गैर-जिम्मेदाराना बयान से भड़क सकता है माहौल, कोर्ट ने अबू आजमी को लगाई फटकार

समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी को मुंबई की एक अदालत ने कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने कहा कि एक वरिष्ठ नेता को अपने शब्दों में संयम बरतना चाहिए क्योंकि उनकी गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी से माहौल खराब हो सकता है और दंगे भड़क सकते हैं। मामला उनके औरंगजेब को लेकर दिए गए बयान से जुड़ा है, जिस पर कोर्ट ने उन्हें चेतावनी दी है।

क्या है पूरा मामला?

अबू आजमी ने अपने बयान में मुगल शासक औरंगजेब की प्रशंसा की थी। इस बयान के बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया। कोर्ट में उनकी अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान, अदालत ने उन्हें आगाह किया कि वह भविष्य में ऐसे बयानों से बचें।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वी.जी. रघुवंशी ने टिप्पणी की कि यह मामला एक साक्षात्कार के दौरान दिए गए बयानों से जुड़ा है। पुलिस को इसमें कोई जब्ती करने या पूछताछ के लिए हिरासत में लेने की जरूरत नहीं है। हालांकि, अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि इस तरह के बयान आगे न दोहराए जाएं।

इंटरव्यू में संयम बरतने की सलाह

कोर्ट ने साफ कहा, “मैं आदेश देने से पहले आवेदक (अबू आजमी) को चेतावनी देना चाहता हूं कि वह साक्षात्कार देते समय संयम बरतें। मौजूदा माहौल को देखते हुए किसी भी गैर-जिम्मेदाराना बयान से दंगे भड़क सकते हैं और कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है।”

न्यायाधीश ने आगे कहा, “मुझे उम्मीद है कि एक वरिष्ठ राजनेता होने के नाते आजमी अपनी जिम्मेदारी समझेंगे और इस तरह के विवादित बयान देने से बचेंगे।”

औरंगजेब पर बयान से विवाद क्यों?

अबू आजमी ने अपने बयान में कहा था कि औरंगजेब के शासनकाल में भारत की सीमाएं अफगानिस्तान और बर्मा तक फैली थीं। उन्होंने दावा किया था कि उस समय भारत की जीडीपी 24% थी और देश को “सोने की चिड़िया” कहा जाता था।

जब उनसे औरंगजेब और मराठा योद्धा छत्रपति संभाजी महाराज के बीच लड़ाई के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इसे “राजनीतिक लड़ाई” बताया। यह बयान छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर बनी फिल्म ‘छावा’ की रिलीज़ के दौरान दिया गया था। महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज और संभाजी महाराज को अत्यधिक सम्मान दिया जाता है, ऐसे में आजमी का बयान विवाद खड़ा कर गया।

अग्रिम जमानत याचिका पर क्या हुआ?

अबू आजमी, जो इस बयान के कारण महाराष्ट्र विधानसभा से 26 मार्च तक निलंबित हो चुके हैं, ने अग्रिम जमानत के लिए अदालत का रुख किया। उन्होंने कहा कि उनका बयान किसी भी व्यक्ति या समुदाय की भावनाएं आहत करने के इरादे से नहीं दिया गया था।

उनके वकील मुबीन सोलकर ने अदालत में तर्क दिया कि एफआईआर में आजमी के खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं बनता है। उन्होंने कहा कि बयान किसी को उकसाने या धार्मिक भावनाएं आहत करने के इरादे से नहीं दिया गया था।

कोर्ट की अहम टिप्पणी

कोर्ट ने कहा कि जांच अभी शुरुआती चरण में है, इसलिए इस पर अभी टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। लेकिन कोर्ट ने यह कहते हुए पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए कि जांच अधिकारी के पास कथित साक्षात्कार की कोई वीडियो रिकॉर्डिंग ही नहीं थी और बिना वीडियो देखे ही उन्होंने एफआईआर दर्ज कर ली।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles