नई दिल्ली, राजसत्ता एक्सप्रेस। कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच के लिए चीनी रैपिड टेस्ट किट के फेल हो जाने के बाद अब भारत ने खुद किट बनाने की कमान संभाल ली है। इसके लिए मोदी सरकार ने अब देश में ही ‘मेक इन इंडिया’ की ओर अपना ध्यान केन्द्रित कर भारत की कंपनियों से संपर्क बढ़ाया है। भारत के कई राज्यों में ये टेस्टिंग किट बननी भी शुरू हो गई है, जो कि चीनी किट से सस्ती होंगी, मतलब की आने वाले समय में भारत को दुनिया की ओर नहीं देखना पड़ेगा।
भारत में ये किट हरियाणा के मानेसर में सरकारी कंपनी एचएलएल हेल्थकेयर बना रही है। ये कंपनी अबतक करीब एक लाख किट बना चुकी है। एचएलएल हेल्थ केयर ने इस किट का नाम ‘मेक श्योर’ रखा है। उधर, महाराष्ट्र के लोनावला की डायग्नोस्टिक फर्म माइलैब्स आरटी-पीसीआर भी किट बना रही है। ये कंपनी एक हफ्ते में तकरीबन 1 लाख 50 हजार किट तक बना रही हैं। डायग्नोस्टिक फर्म की ये किट ढाई घंटे में कोरोना का टेस्ट रिजल्ट दे देगी। वहीं, हरियाणा के गुरुग्राम स्थित दक्षिण कोरियाई कंपनी एसडी बायोसेंसर भी ये किट बना रही है। एसडी बायोसेंसर दो लाख किट बना चुकी है। कंपनी की मानें, तो एसडी बायोसेंसर एक दिन में लाख किट बनाने की क्षमता है। इसे बढ़ाकर तीन लाख किया जा सकता है।
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सरकार के मेक इन इंडिया प्लान के अनुसार, देश में 20 लाख टेस्टिंग किट हर महीने बनाने की योजना है। साथ ही, सरकार हर महीने 10 हजार वेंटीलेटर बनाने की भी योजना बना रही है। उधर, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने आरटी-पीसीआर किट की नई तकनीक खोजी है। बीएचयू के मेडिकल डिपार्टमेंट ऑफ मॉलीकुलर एंड ह्यूमन जेनेटिक्स के अनुसार, इस किट से छह घंटों में जांच रिपोर्ट मिल जाएगी।
इस मेडिकल इमरजेंसी में जहां दुनियाभर के देशों के पास मेडिकल उत्पादों की भारी कमी आ रही है। वहीं, भारत के इस मेक इन इंडिया प्लान से देश को कोरोना की लड़ाई में बल मिलेगा, लॉकडाउन में इन कंपनियों के पास स्टाप कम होने के चलते किट कम बन रहे हैं आने वाले दिनों में इन कंपनियों में स्टाप बड़ाकर उत्पाद भी बढ़ाया जाएगा।