मध्यप्रदेश में करीब 13 साल पहले यानि 2005 में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने वंदे मातरम गायन की परंपरा की शुरुआत की थी। इस परंपरा के तहत पूरे राज्य के सरकारी कर्मचारी हर महीने के प्रथम कार्य दिवस पर राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् गाते थे। जिसे मध्य प्रदेश के नये मुख्यमंत्री ने समाप्त करने का फैसला लेते हुए इसका आदेश भी सुना दिया था। उनके इस फैसले पर बीजेपी ने घोर आपत्ति जताई थी।
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मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इस मुद्दे पर आंदोलन की धमकी दी थी। साथ ही बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी सवाल किया था कि क्या ये राहुल गांधी का आदेश है। इस मामले को लेकर विरोधाभास देखते हुए अब मुख्यमंत्री कमलनाथ ने यू-टर्न ले लिया है।
कमलनाथ सरकार ने वंदेमातरम् गाने के मामले में यू-टर्न लेते हुए अपना आदेश वापस ले लिया है। अब कमलनाथ सरकार का कहना है कि अब केवल सरकारी कर्मचारी ही नहीं आम जनता भी राष्ट्रीय गान गायेगी। वंदे मातरम् गाने के लिए पहले पुलिस बैंड निकाला जाएगा, फिर उसके सरकारी कर्मचारी और उनके पीछे आम जनता शामिल रहेगी। ये सिलसिला अब पहले की तरह ही हर महीने के पहले कार्यदिवस पर जारी रहेगा।
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बता दें कि वंदे मातरम् को लेकर नए साल पर ही शुरुआत हुई थी। जिसके बाद सियासत में गर्माहट आ गई थी। इससे पहले भी वंदे मातरम् गाने को लेकर सियासत होती रही है। इस विवाद के दरम्यान मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया था कि वो अपने सारे विधायक के साथ सचिवालय में वंदे मातरम् का गान करेंगे। इसके लिए उन्होंने 7 जनवरी 2019 की तारीख का ऐलान किया था। इस मामले में बीजेपी प्रवक्ता ने बताया था कि राष्ट्र गीत गाये जाने की जिम्मेदारी जेनेरल एडमिनिस्ट्रेशन की है जोकि अभी सीएम के पास है।