मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सत्ता की लड़ाई तो बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस के अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन के बीच हो रही है, लेकिन मुख्यमंत्री पद पर ताजा सस्पेंस बना हुआ है। दोनों ही गठबंधनों में यह तय नहीं हो पाया है कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा, और नतीजों के बाद इस मुद्दे पर एक बार फिर तकरार की संभावना जताई जा रही है।
कौन बनेगा महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री?
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी के साथ गठबंधन कर चुनावी मैदान में है, जबकि कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार की एनसीपी (एस) के साथ चुनाव लड़ रही है। हालांकि दोनों गठबंधन ने सीटों का बंटवारा तो कर लिया है, लेकिन मुख्यमंत्री पद पर सस्पेंस अभी भी कायम है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने साफ किया था कि एकनाथ शिंदे मौजूदा मुख्यमंत्री हैं, लेकिन चुनाव नतीजे आने के बाद एनडीए के तीनों दल बैठक कर मुख्यमंत्री का चुनाव करेंगे। इससे साफ होता है कि बीजेपी अभी शिंदे को सीएम चेहरा मानने के लिए तैयार नहीं है, और चुनाव के बाद ही सीएम के नाम का ऐलान होगा।
वहीं, कांग्रेस और उद्धव ठाकरे के गठबंधन में भी सीएम पद को लेकर चर्चा जारी है। शरद पवार ने भी अमित शाह की तरह यह बयान दिया है कि चुनाव के नतीजे आने के बाद इस मुद्दे पर फैसला किया जाएगा।
2019 का दोहराव?
2019 में जब विधानसभा चुनाव हुए थे, तब बीजेपी और शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर मतभेद उभरे थे। परिणामस्वरूप, उद्धव ठाकरे ने बीजेपी से गठबंधन तोड़कर कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई। लेकिन अब स्थिति फिर से वैसी ही बनती दिख रही है। बीजेपी और शिवसेना के बीच पुराने मतभेद और सीएम पद को लेकर उथल-पुथल ने एक बार फिर राजनीति में हलचल मचा दी है।
एकनाथ शिंदे ने पहले उद्धव ठाकरे से सीएम पद के लिए बगावत की थी, और बीजेपी ने उन्हें अपना समर्थन देकर नया सरकार बनवाया था। अब यदि बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद को लेकर फिर से अपनी रणनीति बदली, तो शिंदे और अजित पवार इसे आसानी से स्वीकार करेंगे, यह कहना मुश्किल है।
सीएम पद के अलावा विचारधाराओं का टकराव
सीएम पद के सवाल के अलावा, दोनों गठबंधनों के बीच वैचारिक मतभेद भी साफ नजर आ रहे हैं। उद्धव ठाकरे की शिवसेना हिंदुत्व के एजेंडे पर जोर देती है, जबकि कांग्रेस का इस पर अलग दृष्टिकोण है। वहीं, एनडीए में भी बीजेपी और अजित पवार की एनसीपी के बीच सांप्रदायिक राजनीति को लेकर टकराव देखा जा रहा है। अजित पवार ने साफ कहा है कि महाराष्ट्र में शिवाजी महाराज और डॉ. अंबेडकर की विचारधारा चलनी चाहिए, न कि बीजेपी का सांप्रदायिक एजेंडा।
महाराष्ट्र में एक बार फिर सत्ता के लिए उठ रहे सवाल यह दिखाते हैं कि चुनावी गठबंधन सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं होते, बल्कि उनके अंदर कई अंदरूनी मतभेद भी होते हैं। मुख्यमंत्री पद के लिए चुनाव के बाद फिर से मोलभाव और सियासी खेल की संभावना बनी हुई है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन किसके साथ खड़ा रहेगा।