नए आयकर बिल को गुरुवार को लोकसभा में पेश किया गया। इस बिल को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सदन में रखा। बिल के साथ एक प्रस्ताव भी पेश हुआ, जिसमें इसे लोकसभा की सेलेक्ट कमिटी को भेजने की बात की गई। कमिटी अगले सत्र के पहले दिन अपनी रिपोर्ट लोकसभा में पेश करेगी। जैसे ही यह बिल पेश हुआ, सदन की कार्यवाही को 10 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया। शुक्रवार (7 फरवरी) को केंद्रीय कैबिनेट ने इस नए आयकर विधेयक को मंजूरी दी थी।
विधेयक पेश होते ही तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत राय और कुछ विपक्षी सदस्यों ने इसका विरोध किया। हालांकि, वित्त मंत्री ने इस बिल को पेश करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से इसे सेलेक्ट कमिटी को भेजने का अनुरोध किया।
क्या है नया आयकर बिल और क्यों है यह अहम?
यह नया आयकर बिल 1961 के आयकर अधिनियम की जगह लेगा, जो पिछले छह दशकों में कई संशोधनों के कारण काफी जटिल हो गया था। इस नए विधेयक का मकसद प्रत्यक्ष करों को सरल बनाना, अस्पष्टताओं को दूर करना और टैक्सपेयर्स को बिना किसी मुश्किल के अपने करों का भुगतान करने में मदद करना है।
आयकर प्रणाली में क्या बदलाव होंगे?
नए विधेयक में सबसे बड़ा बदलाव यह है कि “वित्तीय वर्ष” और “मूल्यांकन वर्ष” जैसी अवधारणाओं को समाप्त कर दिया गया है। अब “कर वर्ष” का इस्तेमाल होगा। इसके अलावा, आयकर विधेयक 2025 में 536 धाराएं हैं, जो पुराने कानून की 298 धाराओं से काफी ज्यादा हैं। और जहां पुराने आयकर अधिनियम में 14 अनुसूचियां थीं, वही अब बढ़कर 16 हो जाएंगी।
इस विधेयक में 23 अध्यायों की संख्या वही रखी गई है, लेकिन पृष्ठों की संख्या 622 तक घटा दी गई है, जो पुराने अधिनियम के मुकाबले आधी है। इस बदलाव से टैक्सपेयर्स को कानून को समझने में आसानी होगी और सरकार को टैक्स की प्रक्रिया को बेहतर तरीके से लागू करने में मदद मिलेगी।
नए विधेयक का उद्देश्य
नया विधेयक प्रत्यक्ष करों जैसे व्यक्तिगत आयकर, कॉर्पोरेट कर, प्रतिभूति लेनदेन कर, उपहार और संपत्ति कर को लागू करने की प्रक्रिया को सरल बनाएगा। पुराने कानून में समय-समय पर कई संशोधन किए गए थे, लेकिन इससे जटिलताएं बढ़ गई थीं। अब सरकार का लक्ष्य है कि टैक्सपेयर्स को कोई परेशानी न हो और वे आसानी से अपने करों का भुगतान कर सकें।