Monday, June 9, 2025

मोदी 3.0 का एक साल: गठबंधन की ताकत, ऑपरेशन सिंदूर से आतंकियों पर प्रहार, जातिगत जनगणना का ऐतिहासिक कदम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल को आज 9 जून 2025 को एक साल पूरा हो गया। 11 साल के सियासी सफर में मोदी ने पंडित जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद तीसरी बार पीएम बनने का रिकॉर्ड कायम किया। इस बार की सरकार 2014 और 2019 वाली नहीं थी, क्योंकि बीजेपी को अकेले बहुमत नहीं मिला और NDA गठबंधन के सहारे सरकार बनी। फिर भी, मोदी का वही जोश, वही तेज़-तर्रार फैसले और वही बुलंद नेतृत्व देखने को मिला। गठबंधन को साथ लेकर चलने से लेकर आतंकियों को मिट्टी में मिलाने और जातिगत जनगणना जैसे बड़े फैसलों तक, इस एक साल में मोदी सरकार ने कई मील के पत्थर गाड़े।

गठबंधन को बनाया अटूट ताकत

2024 का लोकसभा चुनाव बीजेपी के लिए पहले जैसा आसान नहीं रहा। पार्टी को अपने दम पर बहुमत नहीं मिला, लेकिन NDA के सहयोगी दलों के साथ मिलकर नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार पीएम की कुर्सी संभाली। विपक्ष ने तंज कसा कि मोदी को गठबंधन चलाने का अनुभव नहीं, वो सिर्फ पूर्ण बहुमत वाली सरकार ही चला सकते हैं। लेकिन मोदी ने इन सारे दावों को धूल चटा दी। नीतीश कुमार की JDU, चंद्रबाबू नायडू की TDP और चिराग पासवान की LJP जैसे सहयोगी न सिर्फ मजबूती से साथ खड़े रहे, बल्कि संसद में वक्फ संशोधन विधेयक जैसे बड़े बिल को पास कराने में भी पूरा दम दिखाया। ये साबित करता है कि मोदी सहयोगियों का भरोसा जीतने में माहिर हैं। चाहे वो नीतीश हों या नायडू, सबने मोदी के नेतृत्व की जमकर तारीफ की।

बीजेपी ने फिर पकड़ी सियासी रफ्तार

2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सीटें कम हुई थीं। हरियाणा और महाराष्ट्र में पार्टी का प्रदर्शन उम्मीद से कम रहा। लेकिन बीजेपी ने हार नहीं मानी। विधानसभा चुनावों में हरियाणा और महाराष्ट्र में शानदार जीत हासिल कर पार्टी ने अपनी खोई ज़मीन वापस पा ली। सबसे बड़ा धमाका दिल्ली में हुआ, जहां 27 साल बाद बीजेपी ने सत्ता में वापसी की और अरविंद केजरीवाल की AAP को करारी शिकस्त दी। इन जीतों ने न सिर्फ बीजेपी का सियासी भरोसा लौटाया, बल्कि पार्टी को पहले से कहीं ज्यादा मज़बूत बनाया। कल्याणकारी योजनाओं और ज़मीनी नेतृत्व के दम पर बीजेपी ने दिखा दिया कि वो हर चुनौती को मौके में बदल सकती है।

ऑपरेशन सिंदूर: आतंकियों को करारा जवाब

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद 7 मई 2025 को शुरू हुआ ऑपरेशन सिंदूर भारत का सटीक और संयमित सैन्य जवाब था। भारतीय सेना ने सीमा पार पाकिस्तान में 9 आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया। पीएम मोदी ने हमले के बाद साफ कह दिया था कि आतंकियों को मिट्टी में मिला देंगे, और ये करके दिखाया। इस कार्रवाई ने एक बार फिर साबित किया कि भारत की तरफ आंख उठाने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता। चाहे डोकलाम और गलवान में चीन को जवाब देना हो या पाकिस्तान को हर आतंकी हमले का मुंहतोड़ जवाब, मोदी सरकार ने राष्ट्रवाद को नई ऊंचाई दी। इस ऑपरेशन ने मोदी की उस छवि को और मज़बूत किया, जो एक निर्णायक और राष्ट्रहित में काम करने वाले नेता की है।

जातिगत जनगणना का बड़ा दांव

देश में जातिगत जनगणना की मांग दशकों से हो रही थी, लेकिन कोई भी सरकार इसे लागू करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई। मोदी सरकार ने आजादी के बाद पहली बार इस दिशा में कदम उठाया और जातिगत जनगणना कराने का ऐलान किया। खासकर OBC समुदाय की लंबे समय से चली आ रही इस मांग को पूरा करते हुए सरकार ने एक बड़ा सियासी दांव खेला। इस फैसले ने न सिर्फ विपक्ष के हाथ से एक अहम मुद्दा छीन लिया, बल्कि बीजेपी को सामाजिक और राजनीतिक रूप से और मज़बूत किया। ये कदम दिखाता है कि मोदी सरकार बड़े और संवेदनशील मुद्दों पर भी फैसले लेने से नहीं हिचकती।

वक्फ संशोधन: पारदर्शिता की ओर साहसिक कदम

मोदी सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक को संसद में पास कराकर एक और बड़ा सियासी कदम उठाया। इस विधेयक को पास कराने में NDA के सहयोगी दलों ने पूरा साथ दिया। ये बिल मुस्लिम समुदाय से जुड़े वक्फ बोर्ड को और पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में एक अहम कदम है। सरकार का दावा है कि इस बिल से वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन होगा, जिससे गरीब और वंचित मुस्लिम समुदाय, खासकर विधवाओं और तलाकशुदा महिलाओं को फायदा होगा।

बिल में गैर-मुस्लिम सदस्यों को वक्फ बोर्ड में शामिल करने, ‘वक्फ बाय यूज़र’ की अवधारणा को खत्म करने और अवैध कब्जों पर सख्ती जैसे बदलाव शामिल हैं। हालांकि, विपक्ष और कुछ मुस्लिम संगठनों ने इसे मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता पर हमला बताया और इसका जमकर विरोध किया। फिर भी, मोदी सरकार ने गठबंधन की ताकत और अपने दमदार नेतृत्व के बूते इस बिल को 3 अप्रैल 2025 को लोकसभा और 4 अप्रैल 2025 को राज्यसभा में पास करा लिया।

चुनौतियों के बीच अडिग नेतृत्व

तीसरे कार्यकाल में कई चुनौतियां थीं। गठबंधन की सरकार चलाना, विपक्ष के तंज, आतंकी हमले और सियासी उलटफेर, लेकिन मोदी ने हर मोर्चे पर अपनी बादशाहत कायम रखी। चाहे वो सहयोगी दलों के साथ तालमेल बिठाना हो, आतंकियों को जवाब देना हो या फिर जनता की मांगों को पूरा करना, मोदी ने हर कदम पर दिखाया कि वो क्यों देश के सबसे लोकप्रिय नेताओं में शुमार हैं। इस एक साल में मोदी सरकार ने न सिर्फ अपनी सियासी ज़मीन बचाई, बल्कि उसे पहले से कहीं ज्यादा मज़बूत किया।

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