सर्वोच्च न्यायालय ने आज बताया कि NEET सुपर स्पेशियलिटी डीएम परीक्षा के प्रतिरूप में इस वर्ष कोई फेरबदल नहीं होगा. यह परीक्षा पुराने प्रतिरूप पर ही कराई जाएगी . केंद्र और राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के सामने माना कि इस वर्ष NEET सुपर स्पेशियलिटी परीक्षा पुराने प्रतिरूप के मुताबिक आयोजित की जाएगी. नया पैटर्न अगले वर्ष से लागू होगा.
सर्वोच्च न्यायालय के एतराज के बाद केंद्र सरकार ने पुराने प्रतिरूप पर ही NEET-PG सुपर स्पेशियलिटी परीक्षा 2021 आयोजित करने की बात कही है.
केंद्र ने कोर्ट को बताया कि ये परीक्षा पुराने प्रश्न पैटर्न के मुताबिक होगी. नया पैटर्न अगले सत्र 2022-2023 से लागू होगा. सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र के प्रस्ताव पर संतुष्टि जताई है.
बता दें कि सर्वोच्च न्यायलय ने मंगलवार को राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा सुपर स्पेशियलिटी (NEET-SS) 2021 के प्रतिरूप में किए गए “लास्ट मिनट चेंजेज” पर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी. अदालत ने कहा था कि प्रथम दृष्टया यह दीखता है है कि इसके जरिये केवल खाली पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल सीटों को भरने की मानसिकता है. केंद्र सरकार के परीक्षा दो माह टालने के नए प्रस्ताव को सर्वोच्च न्यायलय ने नामंजूर किया. SC ने केंद्र सरकार को बुधवार को फिर से विचार कर आने को कहा. SC ने दो टूक कहा कि या तो सरकार खुद पुराने प्रतिरूप पर परीक्षा कराए नहीं तो कानून के हाथ लंबे हैं.
लेकिन कोर्ट ने कहा कि अभी प्रतिरूप की वैधता को तय करने की आवश्यकता नहीं है. अभी ये केस कोर्ट में खुला रहेगा. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सरकार इस केस में अब तक निष्पक्ष रही है. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अंतिम घडी में परीक्षा पैटर्न में फेरबदल तार्किक होना चाहिए. सरकार के कदम से संदेश मिल रहा है कि मेडिकल पेशा एक व्यवसाय बन गया है. मेडिकल शिक्षा भी एक व्यवसाय बन गया है. हम भविष्य के लिए योजना नहीं बनाते, यही समस्या है. SC ने कहा किअंतिम क्षण में पैटर्न में बदलाव की आवश्यकता क्या है. सरकार नया पैटर्न ला सकती है ये उसके डोमैन में है, लेकिन ये अगले वर्ष लागू हो.
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आपको उन्हें कुछ समय देने की आवश्यकता है. बदलाव करने की क्या जल्दबाजी है. सरकार को छात्रों के लिए कुछ चिंता करनी चाहिए, इन छात्रों ने इतने लंबे वक्त से तैयारी की है. जिस दिन से वे MBBS में सम्मिलित होते हैं, उनका लक्ष्य सुपर स्पेशियलिटी में जाने का होता है. वे लगातार पढ़ते हैं और प्रतिबद्ध हैं. अब आप कह रहे हैं कि परीक्षा दो माह और टाल दी जाए दो माह और बर्बाद होने दें जबकि ये छात्र इतने लंबे वक्त से तैयारी कर रहे हैं.
जब केंद्र की ओर से मौजूद एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि मात्र 41 छात्रों ने याचिका दायर की है जबकि पांच हजार छात्र परीक्षा देते हैं. इस पर न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना ने कहा कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले लोगों की तादाद कोई मायने नहीं रखती. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इन 41 के पास कोई विकल्प नहीं है. यह उनके जीवन और करियर का सवाल है, उन्हें भी अंततः परीक्षा में भाग लेना होगा. सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र को बुधवार तक का वक्त दिया था.