Thursday, May 22, 2025

मुर्शिदाबाद हिंसा में हिंदुओं का चुन-चुनकर किया गया कत्ल…” भाजपा का बड़ा आरोप – पहलगाम जैसी थी घटना

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में 11 अप्रैल 2025 को हुई हिंसा ने राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) की हिंदू विरोधी नीतियों और प्रशासनिक निष्क्रियता को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

इस घटना की जांच के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर गठित विशेष जांच दल (SIT) की हालिया रिपोर्ट ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं, जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा (Murshidabad Violence)सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने तृणमूल कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए इस घटना को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के समान बताया है।

पहले समझिए मुर्शिदाबाद में क्या हुआ था?

मुर्शिदाबाद, पश्चिम बंगाल का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण जिला, लंबे समय से सामुदायिक तनाव और छिटपुट हिंसा का गवाह रहा है। यह क्षेत्र अपनी मिश्रित आबादी के लिए जाना जाता है, जहां हिंदू और मुस्लिम समुदाय एक साथ रहते हैं। हाल के वर्षों में, विशेष रूप से धार्मिक और राजनीतिक मुद्दों पर तनाव बढ़ा है। 11 अप्रैल 2025 को वक्फ संशोधन विधेयक के पारित होने के दौरान मुर्शिदाबाद के समसेरगंज, हिजालतला, शिउलिताला और डिगरी जैसे क्षेत्रों में हिंसा भड़क उठी। इस हिंसा में हिंदू समुदाय को निशाना बनाया गया, जिसमें दुकानों, मॉलों और घरों में आगजनी, लूटपाट और हत्या जैसी घटनाएं शामिल थीं।

इस हिंसा का सबसे दुखद पहलू हरगोबिंद दास और उनके पुत्र चंदन दास की क्रूर हत्या थी, जिसने पूरे क्षेत्र में आक्रोश पैदा किया। स्थानीय लोगों ने पुलिस से मदद की गुहार लगाई, लेकिन आरोप है कि पुलिस मूकदर्शक बनी रही।

SIT की रिपोर्ट में अब हुए खुलासे

कलकत्ता हाई कोर्ट के निर्देश पर गठित SIT में तीन सदस्य शामिल थे, जिनमें एक मानवाधिकार अधिकारी और दो पश्चिम बंगाल की न्यायिक सेवा के अधिकारी थे। SIT ने अपनी जांच के बाद 11 अप्रैल 2025 की हिंसा पर विस्तृत रिपोर्ट सौंपी, जिसमें कई गंभीर तथ्य सामने आए हैं।

हिंदुओं को निशाना बनाया गया: रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि हिंसा के दौरान हिंदू समुदाय को सुनियोजित ढंग से निशाना बनाया गया। हमलों में दुकानों, मॉलों और घरों को चुनिंदा रूप से नष्ट किया गया, और आगजनी व लूटपाट की घटनाएं बड़े पैमाने पर हुईं।

TMC नेता की संलिप्तता: जांच में सामने आया कि हिंसा का नेतृत्व स्थानीय तृणमूल कांग्रेस पार्षद महबूब आलम ने किया। रिपोर्ट के अनुसार, 11 अप्रैल को दोपहर 2:30 बजे के बाद महबूब आलम उपद्रवियों के साथ समसेरगंज, हिजालतला, शिउलिताला और डिगरी जैसे क्षेत्रों में पहुंचे। कई हमलावरों ने अपने चेहरे ढक रखे थे, जिससे उनकी पहचान छिपाने की कोशिश की गई।

पुलिस की निष्क्रियता: SIT ने स्थानीय पुलिस की भूमिका को अत्यंत निराशाजनक बताया। जब पीड़ितों ने मदद की गुहार लगाई, तब पुलिस मौके पर मौजूद नहीं थी और कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह निष्क्रियता हिंसा को और बढ़ाने का कारण बनी।

भाजपा ने ममता पर बोला तीखा हमला

वहीं अब डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने इस रिपोर्ट के आधार पर तृणमूल कांग्रेस पर हिंदू विरोधी होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह घटना “पहलगाम की तरह” सुनियोजित थी, जिसका उद्देश्य हिंदू समुदाय को डराना और उनके खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देना था। डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने SIT की रिपोर्ट का हवाला देते हुए तृणमूल कांग्रेस और तथाकथित धर्मनिरपेक्ष नेताओं पर तीखा हमला बोला।

उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट ने “सेक्युलरिज्म का नकाब” उतार दिया है और TMC की हिंदू विरोधी नीतियों को पूरी तरह उजागर कर दिया है। त्रिवेदी ने मुर्शिदाबाद में हिंदुओं के खिलाफ हुए अत्याचारों, विशेष रूप से हरगोबिंद दास और चंदन दास की हत्या का जिक्र करते हुए कहा कि इन घटनाओं पर तथाकथित धर्मनिरपेक्ष नेताओं ने एक शब्द भी नहीं बोला। इसके विपरीत, इन्हीं लोगों ने “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद पाकिस्तान के प्रति सहानुभूति जताई, जो भारत की आंतरिक सुरक्षा और सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करने की साजिश का हिस्सा है।

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