मलेरिया की दवा कोरोना के इलाज में कारगर नहीं, ज्यादातर मरीजों ने तोड़ा दम;यूएस की एक स्टडी में खुलासा

राजसत्ता एक्सप्रेस। कोरोना वायरस की जंग के दौरान अपने ही देश में सवालों के घेरे में घिरे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की एक और कोशिश फेल होती दिखाई दी है। ट्रंप ने भारत से कोरोना के इलाज के लिए जो मलेरिया की दवा मांगी थी, वो स्टडी में फेल हो गई है। ये दावा खुद अमेरिका की ओर से किया गया है। US की स्टडी में खुलासा किया गया है कि मलेरिया की दवाई हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) कोविड-19 के गंभीर मरीजों के इलाज में कारगर नहीं है। इसके बारे में खुद न्यूयॉर्क के गवर्नर एंड्रूयू कुओमो ने बताया।

हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा कोरोना के इलाज में कारगर नहीं : स्टडी रिजल्ट

गुरुवार शाम को एक चैनल से बातचीत के दौरान गवर्नर एंड्रूयू कुओमो ने बताया कि बड़े पैमाने पर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर हुई स्टडी की प्राथमिक रिपोर्ट आ गई। जिसमें स्पष्ट हुआ है कि ये दवा कोविड-19 के गंभीर मरीजों के इलाज के लिए कारगर नहीं है। उन्होंने बताया कि 22 अस्पतालों में 600 कोरोना मरीजों पर न्यूयॉर्क स्टेट डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा के असर का अध्ययन किया, लेकिन नतीजा आशाजनक नहीं निकले।

 

जिन्हें मिली हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की दवा, वो नहीं कर पाए संक्रमण को बर्दाश्त

यूनिवर्सिटी ऑफ अलबानी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के डीन डेविड होल्टग्रेव ने बताया कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की दवा जिन मरीजों को दी गई, वो कोरोना के संक्रमण को बर्दाश्त ही नहीं कर पाए और ज्यादातर की मौत हो गई। ये दवा कोरोना संक्रमण से ग्रसित गंभीर मरीजों के लिए नहीं है।

NIH की स्टडी में भी हाइ़ड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन हुई थी फेल

न्यूयॉर्क गवर्नर के बयान से पहले भी हाइ़ड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर एक स्टडी सामने आ चुकी है। इस स्टडी में कहा गया था कि ये दवाई जितने मरीजों की दी गई है, उनमें से 28 फीसदी की मौत हो गई है। ये स्टडी अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) और यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया के शोधकर्ताओं ने की थी।
NIH की स्टडी में कहा गया था कि जिन मरीजों का सामान्य तरीके से कोरोना का इलाज हो रहा है, उनके मरने की आशंका कम हैं। जबकि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल से मरीजों की ज्यादा मौतें हुई हैं। समाचार एजेंसी एपी ने भी इस खबर को प्रकाशित किया था। जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की दवा देने की वजह से करीब 28 फीसदी मरीजों की मौत हो गई है, जबकि सामान्य तरीके से इलाज से मरीजों की केवल 11 फीसदी ही जान गई हैं। इस स्टडी में ये भी स्पष्ट कहा गया था कि कोरोना के मरीज को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की दवा अकेले दी जाए या एजिथ्रोमाइसिन के साथ दी जाए, दोनों के केस में मरीज के ठीक होने की संभावना कम हैं, जबकि हालत बिगड़ने और मौतों का आंकड़ा बढ़ने की आशंका ज्यादा है।

हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की दवा मिलने वाले ज्यादा मरीजों की मौत: NIH की स्टडी में खुलासा

NIH और यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया के वैज्ञानिकों की टीम द्वारा 368 कोरोना मरीजों के ट्रीटमेंट प्रक्रिया की जांच की। इनमें कई मरीज मर चुके थे या फिर ठीक होकर डिस्चार्ज किए जा चुके थे। इस जांच में ये बात सामने आई कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की दवा 97 मरीजों को दी गई है। जबकि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के साथ एजिथ्रोमाइसिन देने वाले मरीजों की संख्या 113 मरीजों थी। वहीं, कोरोना के इलाज के सामान्य तरीके का इस्तेमाल 158 मरीजों पर किया गया, यानी इन्हें हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन न ही अकेले दी गई और न ही एजिथ्रोमाइसिन के साथ। स्टडी में बताया गया कि जिन 97 मरीजों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की दवा दी गई थी, उनमें 27.8 फीसदी की मौत हो गई। जबकि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के साथ एजिथ्रोमाइसिन देने वाले 113 मरीजों में से 22.1 फीसदी मरीजों की मौत हो गई। वहीं, समान्य तरीके से इलाज करा रहे 158 मरीजों की बात करें तो, उनमें केवल 11.4 फीसदी मरीजों की ही जान गई।

न्यूयॉर्क टाइम्स का भी बड़ा खुलासा, ट्रंप भी घेरे में

इस स्टडी की रिपोर्ट से ही साफ हो गया था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जिस तरीके से मलेरिया के लिए उपयोग में लाई जाने वाली दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवाई की पैरवी कर रहे थे, वो दवाई असल में कोरोना के इलाज में कारगर है ही नहीं। न्यूयॉर्क टाइम्स का कहना है कि अगर दुनियाभर में कोरोना के इलाज के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को अनुमति मिल जाती है, तो इस दवा को बनाने वाली कंपनियों को बहुत फायदा पहुंचेगा।

ऐसी ही एक कंपनी में डोनाल्ड ट्रंप का भी शेयर है। इतना ही नहीं, इसी कंपनी के एक बड़े अधिकारियों के साथ भी ट्रंप का बहुत ही करीबी रिश्ता है। न्यूयॉर्क टाइम्स का ये भी कहना है कि फ्रांस की दवा कंपनी सैनोफी से भी डोनाल्ड ट्रंप का गहरा नाता है, कंपनी में उनके शेयर्स भी हैं। ये कंपनी मार्केट में प्लाकेनिल ब्रांड के नाम से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा बेचती है।

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