निर्जला एकादशी को सभी एकादशी तिथियों में सबसे पुण्य फलदायी माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन विधि-विधान से रखा गया व्रत आपको सभी 24 एकादशियों का शुभ फल प्रदान कर सकता है। साल 2024 में निर्जला एकादशी का व्रत 18 जून को है। इस दिन व्रत रखने वाले भक्तों को जल कब ग्रहण करना चाहिए और पारण का सही समय कब रहेगा, इसके बारे में आज हम आपको अपने इस लेख में विस्तार से जानकारी देंगे।
निर्जला एकादशी के व्रत में जल कब ग्रहण करें?
निर्जला एकादशी के व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता, इसीलिए इस दिन रखा गया व्रत बहुत कठिन माना जाता है। एकादशी का व्रत रखने के बाद अगले दिन ही जल ग्रहण किया जाता है। निर्जला एकादशी 2024 का व्रत रखने वाले लोगों को 19 तारीख की सुबह 5 बजकर 25 मिनट से लेकर 8 बजे के बीच जल ग्रहण कर देना चाहिए। हालांकि जिन लोगों का स्वास्थ्य ठीक नहीं है या जो इतने लंबे समय तक बिना जल के नहीं रह सकते, वो एकादशी की पूजा करने के बाद रात के समय भी थोड़ा जल ग्रहण कर सकते हैं।
निर्जला एकादशी का पारण कब होगा?
एकादशी का पारण द्वादशी तिथि को ही करना शुभ माना जाता है। व्रत का पारण आप जल, मौसमी फल और चावल खाकर कर सकते हैं। मान्यताओं के अनुसार एकादशी तिथि को चावल खाना पाप माना जाता है, लेकिन द्वादशी तिथि को अगर आप व्रत का पारण चावल खाकर करते हैं तो आपको अत्यंत शुभ फलों की प्राप्ति होती है। 2024 में निर्जला एकादशी व्रत का पारण करने के लिए सही समय 5 बजकर 25 मिनट से 7 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।
निर्जला एकादशी व्रत का पारण करने के लिए आपको अगले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान कर लेना चाहिए। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर सबसे पहले भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए। पूजन समाप्त होने के बाद आपको अन्न और जल ग्रहण करना चाहिए। इस दिन पारण के बाद आपको दान-पुण्य भी अवश्य करना चाहिए, अगर आप अपने सामर्थ्य के अनुसार दान करते हैं तो भगवान विष्णु की अनुकंपा आप पर बरसती है।
निर्जला एकादशी व्रत का फल
जो भी लोग विधि-विधान से निर्जला एकादशी व्रत रखते हैं उन्हें भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है। इसके साथ ही भक्तों को सभी एकादशी तिथियों के व्रत का शुभ फल भी प्राप्त होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त इस दिन व्रत रखते हैं उनको भगवान विष्णु की कृपा से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। इस दिन रखा गया व्रत आपको धार्मिक और आध्यातमिक रूप से भी विकसित करता है।