नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश के वृंदावन में अपनी मांगों को लेकर 5 सितंबर (बुधवार) को हजारों की संख्य़ा में ब्राह्मण समाज के लोगों ने वृंदावन में विप्र महाकुंभ का आयोजन किया. विप्र महाकुम्भ में वक्ताओं ने एससी/एसटी एक्ट,श्री गीता ग्रन्थ समेत अन्य मुद्दों पर सरकार के सामने अपनी मांगें रखीं.
वृंदावन-छटीकरा मार्ग पर शांति सेवा धाम में आयोजित विप्र महाकुंभ को संबोधित करते हुए भगवताचार्य देवकीनंदन ठाकुरजी ने कहा कि “संसद में भाजपा आज तक राम मंदिर निर्माण, कश्मीर में धारा 370 ए, धारा 35 ए को हटाने के लिए कानून बनाने से पीछे हट रही है वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को बदलकर सवर्णों के अधिकारों और स्वाभिमान को कुचलने का प्रयास कर रही है”
जगदीश प्रसाद सुपानिया ने कहा कि, “सुप्रीम कोर्ट ने जब एससी-एसटी एक्ट को लेकर अपना निर्णय दे दिया था तो आखिर क्या जरूरत आन पड़ी कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट का निर्णय बदलना पड़ा. 78 करोड़ सवर्णों को दबाने-कुचलने वाला यह कानून सहन नहीं करेंगे”
विप्र महाकुंभ के संबंध में स्वामी प्रथमेश शर्मा ने राजसत्ता को बाताया कि, “हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथ और देवी-देवताओं के खिलाफ अभद्र टिप्पणी या आपत्तिजनक पोस्ट नजर आती हैं जिस प्रकार एससी-एसटी एक्ट बनाया गया है इस तरह ही इनके खिलाफ बयानवाजी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. मोदी जी और योगी जी ने कहा था कि गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाएंगे, गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाने की मांग रखी गई है, इसको राष्ट्रीय ग्रंथ बनाया जाए.”
इसके अलावा महाकुंभ का आयोजन कर ब्राह्मण समाज ने ये मांगें रखी हैं-
1. एससी/एसटी एक्ट को सुप्रीम कोर्ट के आधार अनुसार ही लागू किया जाए.
2. सवर्ण आयोग का गठन किया जाए.
3. कश्मीरी ब्राह्मणों को पुनर्स्थापित किया जाए.
4. श्री गीता ग्रन्थ को राष्ट्रीय ग्रन्थ घोषित करके शैक्षिक पाठकों में शामिल किया जाए.
5. सनातन धर्म के ग्रन्थ एवं देवी-देवताओं की मूर्तिंयों का अपमान करने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही करने एवं सख्त दंड का विधान हो, इस पर ईशनिंदा की तर्ज पर बनें,
6. सम्पूर्ण भारत वर्ष के तीर्थस्थलों, मंदिरों के पंडा- पुजारियों एवं तीर्थ पुरोहितों के अधिकारों का संरक्षण किया जाए.
7. भगवान श्री परशुराम जी की जयन्ती पर राष्ट्रीय अवकास घोषित किया जाए.
8. सम्पूर्ण बृज चौरासी कोस को तीर्थस्थल घोषित किया जाए.
भारत बंद का ऐलान कर सड़कों पर उतरा सवर्ण समाज
केंद्र सरकार ने हाल ही में संशोधित अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) एक्ट लागू किया है, लेकिन सरकार के इस संशोधित एससी/एसटी एक्ट को लेकर सवर्ण समाज के लोग विरोध में उतर आए हैं. जगह-जगह सवर्णों से जुड़े संगठन एससी/एसटी एक्ट में किए गए संशोधन का विरोध कर रहे हैं.
मध्यप्रदेश और बिहार में एससी/एसटी एक्ट के खिलाफ आज हजारों की संख्या में विप्र समाज के लोग सड़कों पर उतर आए. बुधवार को भी उनका विरोध प्रदर्शन बेहद उग्र रहा था. हालात बिगड़ने के डर से मध्यप्रदेश के 5 जिलों में धारा 144 लागू कर दी गई थी. भारत बंद के दौरान किसी तरह की अनहोनी की आशंका से मध्यप्रदेश सरकार के सभी मंत्रियों ने सार्वजनिक सभाएं भी रद्द कर दी थी.