मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ घोषित किया है। इस संबंध ने केंद्र सरकार की ओर से नोटिफिकेशन जारी किया गया है। 25 जून 1975 को देश में इमरजेंसी लागू किया था। 25 जून को टसंविधान हत्या दिवसट घोषित करने की जानकारी खुद गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दी।
लाखों लोगों के संघर्ष का सम्मान
गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी पोस्ट में लिखा, पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले का उद्देश्य उन लाखों लोगों के संघर्ष का सम्मान करना है, जिन्होंने तानाशाही सरकार की असंख्य यातनाओं व उत्पीड़न का सामना करने के बावजूद लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए संघर्ष किया। ‘संविधान हत्या दिवस’ हर भारतीय के अंदर लोकतंत्र की रक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की अमर ज्योति को जीवित रखने का काम करेगा, ताकि कांग्रेस जैसी कोई भी तानाशाही मानसिकता भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न कर पाए।
The decision made by the government led by PM Shri @narendramodi Ji is intended to honor the spirit of millions who struggled to revive democracy despite facing inexplicable persecution at the hands of an oppressive government.
The observance of 'Samvidhaan Hatya Diwas' will…
— Amit Shah (@AmitShah) July 12, 2024
इतिहास का काला दौर-पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने सोशल मीडिया एक्स हैंडल पर गृह मंत्री अमित शाह के पोस्ट को शेयर किया। उन्होंने लिखा-25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाना हमें याद दिलाएगा कि जब भारत के संविधान को कुचला गया था, तब क्या हुआ था। यह उन सभी लोगों को श्रद्धांजलि देने का भी दिन है, जिन्होंने आपातकाल की ज्यादतियों के कारण कष्ट झेले थे। आपातकाल भारतीय इतिहास का एक काला दौर था।
25 जून 1975 को लगाई गई थी इमरजेंसी
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में 25 जून 1975 को पूरे देश में इमरजेंसी लागू कर दिया गया था। तत्कालीन सरकार का फैसला काफी विवादास्पद रहा था। इंदिरा सरकार ने इसे लागू करने के लिए राजनीतिक अस्थिरता को भी एक वजह बताया था। इमरजेंसी के दौरान प्रेस पर सेंशरशिप लागू करने के साथ ही नागरिकों की स्वतंत्रता के अधिकार को भी सीमित कर दिया गया था।
क्यों लगाई गई इमरजेंसी
बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली तत्कालीन केंद्र सरकार ने इमरजेंसी लागू कर दिया था। हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी के चुनाव को चुनौती देनेवाली याचिका पर 12 जून 1975 को फैसला सुनाते हुए रायबरेली से उनके निर्वाचन को रद्द कर करने के साथ ही अगले 6 साल तक उनके चुनाव लड़ने पर पाबंदी भी लगा दिया था। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद देश में जगह-जगह आंदोलन होने लगे। इंदिरा इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गईं लेकिन उन्हें वहां भी राहत नहीं मिली और सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। इसके बाद इंदिरा सरकार ने इमरजेंसी लागू करने का फैसला लिया