सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड केस में स्पेशल कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. इस केस के आरोपी सचिन अंदुरे और शरद कालस्कर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इसी केस में आरोपी रहे विरेंद्र सिंह तावड़े, संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे को बरी कर दिया गया है. सामाजिक कार्यकर्ता रहे नरेंद्र दाभोलकर को 20 अगस्त 2013 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी.
अगस्त 2013 में नरेंद्र दाभोलर की हत्या के लगभग 10 साल और 8 महीने के बाद पुणे की स्पेशल UAPA कोर्ट ने शुक्रवार को इस मामले में फैसला सुनाया. इस मामले में सनातन संस्था से जुड़े पांच लोगों को आरोपी बनाया गया था. इस केस में ENT सर्जन डॉ. विरेंद्र सिंह तावड़े, संजीव पुनालेकर (वकील) और विक्रम भावे को सबूतों के अबाव में बरी कर दिया गया है. वहीं, सचिन अंदुरे और शरद कलस्कर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है.
Activist Narendra Dabholkar murder case | A Special Court in Pune acquits accused Virendrasinh Tawde, Sanjeev Punalekar and Vikram Bhave. Accused Sachin Andure and Sharad Kalaskar sent to life imprisonment.
Narendra Dabholkar was shot in Pune on August 20, 2013.
— ANI (@ANI) May 10, 2024
नरेंद्र दाभोलकर कौन थे?
महाराष्ट्र के रहने वाले नरेंद्र दाभोलकर एक सामाजिक कार्यकर्ता थे. उन्होंने अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति महाराष्ट्र संस्था थी. नरेंद्र दाभोलकर ने अंधविश्वास के खिलाफ कई अभियान भी छेड़े थे. साल 2013 में उनकी हत्या कर दी गई थी.
2013 में उनकी हत्या के बाद इस केस की जांच साल 2014 में सीबीआई को सौंप दी गई थी. साल 2016 में सीबीआई ने अपनी जांच के बाद चार्जशीट फाइल की थी. 2019 में सीबीआई ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की.
दाभोलकर हत्याकांड की टाइमलाइन
- 20 अगस्त 2013 को नरेंद्र दाभोलकर को गोली मारी गई
- 2014 में इस मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए गए
- 2016 में CBI ने अपनी चार्जशीट फाइल की
- 2019 में सप्लीमेंट्र चार्जशीट फाइल की गई
- 10 मई 2024 को स्पेशल कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया’
अंधविश्वास का विरोध बना हत्या की वजह?
महाराष्ट्र में लंबे समय से अंधविश्वास विरोधी संस्थाएं काम कर रही हैं. ऐसी ही एक संस्था नरेंद्र दाभोलकर की भी थी. महाराष्ट्र में अंधविश्वास विरोधी कानून लागू किए जाने के बाद ऐसी संस्थाओं का दखल और उन संस्थाओं का विरोध बढ़ गया. मौजूदा समय में बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री को अंधविश्वास के मामले में चुनौती देने वाले श्याम मानव की संस्था अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (ABANS) में नरेंद्र दाभोलकर भी शामिल थे. हालांकि, बाद में वह इससे अलग हो गई और अपनी नई संस्था के जरिए अंधविश्वास का विरोध जारी रखा.
इस मामले में कुल 22 गवाहों की पेशी हुई जिनसे खूब सवाल-जवाब किए गए. इन आरोपियों पर अभियोजन पक्ष आरोप लगाए कि नरेंद्र दाभोलकर अंधविश्वास के विरोधी इसीलिइ इन लोगों ने उन्हें गोली मार दी.