उत्तराखंड में यूसीसी लागू करने के खिलाफ मुस्लिम धर्मगुरु, बताया संविधान के खिलाफ

देहरादून। उत्तराखंड की पुष्कर धामी सरकार कल यानी मंगलवार को विधानसभा में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का ड्राफ्ट पेश करने वाली है। विधानसभा से पास होने पर यूसीसी को उत्तराखंड में लागू किया जाएगा। इससे पहले मुस्लिम धर्मगुरु यूसीसी के खिलाफ खड़े हो गए हैं।

देहरादून में मुस्लिम सेवा संगठन ने मीडिया से बातचीत में यूसीसी का विरोध किया है। शहर काजी मोहम्मद अहमद कासमी ने कहा कि यूसीसी धर्म विशेष के खिलाफ है। शहर काजी ने कहा कि इसमें मुस्लिमों की तरफ से दी गई आपत्तियों और सुझावों को जगह नहीं मिली है। वहीं, मुफ्ती रईस ने कहा कि ये संविधान के अनुच्छेद 25 के खिलाफ है। जिसमें हर धर्म को मानने वालों को आजादी दी गई है। विरोध की इन आवाजों के बीच आज से उत्तराखंड विधानसभा का सत्र होने जा रहा है।

पिछले दिनों यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने वाली कमेटी की अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जस्टिस रंजना देसाई ने सीएम पुष्कर सिंह धामी को ड्राफ्ट रिपोर्ट सौंपी थी। यूसीसी की इस ड्राफ्ट रिपोर्ट को उत्तराखंड कैबिनेट से मंजूरी भी मिल गई है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि यूसीसी लागू कर बीजेपी सरकार उत्तराखंड के लोगों से किया गया वादा पूरा करने जा रही है।

साल 2022 में उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव हुआ था। उस वक्त बीजेपी ने दोबारा सरकार बनने पर यूसीसी लागू करने का वादा जनता से किया था। चुनाव जीतने के बाद धामी सरकार ने यूसीसी का बिल तैयार करने के लिए कमेटी बनाई थी। अब इसे लागू करने का बिल आ रहा है।

उत्तराखंड के यूसीसी ड्राफ्ट में तमाम प्रावधान किए जाने की खबर है। बताया जा रहा है कि इसके लागू होने पर एक से ज्यादा शादी पर रोक लगेगी। इसके अलावा तलाक और उत्तराधिकार पर सबके लिए एक जैसा कानून होगा। साथ ही यूसीसी के तहत लिव इन में रहने वालों को सरकार को जानकारी देनी होगी।

जानकारी के मुताबिक आदिवासियों को यूसीसी से बाहर रखा गया है। उत्तराखंड से पहले गोवा में यूसीसी लागू है। गोवा में यूसीसी को पुर्तगाली शासन के दौरान लागू किया गया था। संविधान के नीति निर्देशक तत्व में भी कहा गया है कि सरकार यूसीसी को लागू करने की दिशा में कदम उठाए।

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