उत्तर प्रदेश में महाकुंभ स्नान को लेकर हर किसी की नजरें टिकी थीं। भारी भीड़, लाखों श्रद्धालुओं की आस्था और संगम की पवित्रता—इन सबके बीच विपक्ष ने सवाल उठाए कि स्नान के बाद कई श्रद्धालु बीमार पड़ रहे हैं। लेकिन अब प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री और उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने इन दावों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि महाकुंभ के दौरान साफ-सफाई का बेहतरीन इंतजाम किया गया था और किसी भी तीर्थयात्री को स्किन डिजीज जैसी कोई समस्या नहीं हुई।
विपक्ष ने जताई थी चिंता, सरकार ने दिया जवाब
महाकुंभ के दौरान गंगा और संगम के पानी की शुद्धता को लेकर विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा था। कुछ विपक्षी नेताओं ने दावा किया था कि संगम में स्नान करने के बाद कई श्रद्धालु बीमार पड़ गए, खासकर स्किन इंफेक्शन जैसी समस्याओं की शिकायतें आई हैं।
लेकिन ब्रजेश पाठक ने इन आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा, “हमने महाकुंभ में स्वच्छता के बेहतरीन इंतजाम किए थे। लाखों श्रद्धालु स्नान के लिए आए, लेकिन स्किन डिजीज का एक भी मामला सामने नहीं आया। यह बताता है कि हमारी तैयारियां कितनी मजबूत थीं।”
महाकुंभ में सफाई और स्वच्छता की मिसाल
ब्रजेश पाठक ने कुंभ मेले की सफाई व्यवस्था की तारीफ करते हुए कहा कि इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के बावजूद किसी भी तीर्थयात्री को कोई संक्रमण नहीं हुआ। उन्होंने गंगा की शुद्धता को लेकर किए गए प्रयासों पर भी जोर दिया। सरकार ने इस बार कुंभ मेले में जल शुद्धता बनाए रखने के लिए विशेष कदम उठाए थे।
उन्होंने कहा, “हमारी पूरी टीम, सफाई कर्मी, प्रशासनिक अधिकारी और स्थानीय प्रशासन ने शानदार काम किया। गंगा की सफाई और कुंभ क्षेत्र की स्वच्छता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई थी।”
सनातन और भारतीय संस्कृति पर हमले का जिक्र
अपने भाषण में ब्रजेश पाठक ने सनातन संस्कृति और भारतीय सभ्यता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति पर हमले कोई नई बात नहीं है। सदियों से हमारे वेद, पुराण, श्रुतियां और स्मृतियों को नष्ट करने की कोशिशें होती रही हैं। उन्होंने तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय के विध्वंस का भी जिक्र किया।
उन्होंने कहा, “मुगलों और अंग्रेजों ने हमारी संस्कृति को खत्म करने की भरपूर कोशिश की, लेकिन हम आज भी अपनी संस्कृति के साथ खड़े हैं। हमारी सनातन परंपरा हमेशा आगे बढ़ती रही है और पूरी दुनिया को मार्गदर्शन देती रही है।”
महाकुंभ बना भारतीय संस्कृति का वैश्विक उत्सव
ब्रजेश पाठक ने कहा कि महाकुंभ सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीयता का परिचायक भी है। उन्होंने एक दिलचस्प घटना का जिक्र करते हुए बताया कि उन्होंने कुंभ में एक 90 साल की बुजुर्ग महिला को देखा, जिसे उसकी बहू अपने कंधे पर उठाकर संगम स्नान के लिए ले जा रही थी।
उन्होंने कहा, “दुनिया के किसी और समाज में ऐसा नहीं होता। यह सिर्फ हमारी संस्कृति में ही देखने को मिलता है। महाकुंभ में देश के हर कोने से ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया से लोग आए। यह भारत और भारतीयता का प्रतीक है।”
महाकुंभ के बाद भी जारी रहेगा गंगा सफाई अभियान
महाकुंभ के सफल आयोजन के बाद सरकार अब आगे भी गंगा की सफाई और जल शुद्धता पर काम करने की योजना बना रही है। ब्रजेश पाठक ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस बात को लेकर बेहद गंभीर हैं कि गंगा की निर्मलता बनी रहे और किसी भी तरह का प्रदूषण इसमें न फैले।
उन्होंने कहा, “महाकुंभ खत्म होने के बाद भी गंगा की सफाई पर काम जारी रहेगा। यह सिर्फ कुंभ के लिए नहीं, बल्कि हमेशा के लिए हमारी प्राथमिकता है।”
महाकुंभ का समापन, अब आगे की तैयारी
प्रयागराज में 13 जनवरी को शुरू हुआ महाकुंभ 26 फरवरी को संपन्न हो गया। इस दौरान करोड़ों श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई। सरकार के लिए यह आयोजन बेहद चुनौतीपूर्ण था, लेकिन प्रशासन की बेहतरीन व्यवस्था और कुशल प्रबंधन के चलते यह सफल रहा।
अब सरकार की कोशिश है कि आने वाले वर्षों में गंगा की सफाई को और मजबूत किया जाए, ताकि भविष्य में भी श्रद्धालु बिना किसी डर के गंगा में स्नान कर सकें।