विदेश से MBBS करने वाले भारतीय छात्रों के लिए सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, अब नीट पास करना होगा जरूरी

विदेश में MBBS करने वाले भारतीय छात्रों के लिए एक जरूरी अपडेट आया है। अब इन छात्रों के लिए NEET UG परीक्षा पास करना अनिवार्य होगा, अगर वे भारत में मेडिकल प्रैक्टिस करना चाहते हैं। यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के उस नियम को बरकरार रखते हुए दिया, जो 2018 से लागू हुआ था। इस नियम का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विदेश में मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने वाले भारतीय छात्र भारत में डॉक्टरी की प्रैक्टिस करने के लिए आवश्यक मानकों को पूरा करें।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने अपने ताजा फैसले में कहा कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) के द्वारा 2018 में लागू किए गए इस नियम में कुछ भी असंवैधानिक नहीं है। जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने इसे पूरी तरह से सही और न्यायोचित करार दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 के तहत यह नियम पूरी तरह से वैध है और इस पर किसी तरह का विवाद नहीं उठाना चाहिए।

अगर बात करें नियमों की, तो अब उन भारतीय छात्रों के लिए नीट यूजी परीक्षा पास करना जरूरी होगा जो विदेश से MBBS की डिग्री प्राप्त करके भारत में चिकित्सा क्षेत्र में प्रैक्टिस करना चाहते हैं। यह फैसला उन छात्रों के लिए एक बड़ा बदलाव है, जो बिना नीट पास किए सिर्फ विदेश में मेडिकल की डिग्री हासिल कर भारत में डॉक्टर बनना चाहते थे।

क्या होंगे नए नियम?

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब जो कैंडिडेट विदेश में मेडिकल पढ़ाई करने का इरादा रखते हैं, उन्हें नीट यूजी परीक्षा पास करना अनिवार्य होगा। इसके अलावा, यदि कोई भारतीय छात्र विदेश से एमबीबीएस या मेडिकल डिग्री प्राप्त करता है, तो उसे भारत में किसी भी तरह का मेडिकल प्रैक्टिस करने के लिए नीट परीक्षा पास करनी होगी।

यह नया नियम ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन रेगुलेशन, 1997 के तहत लागू किया गया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर कोई छात्र बिना नीट के विदेश से मेडिकल डिग्री हासिल करता है, तो वह भारत में इसे मान्यता प्राप्त करने के लिए अयोग्य होगा।

क्या था विरोध?

इस नए नियम को लेकर एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि यह नियम भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 में बिना किसी संशोधन के लागू किया गया है। याचिकाकर्ता का तर्क था कि इसे लागू करने से पहले कानून में बदलाव किया जाना चाहिए था। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया और कहा कि मेडिकल काउंसिल को भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम की धारा 33 के तहत इसे लागू करने का कानूनी अधिकार था।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि विदेश से मेडिकल डिग्री प्राप्त करने वाले हर भारतीय नागरिक को भारतीय चिकित्सा परिषद या राज्य चिकित्सा परिषद में पंजीकरण कराने के लिए स्क्रीनिंग परीक्षा पास करनी होगी, जैसा कि भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम की धारा 13(4A) में बताया गया है।

यह फैसला क्यों है महत्वपूर्ण?

यह फैसला उन छात्रों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है जो विदेशों से मेडिकल की डिग्री लेकर भारत में डॉक्टरी की प्रैक्टिस करने का सपना देखते हैं। अब उन्हें अपनी डिग्री को मान्यता प्राप्त करने के लिए नीट परीक्षा में बैठना होगा। इस नियम का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विदेश में पढ़ाई करने वाले छात्र भारत में मेडिकल मानकों पर खरे उतरते हैं और पूरी तरह से योग्य होते हैं।

क्या प्रभाव पड़ेगा छात्रों पर?

नीट परीक्षा को पास करना छात्रों के लिए अब एक अनिवार्य कदम होगा। हालांकि, यह कुछ छात्रों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि कुछ छात्रों ने पहले ही विदेश में मेडिकल की पढ़ाई शुरू कर दी थी और उन्हें यह नया नियम अप्रत्याशित लगा। लेकिन, इसे ध्यान में रखते हुए, यह कदम भारत में चिकित्सा प्रैक्टिस के उच्च मानकों को बनाए रखने के लिए उठाया गया है।

यह फैसला उन छात्रों के लिए एक नई दिशा प्रस्तुत करता है जो अपने मेडिकल करियर को लेकर गंभीर हैं और जो विदेश में शिक्षा प्राप्त करने के बाद भारत में काम करना चाहते हैं।

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