नैनीताल: नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को एक और बड़ा निर्देश देते हुए उत्तराखंड में सभी फसलों को समान रूप से फसल बीमा योजना के दायरे में लाने को कहा है. एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की संयुक्त खंडपीठ ने यह आदेश दिया.
क्या है पूरा मामला ?
जिला सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष हल्द्वानी निवासी राजेंद्र सिंह नेगी ने मामले में जनहित याचिका दायर की थी. याचिका में बताया गया कि केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय फसल बीमा नीति लागू की है, जिसके तहत फसलों का बीमा किया जाता है. उत्तराखंड में योजना को संचालित करने का जिम्मा प्रदेश सरकार पर है, लेकिन राज्य सरकार ने योजना को अधूरे मन से लागू किया. सिर्फ तीन फसलों- आलू, अदरक और टमाटर को ही योजना के अंतर्गत रखा गया, जबकि अन्य फसलों को छोड़ दिया गया. याचिका में यह भी बताया गया कि बीमा का फायदा भी सिर्फ उन किसानों को दिया जा रहा है, जिन्होंने बैंकों से कृषि लोन लिया हुआ है. बाकी किसानों के लिए योजना से जुड़ने का फैसला उनकी स्वेच्छा पर छोड़ दिया गया.
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याचिका में उत्तराखंड में बीमा योजना को अनिवार्य रूप से लागू करने के लिये सरकार को दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई है. इसके तहत प्रदेश में पैदा होने वाली सभी फसलों को इसके दायरे में रखा जाये. संयुक्त खंडपीठ ने मामले में सुनवाई के बाद सरकार को सभी फसलों को बीमा योजना के दायरे में लाने के आदेश दिए हैं.
यह है फसल बीमा योजना
केन्द्र सरकार ने वर्ष 2016 में रबी के मौसम से राष्ट्रीय फसल बीमा योजना लागू की है. यह प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, तूफान, बेमौसमी बारिश, ओलावृष्टि सूखा आदि से फसल बर्बाद होने पर किसान को आर्थिक सुरक्षा देती है. बता दें कि वर्ष 1999 से लागू राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना(नैस) और 2010-11 से लागू संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (एमनैस) को हटाकर यह योजना लागू की गयी है.
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कौन देगा बीमा प्रीमियम
राष्ट्रीय फसल बीमा योजना के तहत खरीफ फसलों के लिये दो प्रतिशत, रबी के लिये 1.5 प्रतिशत और औद्यानिकी फसलों के लिए पांच प्रतिशत प्रीमियम राशि किसानों को खुद वहन करनी होगी. बाकी रकम का आधा-आधा केन्द्र और राज्य सरकारें देंगी.
प्रदेश के 71 विकास खंड वर्षा आधारित
उत्तराखंड में कृषि और बागवानी मौसम पर ही निर्भर है. राज्य के कुल 95 विकासखंडों में से 71 में वर्षा आधारित खेती ही की जाती है. लेकिन, कभी अतिवृष्टि, तो कभी बारिश नहीं होना, हिमपात, ओलावृष्टि आदि के कारण किसानों को बड़ा नुकसान होता है.
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नैनीताल में सिर्फ ढाई हजार किसान जुड़े
बीमा योजना भले ही किसानों को राहत देने के लिये शुरू की गयी थी, लेकिन दो साल बाद भी बेहद कम संख्या में किसान इससे जुड़ सके हैं. सिर्फ नैनीताल जिले की ही बात करें तो यहां 50 हजार के करीब पंजीकृत किसान हैं, लेकिन फसल बीमा योजना से महज ढाई हजार किसान ही जुड़े हुये हैं.