Wednesday, April 2, 2025

निर्भया केस- जज बोले जब कानून जीने की इजाजत देता है तो फांसी देना पाप

नई दिल्ली- निर्भया मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने इस संबंध में दायर याचिका पर कहा कि जब कानून जीने की इजाजत देता है तो फांसी पर चढ़ाना पाप है.

दिल्ली सरकार ने कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें दोबारा डेथ वारंट जारी करने की मांग की गई थी. ताकि निर्भया के गुनहगारों को जल्दी फांसी पर चढ़ाया जा सके। कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की तरफ से कहा गया कि किसी भी दोषी की कोई भी याचिका कोर्ट में लंबित नहीं है। लिहाजा कोर्ट ने नया डेथ वारंट जारी करने के लिए स्वतंत्र हैं।

सरकारी वकील की इस दलील पर कोर्ट ने पूछा कि क्या एक दोषी की दया याचिका और क्यूरेटिव लगनी बाकी है? यह कैसे माना जाए कि दोषी नई याचिका नहीं लगाएंगे? इस पर सरकारी वकील ने कहा कि कोर्ट या तिहाड़ प्रशासन किसी भी दोषी को याचिका लगाने के लिए बाध्य नहीं कर सकते हैं।

बता दें कि निर्भया के चार दोषियों में से अक्षय, मुकेश और विनय अपने कानूनी अधिकारों का प्रयोग कर चुके हैं। जबकि चौथे दोषी पवन ने अभी तक क्यूरेटिव और दया याचिका के अधिकार का प्रयोग नहीं किया है। बावजूद इसके निर्भया के चारों दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी करने की मांग की गई।

इसके पीछे दिल्ली सरकार की तरफ कहा गया कि राष्ट्रपति पहले ही तीन दोषियों की दया याचिका खारिज कर चुके हैं और फिलहाल चारों में से किसी की कोई अपील किसी अदालत के सामने लंबित नहीं है। हालांकि, कोर्ट इस याचिका से सहमत नहीं दिखा. पटियाला हाउस कोर्ट ने नया डेथ वारंट जारी की मांग खारिज कर दी. सुनवाई के दौरान पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने कहा, ‘जब कानून दोषियों को जीने की इजाजत देता है तो उन्हें फांसी देना पाप है.’

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles