पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर ‘अपराजिता महिला और बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून संशोधन) विधेयक 2024’ पेश किया, जिसे पास भी कर दिया गया। ममता बनर्जी ने इसे ऐतिहासिक बताते हुए राज्य की महिलाओं और बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के प्रति अपनी सरकार की प्रतिबद्धता जताई है। विपक्ष के नेता शुभेंदू अधिकारी ने भी बिल का समर्थन किया और इसे जल्द से जल्द लागू करने की मांग की। ममता बनर्जी ने भाजपा के विधायकों से भी विधेयक पर राज्यपाल के हस्ताक्षर की अपील की।
यह विधेयक आरजी कार मेडिकल कॉलेज में एक महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के बाद के विरोध-प्रदर्शनों के बाद आया है, जिसने पूरे देश में खलबली मचा दी थी। इस संदर्भ में, पश्चिम बंगाल की सरकार ने रेप से संबंधित कानूनी प्रावधानों में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जिनका तुलनात्मक अध्ययन निर्भया केस के बाद देशभर में लागू हुए कानूनों से किया जा सकता है।
नाबालिगों के मामलों में एक जैसी सजा
भारतीय न्याय संहिता के तहत, नाबालिगों के बलात्कार के मामलों में तीन कैटेगरी में सजा का प्रावधान है – 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के मामलों में फांसी या उम्रकैद, 16 साल से कम उम्र की लड़कियों के मामलों में 20 साल की सजा या उम्रकैद, और 18 साल से कम उम्र की लड़कियों के मामलों में उम्रकैद या फांसी। पश्चिम बंगाल के नए कानून में, इन सभी कैटेगरी के मामलों में एक ही तरह की सजा का प्रावधान किया गया है, जो उम्रकैद या फांसी हो सकती है।
बलात्कार के बाद हत्या की स्थिति में सजा
भारतीय न्याय संहिता के अनुसार, रेप के बाद पीड़िता की मौत या कोमा की स्थिति में 20 साल की सजा का प्रावधान है, जिसे उम्रकैद या फांसी में बदला जा सकता है। पश्चिम बंगाल के नए कानून में, ऐसी स्थितियों में दोषियों को फांसी की सजा दी जाएगी, साथ ही उम्रकैद की सजा बिना पैरोल के सुनिश्चित की जाएगी।
मामलों के निपटारे की समयसीमा
भारतीय कानून के तहत रेप मामलों की जांच पूरी करने के लिए 2 महीने का समय दिया जाता है, जिसे 21 दिन तक बढ़ाया जा सकता है। पश्चिम बंगाल के नए कानून में इस समयसीमा को घटाकर 21 दिन कर दिया गया है, जिसे विशेष परिस्थितियों में 15 दिन और बढ़ाया जा सकता है, कुल मिलाकर 36 दिन के भीतर केस निपटाने की बात की गई है।
पीड़िता की पहचान उजागर करने पर कड़ी सजा
भारतीय कानून के तहत पीड़िता की पहचान उजागर करने पर 2 साल की सजा और जुर्माना है, जिसे पश्चिम बंगाल के नए कानून में बढ़ाकर 3 से 5 साल की सजा और जुर्माना किया गया है। साथ ही, जिला स्तर पर ‘अपराजिता टास्क फोर्स’ का गठन किया गया है, जो डीएसपी के नेतृत्व में तय समय में जांच पूरी करेगी।
इस नए विधेयक के माध्यम से पश्चिम बंगाल सरकार ने बलात्कार और उसके परिणामस्वरूप अपराधों के खिलाफ अपनी मजबूत स्थिति और त्वरित न्याय की ओर कदम बढ़ाया है।