Wednesday, February 12, 2025

New Income Tax Bill 2025 में सैलरी का टैक्स कैलकुलेशन होगा ऐसा, कंपनी चाहे देर करे, टैक्स लगेगा पूरा

भारतीय इनकम टैक्स कानून को अब नया रूप दिया जा रहा है। दरअसल, सरकार ने Income Tax Bill-2025 पेश कर दिया है, जिससे टैक्सपेयर्स को कानून को समझने में आसानी होगी। इस नए विधेयक का मकसद कानून की भाषा को आसान बनाना और कई पुराने, गैर-जरूरी प्रावधानों को हटाना है। इसमें खास ध्यान सैलरीड क्लास और उनके टैक्स के कैलकुलेशन पर दिया गया है। चलिए, जानते हैं कि इस नए बिल में आपके लिए क्या बदलाव होने जा रहे हैं।

सरकार ने क्या किया बदलाव?

सरकार ने ‘टैक्स इयर’ का एक नया कॉन्सेप्ट पेश किया है। अब, वित्तीय वर्ष (फाइनेंशियल ईयर) और असेसमेंट ईयर जैसे पुराने शब्दों की जगह ‘टैक्स इयर’ शब्द को इस्तेमाल किया जाएगा। इससे टैक्सपेयर्स के लिए टैक्स भरने का समय और वर्ष तय करना आसान हो जाएगा।

टैक्स इयर और सैलरी पर होने वाले बदलाव

आप सभी को यह तो पता ही है कि जब आप अपनी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं, तो यह पुराने वित्तीय वर्ष यानी असेसमेंट ईयर के लिए होता है। उदाहरण के तौर पर, अगर आप 2024 में टैक्स रिटर्न भर रहे हैं, तो यह 2023-24 के वित्तीय वर्ष के लिए होता है। अब, नए इनकम टैक्स बिल में यह बदलाव होगा और इसे ‘टैक्स इयर’ कहा जाएगा।

फुल एंड फाइनल पेमेंट पर टैक्स का नया नियम

एक और बड़ा बदलाव सैलरी के टैक्स कैलकुलेशन में किया गया है। अक्सर ऐसा होता है कि जब आप अपनी नौकरी बदलते हैं, तो नई कंपनी आपका फुल एंड फाइनल पेमेंट देरी से करती है। इस दौरान कई बार वित्तीय वर्ष भी बदल जाता है। ऐसे में आपको कन्फ्यूजन हो जाता है कि उस सैलरी पर टैक्स कब लगेगा और कैसे होगा।

नए इनकम टैक्स बिल में इसे साफ-साफ बताया गया है। इसके मुताबिक, अगर आपकी सैलरी का कोई हिस्सा किसी टैक्स इयर में मिलना था, लेकिन वह अगले टैक्स इयर में मिला है, तो भी उस पर टैक्स उसी टैक्स इयर में लगेगा जब यह आपकी इनकम थी। इसका मतलब है कि कंपनी अगर पेमेंट करने में देरी भी करती है, तो भी आपको पूरी सैलरी पर टैक्स देना पड़ेगा।

आखिर, इसका मतलब क्या है?

यह बदलाव यह सुनिश्चित करेगा कि अगर आपके पिछले साल के फुल एंड फाइनल पेमेंट का टैक्स इस साल में आया है, तो आपको वह टैक्स के हिसाब से चुकता करना होगा। उदाहरण के तौर पर, अगर आपकी सैलरी का कोई हिस्सा आपके एम्प्लॉयर ने किसी एक टैक्स इयर में देने का वादा किया था और वह भुगतान अगले साल हो गया, तो उस पर टैक्स उसी वर्ष लगेगा जब वह सैलरी निर्धारित हुई थी, ना कि जब कंपनी ने उसे भुगतान किया।

इसी तरह, अगर आपको किसी पिछली सैलरी का एरियर मिल रहा है, जो पिछले किसी टैक्स इयर में कैलकुलेट नहीं किया गया था, तो वह एरियर इस साल के टैक्स इयर में शामिल किया जाएगा और उस पर टैक्स लगेगा।

सैलरीड क्लास के लिए क्या होगा?

अब इस नए बदलाव से सैलरीड क्लास के लिए यह तय हो जाएगा कि अगर सैलरी या उसका एरियर किसी कारणवश अगले वित्तीय वर्ष में मिलता है, तो उसका टैक्स उसी वित्तीय वर्ष में जमा करना पड़ेगा, जिसमें यह वास्तविक रूप से उनकी आय बनी थी। इसका मतलब यह है कि आपको अपनी सैलरी और एरियर पर टैक्स का भुगतान उसी समय करना होगा, जब यह आपकी इनकम के हिसाब से हुआ था।

क्या है इस बदलाव का फायदा?

इस बदलाव से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि सैलरी पर टैक्स की पारदर्शिता बढ़ेगी। कर्मचारी चाहे जितनी देर से पेमेंट प्राप्त करें, टैक्स का हिसाब पहले की तरह ही उसी टैक्स इयर में किया जाएगा, जिससे टैक्सपेयर को किसी तरह का भ्रम नहीं होगा। इसके अलावा, फुल एंड फाइनल पेमेंट में देरी होने के बावजूद टैक्स का कैलकुलेशन सही समय पर किया जाएगा।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles