नैनीताल: यूं तो नवरात्रि पर मां दुर्गा के हर रुप की पूजा होती है। दुनियाभर के मंदिरों में भगवती की भव्य पूजा अर्चना होती है लेकिन देवभूमि में पहाड़ियों पर प्रकट हुई माता के पूजा की पुरातन परंपरा रही है।
नैनीताल के पाषाण देवी मंदिर में मां भगवती के सभी रूप चट्टान पर प्राकृतिक रूप से उभरे हैं। ऐसी मान्यता है कि मां भगवती के चरण नैनी झील में है।
इस स्थान पर माता के सभी 9 स्वरूपों की आकृति पत्थर पर अवतरित है। श्रद्धालु मानते हैं कि मां उनकी मांगों वो हमेशा पूरी करती हैं। यहां मां को वस्त्र के रूप में सिंदूर चढ़ाने की परम्परा है।
शिला पर देवी के इन स्वरूपों के दर्शन करने लोग देशभर के विभिन्न हिस्सों से लाखों लोग आते हैं। नवरात्रि के दौरान मंदिर में भक्तों की आस्था उन्हें यहां तक खींच लाती है। इस मंदिर के निर्माण का प्रमाण कहीं नहीं मिलता है। माना जाता है हजारों साल से मां भगवती यहीं पर हैं और पड़ाही इलाकों की रक्षा करती हैं।
मान्यता यह भी है कि नैनीझील की उत्पत्ति के समय से ही पाषाण देवी का मन्दिर इस स्थान पर है ।