नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ट्रिपल तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) और निकाह हलाला संबंधी मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 में केंद्रीय कैबिनेट ने कुछ संशोधन को मंजूरी दे दी है. जिसमें तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) के मामले को गैर जमानती अपराध तो माना गया है मगर अब मजिस्ट्रेट को यह अधिकार दिया गया है कि वह आरोपी को ज़मानत दे सकते हैं.
पिछले साल शीतकालीन सत्र में राज्यसभा में विपक्ष के विरोध के कारण लटके मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 में संशोधन को केंद्रीय कैबिनेट नें मंजूरी दे दी है.
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गुरुवार हुई कैबिनेट की बैठक में तीन तलाक को गैर जमानती अपराध तो माना गया है लेकिन अब मजिस्ट्रेट को जमानत देने का अधिकार दे दिया गया है. अब संशोधित बिल में पीड़िता या उसके खून के रिश्ते के किसी शख्स को एफआईआर दर्ज कराने का अधिकार होगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में ये फैसला लिया गया. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि ट्रिपल तलाक एक गैर-ज़मानती अपराध बना रहेगा. हालांकि मजिस्ट्रेट के पास दोषी को ज़मानत देने का अधिकार होगा. रविशंकर प्रसाद ने यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी से नए बिल को समर्थन देने की अपील भी की.