नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश के बागी विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल विधानसभा स्पीकर के उस फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, जिसमें स्पीकर ने बागी विधायकों को अयोग्य घोषित किया था। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों को वोट देने और विधानसभा की कार्यवाही में शामिल होने की इजाजत भी नहीं दी है। गौरतलब है कि राज्यसभा चुनाव की वोटिंग के दौरान उपजे राजनीतिक घटनाक्रम के बाद हिमाचल प्रदेश विधानसभा के स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने दल-बदल विरोधी कानून के तहत कांग्रेस के छह विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था।
SC refuses to stay HP Assembly Speaker order disqualifying rebel Congress MLAs
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— PTI News Alerts (@PTI_NewsAlerts) March 18, 2024
अयोग्य घोषित किए गए विधायकों ने पार्टी व्हिप के खिलाफ जाकर 27 फरवरी को हुए राज्यसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में मतदान किया। इसका नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस के उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी चुनाव हार गए। जिन विधायकों को अयोग्य घोषित किया गया, उनमें सुधीर शर्मा (धर्मशाला सीट से विधायक), रवि ठाकुर (लाहौल स्पीति), राजिंदर राणा (सुजानपुर), इंदर दत्त लखनपाल (बरसार), चैतन्य शर्मा (गागरेत) और देविंदर कुमार (कुटलेहार) का नाम शामिल है।
इस घटनाक्रम के बाद हिमाचल की राजनीति में आए दिन कुछ न कुछ घटित हो रहा है। अभी बीते दिनों बागी विधायक राजिंदर राणा ने दावा किया था कि कुछ और कांग्रेसी विधायक हमारे संपर्क में हैं और हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार जल्द ही गिरने वाली है। बागी विधायकों की क्रॉस वोटिंग के चलते 40 विधायकों वाली कांग्रेस को 25 सीटों वाली भाजपा के सामने राज्यसभा सीट गंवानी पड़ी थी। विधायी मामलों के मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने बागी विधायकों के खिलाफ याचिका दायर कर उन्हें अयोग्य घोषित करने की मांग की थी क्योंकि उन्होंने पार्टी के व्हिप का उल्लंघन किया।