पंजाब में दलित नेता को CM बनाने पर कांग्रेस पर बरसीं मायावती, कही ये बड़ी बात

नई दिल्ली। भारतीय राजनीति में किसी विशेष जाति के नाम पर मतदाताओं को रिझाने का चलन हमेशा से ही रहा है। आज एक बार फिर कुछ ऐसा ही पंजाब में देखने को मिला, जब पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से इस्तीफा लेने के बाद दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले कांग्रेस नेता चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस ने ऐसा प्रदेश के कुल 30 फीसदी से भी ज्यादा दलित मतदाताओं को रिझाने के लिए किया है।

वहीं, कांग्रेस के इस फैसले को लेकर अब सियासत भी तेज हो गई है। इसी बीच अब यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती ने कांग्रेस के इस फैसले पर जमकर हमला बोला है। एक तरफ जहां मायावती ने कांग्रेस द्वारा चरणजीत सिंह चन्नी के मुख्यमंत्री बनाए जाने पर बधाई दी, वहीं दूसरी ओर इसे कांग्रेस का महज चुनावी हथकंडा बताया है।

मायावती ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, कांग्रेस ने यह फैसला महज आगामी विधानसभा चुनाव में दलितों का वोट पाने के लिए किया है, बल्कि वास्तविक तो यह है कि कांग्रेस को कभी भी दलितों की चिंता नहीं रही है। इतना ही नहीं, दलितों से जुड़े हर मसले को लेकर मुखर रहने वाली मायावती ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस मुसीबत के समय ही दलितों को याद करती है।

उन्होंने पंजाब के लोगों को हिदायत देते हुए कांग्रेस से सावधान रहना को भी कहा है। बहरहाल, सियासी गलियारों में कोई कुछ भी कहे, लेकिन अब कांग्रेस द्वारा किसी दलित चेहरे को मुख्यमंत्री बनाए जाने का फैसला आगामी चुनाव में उसे कितना फायदा पहुंचाता है, यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा, मगर वर्तमान में कांग्रेस के इस कदम की हर कोई चर्चा कर रहा है।

वहीं, मायावती के सियासी बाण यहीं नहीं थमे। उन्होंने आगे कहा कि इससे पहले भी इससे पहले भी कांग्रेस का ओबीसी प्रेम उभरा था, लेकिन आपको यहां एक बात जाननी होगी कि कांग्रेस का यह प्यार महज चुनावी मौसम में ही उभरता है। इसके बाद शांत हो जाता है। उन्होंने कांग्रेस पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस को ओबीसी की इतनी ही फिक्र है, तो जातिगत जनगणना क्यों नहीं करवाती।

उन्होंने आगे कहा कि अगर कांग्रेस को दलितों और ओबीसी की इतनी ही चिंता है, तो सरकारी नौकरियों में खाली पड़े पदों को क्यों नहीं भरवाती है। यह सब महज कांग्रेस की सियासी चाल है, जो आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए चली गई है, लेकिन अब यह चाल कितनी कामायब हो पाती है, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

 
 

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