पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के साथ 13850 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने वाले भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को आखिरकार बेल्जियम में गिरफ्तार कर लिया गया है। ये गिरफ्तारी न सिर्फ भारत के लिए एक बड़ी जीत है, बल्कि उस घोटाले की परतें भी फिर से सामने ले आई है, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। चोकसी की गिरफ्तारी ने लोगों की रुचि एक बार फिर से इस घोटाले में जगा दी है और लोग जानना चाहते हैं कि आखिर किस तरह से इस पूरे घोटाले को अंजाम दिया गया। आइए, जानते हैं कैसे शुरू हुआ था ये खेल, किसने बजाई थी खतरे की घंटी और अब क्या होगा आगे…
2011 से शुरू हुआ था घोटाले का खेल
मेहुल चोकसी, जो गीतांजलि ग्रुप का मालिक है, उसने 2011 से ही बैंकिंग सिस्टम की खामियों का फायदा उठाना शुरू कर दिया था। पीएनबी के कुछ अंदरूनी कर्मचारियों की मदद से उसने लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग (LoUs) के जरिए अरबों रुपये का कर्ज ले लिया। इस कर्ज की कोई गारंटी नहीं थी और इसे कभी बैंक के रिकॉर्ड में ठीक से दर्शाया भी नहीं गया। इन फर्जी LoUs के दम पर चोकसी की कंपनियों ने विदेशी बैंकों से लोन उठाए – और वो लोन न कभी चुकाए गए, न ही सही तरीके से डॉक्यूमेंट्स में दिखाए गए।
पहली चेतावनी आई थी 2015 में
बेंगलुरु के एक उद्यमी हरिप्रसाद एसवी इस घोटाले के पहले व्हिसल ब्लोअर माने जाते हैं। उन्होंने 2015 में ही पुलिस और कई केंद्रीय एजेंसियों को चोकसी और गीतांजलि ग्रुप की संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी दी थी। उनका दावा था कि कंपनी ने उनसे करीब 10 करोड़ रुपये की ठगी की है। हरिप्रसाद को कंपनी की बैलेंस शीट्स में गड़बड़ नजर आई, जिसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय, CBI, ED, SEBI और अन्य संस्थानों को सूचित किया। लेकिन अफसोस, तब इस शिकायत को नजरअंदाज कर दिया गया।
2018 में हुआ बड़ा खुलासा
2018 में खुद PNB ने घोटाले का खुलासा किया। चौंकाने वाली बात ये थी कि घोटाले की रकम ₹13,850 करोड़ तक पहुंच चुकी थी। मुख्य आरोपी थे मेहुल चोकसी और उसका भांजा नीरव मोदी। खुलासे से कुछ ही दिन पहले, 2 जनवरी 2018 को चोकसी चुपचाप देश छोड़ चुका था। वो पहले अमेरिका गया, फिर वहां से एंटिगुआ पहुंचा और वहां की नागरिकता ले ली।
बेल्जियम में हुई गिरफ्तारी, अब भारत वापसी की तैयारी
लेटेस्ट अपडेट के मुताबिक, चोकसी बेल्जियम के एंटवर्प शहर में अपनी पत्नी प्रीति के साथ रह रहा था। वहीं उसने रेजीडेंसी कार्ड भी हासिल कर लिया था। लेकिन भारत की CBI और ED की रिक्वेस्ट पर बेल्जियम पुलिस ने उसे अस्पताल से ही गिरफ्तार कर लिया। हालांकि उसके वकील अब स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर प्रत्यर्पण रोकने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन भारत सरकार पूरी कोशिश में है कि उसे जल्द भारत लाया जाए।
व्हिसल ब्लोअर ने कहा, ‘यह सिर्फ गिरफ्तारी नहीं, यह विश्वास की जीत है’
इस गिरफ्तारी के बाद सबसे ज्यादा संतोष शायद हरिप्रसाद एसवी को मिला होगा, जिन्होंने सबसे पहले इस घोटाले को उजागर करने की कोशिश की थी। उनका कहना है, “ये उन सभी के लिए राहत की खबर है जिन्हें चोकसी ने ठगा था। अब भारत सरकार को चाहिए कि उसे लाकर न्याय दिलाए और देश का पैसा वसूल करे।” इसी तरह संतोष श्रीवास्तव, जो गीतांजलि जेम्स के पूर्व MD रह चुके हैं और इस घोटाले के शिकायतकर्ता भी रहे हैं, कहते हैं – “अब वक्त है कि उसे कानून के कटघरे में लाया जाए और जनता का पैसा वापस मिले।”