4 फरवरी 2019 को मौनी अमावस्या के दिन आज त्रिवेणी संगम की नगरी प्रयागराज में कुंभ का दूसरा शाही स्नान किया जा रहा है. 4 फरवरी सोमवार को माघ मास की यह अमावस्या पड़ी है. इसी दिन कुंभ के पहले तीर्थंकर ऋषभ देव ने अपनी लंबी तपस्या का मौन व्रत तोड़ा था और संगम के पवित्र जल में स्नान किया था. मौनी अमावस्या का दिन बहुत पवित्र होता है. श्रवण नक्षत्र होने से पवित्र महोदय योग बना है.
इस दिन मौन व्रत धारण किया जाता है. अर्ध्य कुंभ मेले में बहुत बड़ा मेला लगता है, जिसमें लाखों की संख्या में भीड़ उमड़ती है. मौनी अमावस्या के दिन स्नान के लिए कुंभ में लाखों की तादाद में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं. तर्पण, स्नान, दान आदि के लिए बहुत ही पुण्य फलदायी माना जाता है. इस दिन जो लोग कुंभ में जाकर स्नान नहीं कर सकते हैं, वो घर में गंगाजल डालकर स्नान करें. मान्यता है कि पूरे मन से इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाए तो आयु लंबी होती है.
प्रयागराज में आज मौनी अमावस्या के खास दिन कुंभ में दूसरा शाही स्नान किया जा रहा है. माघ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या मौनी अमावस्या कही जाती है. इस दिन का और इस दिन कुंभ स्नान का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. दूसरे शाही स्नान को देखते हुए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने काफी तैयारियां की हैं. पहले शाही स्नान पर श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए दूसरे शाही स्नान पर घाटों की संख्या में भी इजाफा किया गया है.
पहला शाही स्नान मकर संक्रांति पर संपन्न हुआ था. प्रयागराज कुंभ के दूसरे प्रमुख शाही स्नान, मौनी अमावस्या के लिए एक-दो पहले से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचने लगे थे. एक अनुमान के मुताबिक, मौनी अमावस्या के मौके पर प्रयागराज में 3 करोड़ से भी ज्यादा श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है. इस भारी भीड़ को देखते हुए दूसरे शाही स्नान में करीब 40 घाटों पर स्नान की व्यवस्था की गई है. संगम नोज पर स्नान के लिए करीब 6 किलोमीटर का घाट तैयार कराया गया है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुंभ में सारे अखाड़े इस खास दिन ब्रह्म मुहूर्त से ही शाही स्नान करने के लिए पहुंचने लगे हैं. शाही स्नान का समय सुबह 6:15 से शाम 4:20 तक है. दूसरे शाही स्नान में श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था और चाक-चौबंद कर दी गई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, यातायात व्यवस्था बेहतर करने के साथ ही मेला क्षेत्र में 58 फायर स्टेशन व 96 वॉच टावर भी बनाए गए हैं. सोमवार के दिन अमावस्या पड़ने की वजह से आज के दिन का महत्व कई गुना बढ़ गया है. कई वर्षों बाद यह अद्भुत संयोग पड़ रहा है जब सोमवती और मौनी अमावस्या एक ही दिन पड़ रही हैं.
भगवान मनु का जन्म हुआ था
हिंदू धर्म के मुताबिक, माघ अमावस्या के दिन भगवान मनु का जन्म हुआ था. मौनी अमावस्या जैसे की नाम से ही स्पष्ट होता है, इस दिन मौन रहकर व्रत रखना चाहिए. इस दिन पवित्र जलाशय, नदियों में स्नान व पितरों का तर्पण करने से पितरों को शांति और कई गुना पुण्य मिलता है. मौन व्रत रखने से वाक्य सिद्धि की प्राप्ति होती है. मौनी अमावस्या को गूंगी अमावस्या भी कहा जाता है. कुछ लोग स्नान से पहले मौन रहते हैं, तो कुछ व्रत रखकर मौन रहते हैं. इस दिन सूर्य नारायण को अर्घ्य देने से गरीबी और दरिद्रता दूर होती है. साथ ही सारी बीमारी और पाप दूर हो जाते हैं.
मौन व्रत का महत्व
मौन व्रत का मतलब सिर्फ मौन रहना नहीं है. मौन व्रत का पालन तीन तरीकों से किया जाता है. एक वाणी पर नियंत्रण रखना, मीठी वाणी बोलना, किसी से स्वार्थवश कड़वी बात ना बोलना. दूसरा कारण है कि बिना दिखावा किए लोगों की सेवा करना. सेवा करते वक़्त सेवा की तारीफ या दिखावा ना करें. तीसरा कारण है मौन व्रत का सच्चे मन से ईश्वर की भक्ति में लीन रहना. इससे संतान और पति की आयु बढ़ती है और जीवन में खुशहाली आती है.
माघ मास स्नान की अमावस्या का बहुत महत्त्व बढ़ गया है. खासकर यह अमावस सोमवार और चन्द्रमा के श्रवण नक्षत्र में पड़ गयी है. स्नान करने का बड़ा लाभ मिलता है. सारे कष्ट मिट जाते हैं, किस्मत चमकती है. इसके अलावा तिलों से बने हुए पदार्थ रेवड़ियां, गजक, लड्डू, आंवला, गर्म कपड़े आदि दान किया जाता है और दक्षिणा भी दी जाती है.
इस दिन शिव जी और विष्णु जी की पूजा एक साथ करनी चाहिए. सोमवार का स्वामी चंद्रमा होता है और चंद्रमा जल का कारक है. इसलिए किसी पवित्र जल से स्नान करने से बहुत लाभ मिलता है. जिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य पति का सुख और पति की दीर्घायु चाहिए और संतान की तरक्की या संतान का विवाह चाहते हैं, उन्हें यह व्रत रखना चाहिए और पवित्र जल से स्नान कर दान करना चाहिए.
मौनी अमावस्या 2019 का शुभ मुहूर्त
मौनी अमावस्या: 4 फरवरी 2019 सोमवार
मौनी अमावस्या शुभ मुहूर्त प्रारंभ: 3 फरवरी रात 11:52 से.
मौनी अमावस्या शुभ मुहूर्त समाप्त: 5 फरवरी 02:33 बजे.
अखाड़ों के शाही स्नान का समय
• महानिर्वाणी/अटल अखाड़ा- सुबह 6:15 से 6:55 तक
• निरंजनी/आनंद अखाड़ा- सुबह 7:05 से 7:45 तक
• जूना/आवाहन/अग्नि अखाड़ा- सुबह 8 बजे से 8:40 तक
• निर्वाणी अखाड़ा- सुबह10:40 से 11:10 तक
• दिगंबर अखाड़ा- सुबह 11:20 से दोपहर 12:10 तक
• निर्मोही अखाड़ा- दोपहर 12:20 से 12:50 तक
• नया उदासीन अखाड़ा- दोपहर 1:15 से 2:10 तक
• बड़ा उदासीन अखाड़ा- दोपहर 2:20 से 3:20 तक
• निर्मला अखाड़ा- दोपहर 3:40 से 4:20 तक
शाही स्नान की शुरुआत 14वीं सदी में हुई थी. इस स्नान के लिए साधु-संत पालकी, हाथी-घोड़े पर बैठकर आते हैं. सारे अखाड़े अपनी-अपनी शक्ति और वैभव का प्रदर्शन करते हैं. शाही स्नान को राजयोग स्नान भी कहा जाता है. साधु-अनुयायी पवित्र नदी में तय वक्त पर स्नान करते हैं. शाही स्नान के बाद ही आम लोगों को स्नान करने की इजाजत होती है.