पोप फ्रांसिस का लंबी बीमारी के बाद 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। वेटिकन ने सोमवार को इस खबर की पुष्टि की। 2013 में पोप बने पोप फ्रांसिस के निधन के साथ अगले पोप के चुनाव की प्रक्रिया शुरु हो जाएगी। तो आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि अगला पोप कैसे चुना जाता है। (Next Pope after Francis)इसका जवाब जानने के लिए हमें यह जानना होगा कि आखिर पोप होते कौन हैं और कॉलेज ऑफ कार्डिनल्स क्या होता है? उनके निधन से कैथोलिकों के लिए सर्वोच्च पद रिक्त हो गया है, जिसे वेटिकन में एक लंबी प्रक्रिया के माध्यम से भरा जाना है।
पोप होते कौन हैं?
दरअसल पोप एक ग्रीक शब्द- पप्पास से निकला है। इसका अर्थ है ‘फादर या पिता’। अगर सीधे शब्दों में कहें तो पोप दुनिया भर में कैथोलिक चर्च के लीडर होते हैं। इसाईयों के धर्मग्रंथ बाइबिल के अनुसार चर्च के प्रमुख के रूप में काम करने वाले पहले पोप सेंट पीटर थे।
कॉलेज ऑफ कार्डिनल्स क्या होता है?
कार्डिनल दुनिया भर से आने वाले बिशप और वेटिकन के अधिकारी होते हैं। इन्हें व्यक्तिगत रूप से पोप द्वारा चुना जाता है। यह अपने खास लाल कपड़ों से पहचाने जाते हैं। इन्हीं कार्डिनल्स के समूह को कॉलेज ऑफ कार्डिनल्स कहा जाता है।
जानिए कैसे चुना जाता है पोप ?
फिर वहीं सवाल की अगले पोप कैसे चुने जाएंगें। यूनाइटेड स्टेट्स कॉन्फ्रेंस ऑफ कैथोलिक बिशप की वेबसाइट के मुताबिक किसी भी वजह से पोप का पद खाली होने के बाद कार्डिनल वेटिकन सिटी में एक के बाद एक बैठक करते हैं। इस बैठक को सामान्य मण्डली (जनरल कॉन्ग्रेगेशन) कहा जाता है। इन बैठकों में वे वैश्विक स्तर पर कैथोलिक चर्च के सामने आने वाली जरूरतों और चुनौतियों पर चर्चा करते हैं। साथ ही वे अगले पोप के चुनाव के लिए भी तैयारी करते हैं, जिसे कॉन्क्लेव कहा जाता है। इस बीच ऐसे फैसले जो केवल पोप ही ले सकते हैं, जैसे बिशप की नियुक्ति या बिशप की धर्मसभा बुलाना, उसके लिए चुनाव के बाद तक का इंतजार किया जाता है। ऐसी बैठक में ही मृत पोप के अंतिम संस्कार और उन्हें दफनाने की व्यवस्था की जाती है।
नये पोप का चुनाव
पोप की मृत्यु के लगभग 15-20 दिन बाद अगले पोप को चुनने के लिए पोप कॉन्क्लेव शुरू होता है। 80 वर्ष से कम आयु के कार्डिनल इस गुप्त प्रक्रिया के लिए वेटिकन में एकत्रित होते हैं। उन्हें सिस्टिन चैपल के अंदर बंद कर दिया जाता है और बाहरी दुनिया से अलग कर दिया जाता है। इस अवधि के दौरान उनका मीडिया या फोन से कोई संपर्क नहीं होता है।
इसके बाद वे कई चरणों में मतदान करते हैं जब तक कि किसी उम्मीदवार को दो-तिहाई बहुमत नहीं मिल जाता…और प्रत्येक मतदान के बाद मतपत्र जला दिए जाते हैं। काला धुआं संकेत देता है कि कोई निर्णय नहीं हुआ है, जबकि सफेद धुआं संकेत देता है कि नया पोप चुना गया है।
नये पोप की घोषणा
नए पोप के चुनाव के बाद उनसे औपचारिक रूप से पूछा जाता है कि क्या वे अपनी भूमिका स्वीकार करते हैं। यदि वे सहमत होते हैं, तो उन्हें एक पोप नाम चुनना होगा, जो अक्सर पिछले संतों से प्रेरित होता है। फिर सीनियर कार्डिनल डेकन सेंट पीटर बेसिलिका की बालकनी से पोप की घोषणा करते हैं। नए पोप सेंट पीटर स्क्वायर में अपने अनुयायियों का अभिवादन करते हैं और पोप के रूप में अपना पहला आशीर्वाद देते हैं।