नई दिल्ली: विविधता के मामले में इसे हरा पाना आसान नहीं है- चाहे वह खाना पकाने का माध्यम हो, ड्रेसिंग हो या एक प्रिजर्वेटिव के रूप में हो या फिर एक बॉडी मसाज के रूप में हो। सबसे महत्वपूर्ण है कि इसने पिछले कुछ समय में वैश्विक पहचान प्राप्त की है। ट्रांसपरेंसी मार्केट रिसर्च की हालिया रपट इसकी उत्तरी अमेरिका, लातिन अमेरिका, पूर्वी यूरोप, पश्चिमी यूरोप, जापान को छोड़ एशिया प्रशांत और मध्य पूर्व व अफ्रीका में स्वीकार्यता बढ़ती जा रही है।
क्षेत्रों के आधार पर, सरसों तेल की एशिया प्रशांत क्षेत्र के भारत, थाइलैंड, चीन में इसकी जबरदस्त मांग है। यहां खाना पकाने में इसका प्रयोग किया जाता है। उत्तरी अमेरिका के बाजारों में भी विभिन्न औद्योगिक अनुप्रयोगों में जरूरी तेल की प्राथमिकता के तौर पर इसकी खपत में बढ़ोतरी होने की संभावना है।
पुरी ऑयल मिल्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक विवेक पुरी ने कहा, “स्वस्थ्य खाना पकाने के माध्यम के रूप में सरसों तेल की स्वीकार्यता में तेजी आना एसएमई दिग्गजों के पारंपरिक रूप से प्रभाव वाल क्षेत्रों में कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आगमन के बारे में भी बताएगा। भारत को मलेशिया और इटली जैसे देशों से सीखने की जरूरत है जो अपने खाद्य तेलों को पूरी दुनिया में बेचने में सफल रहे, जिस वजह से उनकी अर्थव्यवस्था में फायदा मिला है। भारत के सरसों तेल में खाद्य तेलों के आयातों में कमी लाने की क्षमता है और इससे बहुमूल्य विदेश एक्सचेंज को बचा सकते हैं। मलेशिया के लिए जो पॉम ऑयल है, इटली के लिए जो ऑलिव ऑयल है, अमेरिका के लिए जो सोया ऑयल है, सरसों का तेल भी भारत के लिए हो सकता है।”
राहुल गांधी पर गिरिराज का कटाक्ष, बोले-1984 में क्या अपने पिताजी से भी माफी मंगवाते
लीला पैलेस नई दिल्ली में जापानीज फाइल डिनर, मेगु के प्रमुख शेफ शिमोमुरा कजुया ने कहा, “सरसों के तेल का खाना बनाने और चिकित्सा दोनों में उपयोग है। इसमे ओमेगा-3 और ओमेगा-6 वसायुक्त अम्ल (फैट्टी एसिड) होता है और संतृप्त वसा की कम मात्रा होती है। सरसों का तेल न केवल खाने के स्वाद और फ्लेवर में बढ़ोतरी करता है बल्कि त्वचा, ज्वाइंट, मांसपेशियों और दिल के रोगों को भी समाप्त करता है। इसका प्रयोग मेरीनेशन, सलाद, फ्राइ करने के लिए और प्रिजर्वेशन के लिए होता है।”
उन्होंने कहा, “कुछ लोग इससे इसके तीखे स्वाद और गंध की वजह से बचते हैं और इसके साथ अभ्यस्त होने में कुछ वक्त लगता है। जहां तक मैं जानता हूं, इस तेल का प्रयोग लेबनानी और भूमध्यसागरीय पाक प्रणाली में होता है।” मेट्रोपोलिटन होटल एंड स्पा के एफ एंड बी प्रमुख राजेश खन्न ने कहा, “सरसों तेल से खाना पकाने का बहुत फायदा है। इसके काफी मात्रा में ओमेगा-3 और ओमेगा 6 वसायुक्त अम्ल के अलावा मोनोअनसैचुरेटेड (एमयूएफए) और पॉलीसैचुरेटेड (पीयूएफए) वसायुक्त अम्ल होता है। ये वसा अच्छे होते हैं, क्योंकि यह इस्केमिक दिल के रोग के खतरे को लगभग आधा कर देता है।”
इसके तीखे स्वाद की वजह से यह बंगाली डिशेस जैसे माछेर झोल, झालमुरी और मुरी घोंटा में स्वाद बढ़ाने के काम में आता है। खन्ना ने कहा, “खाना पकाने के दौरान हमें इसे अत्यधिक गरम नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे उपयोगी तत्व समाप्त हो जाते हैं और कुछ हानिकारक अवयवों का निर्माण हो जाता है। इसे बाजार का सबसे स्वस्थ्यकर तेल माना जाता है।” बंगाल, बिहार, कश्मीर, उत्तरप्रदेश में रहने वाले सरसों के तेल से वाकीफ होंगे। लेकिन पिछले दशक से कई गैर पारंपरिक सरसों तेल उपभोक्ताओं ने इसका प्रयोग करना शुरू कर दिया है।
इस संबंध में हुए अध्ययन ने तेल की उपयोगिता की पुष्टि की है, जिसे बोस्टन स्थित हवार्ड स्कूल ऑफ मेडिसिन, नई दिल्ली स्थित एम्स और बंगलुरू स्थित संत जोंस अस्पताल ने मिलकर किया है। यह रपट अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिीनिक न्यूट्रिशन में प्रकाशित हुई थी। इस अध्ययन में भारतीयों की आहार की आदतों और उसका हृदय रोगों से सह संबंधों के बारे में पता लगाया गया और पता चला कि सरसों तेल का प्राथमिक खाना पकाने वाले माध्यम के रूप में प्रयोग करने से कोरोनरी हृदय रोग (सीएचडी) की घटनाओं में 71 प्रतिशत तक कमी आती है। मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीसैचुरेटेड परिपेक्ष्य की ओर देखे तो, मैक्स अस्पताल, गुरुग्राम के कार्डियोलोजी के प्रमुख अरविंद दास ने कहा कि घर में पिसे सरसों तेल में वसायुक्त अम्ल होता है जोकि ‘खराब कोलेस्ट्रोल को कम’ करने में सहयोग करता है।
रेडिसन होटल समूह के कॉरपोरेट कार्यकारी शेफ राकेश सेट्ठी ने कहा, “न केवल खाना पकाने में, बल्कि यह प्रिजर्वेटिव के लिए भी अच्छा है। अधिकतर आचार को इसी में रखा जाता जाता है।” चिकित्सकीय मूल्यों की अगर बात करे तो, सरसों के तेल को प्राकृतिक सनस्क्रीन के तौर पर माना जाता है। जब इसे नारियल के तेल में मिलाकर प्रयोग किया जाता है तो यह एक संपूर्ण हेड मसाज के लिए तैयार हो जाता है और यह एंटी-बैक्टिेरियल के रूप में काम करता है। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि आसान उपलब्धता और आसान प्रोसेसिंग की वजह से सरसों का तेल ग्रामीण क्षेत्रों में बारह मास प्रयोग किया जाता है।
जयपुर में ओटीएच एंड रसियन किचन चलानेवाले दुष्यंत सिंह ने आईएएनएस से कहा, “जब पारंपरिक भारतीय खाना पकाने की बात आती है तो सरसों के तेल को कोई नहीं हरा सकता। भारत में खाना बनाने में समय लगता है और सरसों का तेल आदर्श माध्यम है क्योंकि खाना को लंबे समय तक आग में रखा जाता है।” दिल्ली में वसंत कुंज के मैक्स अस्पताल के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. रिपन गुप्ता ने कहा, “प्रति माह 600-700 मिलीलीटर सरसों के तेल का खपत आदर्श है। रोजाना की अगर बात करे तो इसकी खपत प्रति भोजन एक चम्मच (वन टी स्पून ए मिल) करनी चाहिए। यह आपके हृदय के लिए अच्छा है।”