पार्टी के लिए 370 और एनडीए के लिए 400 पार लोकसभा सीटों पर जीत का लक्ष्य तय करने वाली बीजेपी को इस बार चुनाव में जोर का झटका लगा। इन दोनों ही लक्ष्य को पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद तय किया था, लेकिन बीजेपी को सिर्फ 240 सीटें ही मिलीं। इसकी वजह से बीजेपी को सोशल मीडिया पर अपने समर्थकों से और राजनीति में अपने विपक्षी दलों से कटाक्ष का सामना करना पड़ रहा है। 2014 और 2019 में बीजेपी को खुद के दम पर 272 लोकसभा सीटें जीतकर बहुमत हासिल करने का गौरव मिला था, लेकिन इस बार वो बहुमत भी हासिल नहीं कर सकी है और टीडीपी व जेडीयू के सहारे सरकार चलाने जा रही है। इसे बीजेपी नेतृत्व ने बहुत गंभीरता से लिया है और हर उस लोकसभा सीट का आकलन हो रहा है, जहां पार्टी का उम्मीदवार लोकसभा चुनाव लड़ा था।
दरअसल, इस बार बीजेपी तमाम सीटों पर हारी ही नहीं, बल्कि उसके अहम प्रत्याशियों के वोट भी कम हो गए। खुद पीएम नरेंद्र मोदी 1.50 लाख वोट से जीते। जबकि, 2019 में वो 5 लाख वोट से वाराणसी लोकसभा सीट पर विजयी हुए थे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी 2019 के मुकाबले उस लखनऊ से कम वोट से जीते, जो हमेशा बीजेपी का गढ़ रहा है। राम मंदिर वाले अयोध्या और अमेठी की सीट भी गंवा बैठने से बीजेपी में खलबली बताई जा रही है। इसी तरह तमाम सीटें ऐसी हैं, जहां 500 या 1000 वोटों से ही बीजेपी जीत सकी है। इसके अलावा यूपी में जिस तरह 2017 से चुनावों में बीजेपी लगातार बंपर जीत हासिल करती रही, वहां समाजवादी पार्टी से मिली पटकनी को भी पार्टी के नेतृत्व ने गंभीरता से लिया है। महाराष्ट्र, बंगाल और बिहार में लगे झटकों पर भी बीजेपी मंथन कर रही है।
सूत्रों के मुताबिक सभी सीटों पर जीत हार का आकलन करने के बाद बीजेपी का नेतृत्व कड़े फैसले लेने जा रहा है। कड़े फैसलों में जिम्मेदार नेताओं पर बीजेपी गाज भी गिरा सकती है। ऐसे में आगे जो विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, उनमें तमाम नेताओं का टिकट भी कट सकता है। कारण बताओ नोटिस भी नेताओं को मिल सकते हैं। सोशल मीडिया पर ऐसे तमाम वीडियो भी सामने आ रहे हैं, जिनमें बीजेपी के नेता अपने ही प्रत्याशी के खिलाफ भी कथित तौर पर माहौल बनाते दिख रहे हैं। इन सभी को बीजेपी नेतृत्व अपने आकलन के तहत ध्यान में रख रहा है। कुल मिलाकर बीजेपी का नेतृत्व अब इसकी तैयारी कर रहा है कि किस तरह पार्टी को एक बार फिर सिरमौर बनाया जा सके।