मनमानी और नासमझी ने मनोज तिवारी की कुर्सी छीन ली, रही सही कसर इन विवादों ने पूरी कर दी

फाइल फोटो

राजसत्ता एक्सप्रेस। आखिर क्या वजह है कि सांसद मनोज तिवारी को बीजेपी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष की पद से हाथ धोना पड़ गया। संगठन में हुआ ये फेरबदल रूटीन के तहत हुआ है, या फिर मनोज तिवारी की गलतियों का ये नतीजा है। इन सभी सवालों और विवादों से मनोज तिवारी के रिश्ते, बतौर बीजेपी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष उनकी नाकामयाबी से जुड़े हर बिंदु के बारे में विस्तार से बताएंगे। इससे पहले हम आपको बता दें कि दिल्ली BJP अध्यक्ष पद से छुट्टी के बाद मनोज तिवारी ने एक भावुक ट्वीट कर सभी से क्षमा मांगी है। इस ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘BJP प्रदेश अध्यक्ष के रूप में इस 3.6 साल के कार्यकाल में जो प्यार और सहयोग मिला उसके लिये सभी कार्यकर्ता, पदाधिकारी, व दिल्ली वासियों का सदैव आभारी रहूंगा. जाने अनजाने कोई त्रुटि हुई हो तो क्षमा करना. नए प्रदेश अध्यक्ष भाई आदेश गुप्ता जी को असंख्य बधाइयां।’

मंगलवार को पार्टी ने मनोज तिवारी की जगह आदेश कुमार गुप्ता को दिल्ली के नए प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है। इस फैसले के बाद से ही इसपर मंथन हो रहा है कि आखिर ऐसी क्या वजह हो सकती है कि मनोज तिवारी की इस पद से छुट्टी हो गई। इसके कई कारण हो सकते हैं। हाल ही में हरियाणा के सोनीपत में उनका लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करके क्रिकेट खेलना भी विवादों की फेहरिश्त का एक हिस्सा है।

पहली वजह- क्रिकेट
दिल्ली चुनावों में पार्टी की हार के बाद से ही ये माना जा रहा था कि मनोज तिवारी से दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष का पद वापस लिया जा सकता है। उन्होंने खुद दिल्ली हार की जिम्मेदारी ली, लेकिन शायद तब जो नहीं हुआ, उसे उनके हरियाणा में क्रिकेट खेलने के कार्य ने अब करने पर मजबूर कर दिया। हाल ही में मनोज तिवारी लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन कर हरियाणा की एक एकेडमी में क्रिकेट खेलते पहुंचे थे। इसपर खूब विवाद भी हुआ। कोरोना काल में जहां पूरी दुनिया अपने घरों में कैद है, वहां मनोज तिवारी का बाहर जाकर क्रिकेट खेलने का लोगों पर अच्छा संदेश नहीं गया। इसपर लेकर पार्टी की भी किरकिरी हुई। एक वजह उनके पद से हटाने की ये भी हो सकती है।

दूसरी वजह- दिल्ली चुनाव में BJP की बुरी हार
दिल्ली का विधानसभा चुनाव BJP ने मनोज तिवारी के नेतृत्व में लड़ा था, लेकिन वो ये चुनाव जीत नहीं सके। तमाम बड़े नेताओं की बयानबाजी वायरल होने के बाद भी मनोज तिवारी ही चुनावी समीकरणों की विसात सही से नहीं बिछा सके। उन्होंने इस हार की जिम्मेदारी भी ली थी। कहा जा रहा है कि उस वक्त पार्टी से उन्होंने उन्होंने अपने इस्तीफे की पेशकश की थी, लेकिन पार्टी किसी योग्य जमीनी नेता की तलाश में थी। जिसका मतलब है दिल्ली हारने के बाद से ही बीजेपी नए अध्यक्ष की तलाश में जुटी थी। ऐसे में पार्टी की खोज आदेश कुमार गुप्ता पर आकर खत्म होती है, जो उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महापौररहे हैं और वर्तमान में पटेल नगर से पार्षद हैं।

जमीनी कार्यकर्ताओं पर भरोसा
दिल्ली में बीजेपी ने सेलिब्रिटी नेताओं पर दांव चले, लेकिन वो सफल नहीं रहे। चाहें फिर वो किरन बेदी को CM पद का उम्मीदवार घोषित करना हो या फिर मनोज तिवारी को प्रदेश अध्यक्ष बनाना हो। इन प्रयोगों से बीजेपी पछता चुकी है। इसी क्रम में बीजेपी शायद अब सेलिब्रिटी नेताओं के मुकाबले कार्यकर्ताओं पर भरोसा ज्यादा करना चाह रही है। मनोज तिवारी की जगह जमीनी नेता आदेश कुमार गुप्ता की नियुक्ति इस बात की पुष्टि करती है।

आगामी नगर निगम चुनावों पर नजर
भले ही दिल्ली में बीजेपी की सरकार न बन सकी है, लेकिन नगर निगम पर अब भी बीजेपी का कब्जा है। दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी एमसीडी भी बीजेपी से छिनने की फिराक में हैं। ऐसे में आगामी आगामी नगर निगम चुनावों के चलते भी मनोज तिवारी को पद से हटाए जाने की एक वजह हो सकती है। तीनों ही नगर निगमों- दिल्ली-पूर्वी, पश्चिमी और उत्तरी पर बीजेपी कब्जा जमाए हुए हैं। 2022 में अगला MCD चुनाव है। ऐसे में मनोज तिवारी की जगह स्थानीय राजनीति में परिपक्व नेता को दिल्ली में अध्यक्ष के पद पर लाना जरूरी था। इसी कारण आदेश कुमार गुप्ता को ये जिम्मेदारी सौंपी गई है।

मनोज तिवारी साल 2016 में दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष बने थे। पूर्वांचली वोटरों को लुभाने के लिए मनोज तिवारी को अध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन दिल्ली के विधानसभा चुनाव में वो बीजेपी को सिर्फ 8 सीटें मिली थीं, जबकि मनोज तिवारी लगातार 45 से अधिक सीटों पर जीत दर्ज करने का दावा कर रहे थे।

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