मुंबई के एक युवा दंपति ने देशभक्ति की मिसाल पेश करते हुए अपनी विदेश यात्रा के लिए जमा किए 1 लाख रुपये LOC पर शहीद हुए जवान मुरली नाइक के परिवार को दान कर दिए। यह हृदयस्पर्शी निर्णय उन्होंने पाकिस्तान के साथ हुई गोलीबारी में शहीद हुए इस वीर के सम्मान में लिया, जिसने पूरे देश को भावुक कर दिया। इंस्टाग्राम पेज ‘वीआरयुवा’ द्वारा साझा की गई इस जानकारी ने सोशल मीडिया पर तूफान ला दिया, जहां हजारों लोगों ने इस अनूठे त्याग को सलाम किया।
माता-पिता के इकलौते सहारे थे मुरली
आंध्र प्रदेश के श्री सत्य साईं जिले के कल्लीथांडा गांव के रहने वाले मुरली नाइक अपने मजदूर माता-पिता की इकलौती संतान थे। मुंबई के कामराज नगर में बीते बचपन के बाद हाल ही में परिवार पुनर्वास के कारण गांव लौटा था। 10 मई 2025 को जब उनका पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, तो सैकड़ों ग्रामीणों ने 21 तोपों की सलामी के साथ इस वीर को अंतिम विदाई दी। उनके पिता ने आंसू बहाते हुए कहा कि”हमारा इकलौता सहारा चला गया, अब हम अनाथ हो गए हैं।”
सरकार की तरफ से क्या मदद मिली?
आंध्र प्रदेश सरकार ने शहीद के परिवार को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता, 5 एकड़ जमीन, 300 वर्ग गज का घर और एक सरकारी नौकरी देने का वादा किया है। उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने अतिरिक्त 25 लाख रुपये देने की घोषणा की। लेकिन मुंबई के इस अज्ञात दंपति का त्याग सबसे अधिक मार्मिक है, जिन्होंने अपनी सालों की बचत शहीद के परिवार को सौंपकर असली देशभक्ति का उदाहरण पेश किया।
समाज के लिए प्रेरणा बना त्याग
इस घटना ने साबित कर दिया कि भारतीय समाज में शहीदों के प्रति सम्मान की भावना कितनी गहरी है। जबकि कई लोग विदेशी सैर-सपाटे में लाखों खर्च करते हैं, इस दंपति ने अपनी व्यक्तिगत खुशी को देश के प्रति कर्तव्य के आगे तुच्छ समझा। उनके इस कदम ने न केवल शहीद परिवार को आर्थिक सहारा दिया, बल्कि पूरे राष्ट्र को यह संदेश दिया कि छोटे-छोटे त्याग से ही सच्ची देशभक्ति व्यक्त होती है।
शहीदों का ऋण चुकाने का समय
यह घटना हम सभी के लिए एक सबक है कि शहीदों के परिवारों के प्रति हमारी जिम्मेदारी केवल सरकारी मदद तक सीमित नहीं होनी चाहिए। जिस तरह सेना के जवान सीमा पर हमारी रक्षा के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देते हैं, उसी तरह नागरिकों को भी उनके परिवारों की देखभाल में आगे आना चाहिए। मुंबई के इस दंपति ने जिस तरह अपनी व्यक्तिगत इच्छाओं का त्याग कर शहीद परिवार को प्राथमिकता दी, वह पूरे समाज के लिए अनुकरणीय उदाहरण है।