीतर और बाहर के लोगों के लिए एक नया सवाल खड़ा कर रहा है। शिवसेना की ओर से बाबरी विध्वंस को ‘ऐतिहासिक’ और ‘महत्वपूर्ण’ मानना पार्टी के हिंदुत्व के एजेंडे को और भी स्पष्ट करता है।
अबू आजमी का बयान और सपा का रुख
सपा नेता अबू आजमी ने यह भी कहा कि जिस तरह से शिवसेना के नेता मिलिंद नार्वेकर ने बाबरी मस्जिद ढहाने की तारीफ की है, उस तरह की भाषा बोलने वालों में और बीजेपी में कोई फर्क नहीं रह जाता। उन्होंने यह भी कहा कि सपा इस तरह के बयान को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं कर सकती, और इस कारण पार्टी ने महाविकास अघाड़ी से बाहर निकलने का फैसला लिया है।
अबू आजमी ने यह भी कहा कि सपा का यह कदम उस पार्टी की विचारधारा के अनुरूप है, जो हमेशा से सामाजिक समरसता और भाईचारे की बात करती रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि शिवसेना की यह पोस्ट उन लोगों के साथ तालमेल बिठाने जैसा है जो बाबरी मस्जिद को गिराने का समर्थन करते हैं।
राजनीतिक हलचल के बीच शिवसेना की स्थिति
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद शिवसेना (UBT) की स्थिति कमजोर हुई है। पार्टी ने पहले ही हिंदुत्व के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है, लेकिन सपा का गठबंधन छोड़ने के बाद पार्टी को एक और बड़ा झटका लगा है। यह घटनाक्रम यह भी दर्शाता है कि महाराष्ट्र में सपा और शिवसेना के बीच के रिश्ते और राजनीतिक समीकरण अब मुश्किल दौर में हैं।
अब यह देखना बाकी है कि इस घटनाक्रम का आगामी चुनावों पर क्या असर पड़ता है। इसके साथ ही, महाविकास अघाड़ी के भीतर यह दरार और कितनी गहरी होती है, इस पर भी सबकी नजरें बनी रहेंगी।
सपा की मुस्लिम बहुल सीटों पर जीत
सपा के लिए इस चुनाव में मानखुर्द शिवाजीनगर और भिवंडी सीटों का विशेष महत्व था। यह दोनों सीटें मुस्लिम बहुल हैं, और सपा ने इन दोनों पर जीत दर्ज की थी। इन सीटों की जीत सपा के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संकेत मानी जा रही थी, लेकिन अब पार्टी का गठबंधन से बाहर जाना यह सवाल खड़ा करता है कि भविष्य में इन सीटों के राजनीतिक समीकरण कैसे बदलेंगे।
यह घटनाक्रम महाविकास अघाड़ी के भविष्य को लेकर कई सवाल उठाता है। अब देखना यह होगा कि इस टूट के बाद शिवसेना और सपा के बीच की राजनीति किस दिशा में आगे बढ़ेगी।