इन चीजों मे बहुत सारी बयानबाजियां भी होती हैं लेकिन आपको बता दें कि देशभर में विभिन्न डाकघरों के बचत खातों में 9,395 करोड़ रुपये की रकम दावारहित (लावारिस) पड़ी है. और सबसे ज्यादा 2,429 करोड़ रुपये की रकम किसान विकास पत्र में लावारिस पड़े हैं. इसके बाद मंथली इनकम स्कीम में 2,056 करोड़ रुपये लावारिस पड़े हैं. इसी तरह, एनएससी में भी 1,888 करोड़ रुपये का दावा करने वाला कोई नहीं है.
दिल्ली पंजाब और उत्तर प्रदेश के डाकघरों में जमा है पैसा
बता दें कि इन राशियों के बारे में सबसे बड़ी बात यह है कि लावारिस पड़ी लगभग आधी रकम पश्चिम बंगाल, दिल्ली, पंजाब और उत्तर प्रदेश के डाकघरों में जमा हैं. इससे पहले, भारतीय जीवन बीमा निगम के खातों में भारी मात्रा में रकम दावारहित होने की बात सामने आई थी वहीं सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 31 मार्च, 2018 को दावारहित (लावारिस) कुल रकम 15,166.47 करोड़ रुपये थी. ऐसी कंपनियों की सूची में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी जीवन बीमा निगम शीर्ष पर है, जिसके पास कुल 10,509 करोड़ रुपये का कोई दावेदार नहीं है, जबकि निजी कंपनियों के पास ऐसी रकम 4,657.45 करोड़ रुपये है.
आपको बता दें कि जो गरीब लोग होते हैं वो धन जमा तो कर देते हैं पर जब निकालने का टाइम आता है तो सरकारी कर्मचारी सहयोग नही करते. कुछ लोग अगर परलोकवासी हो गये तो उनके उतराधिकारी को या तो पता ही नहीं होता यो फिर वही सरकारी कर्मचारी का असहयोग के कारण वो अपनी राशियों को ले नहीं पाते और ये भी एक बड़ी वजह है जिसकी वजह से डाकघरों में जमा राशियों का कोई उत्तराधिकारी नहीं मिलता.