लोकसभा से निष्कासन के खिलाफ महुआ मोइत्रा की याचिका पर अब सुप्रीम कोर्ट अगले साल 3 जनवरी को सुनवाई करेगा. टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा की याचिका पर जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच सुनवाई की. इससे पहले महुआ मोइत्रा ने इस मामले की जल्द सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया चंद्रचूड़ से मांग की थी.
CJI ने महुआ के वकील से कहा था कि वह जल्द सुनवाई की मांग को लेकर एक ईमेल करें. इसके बाद याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करेंगे. बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई की मांग पर CJI के पास जाने को कहा था.
बता दें कि जस्टिस एसके कौल ने महुआ की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि वो जल्दी सुनवाई के लिए सीजेआई से अनुरोध करें. सीजेआई ही जल्द सुनवाई पर फैसला लेंगे. इस चरण में मैं फैसला नहीं लेना चाहता ( शुक्रवार उनका आखिरी कार्यदिवस है). सिंघवी ने महुआ मोइत्रा की याचिका को कल या परसों सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया था.
गौरतलब है कि महुआ के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने जल्द सुनवाई की मांग की थी. जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि चीफ जस्टिस आपकी मांग पर विचार करेंगे. बेंच ने सीजेआई की बेंच में अपनी मांग रखने को कहा था. रिश्वत लेकर संसद में सवाल पूछने के मामले में शुक्रवार (8 दिसंबर) को महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता खत्म कर दी गई थी.
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पर वोटिंग कराई, जो ध्वनिमत से पास हो गया. लोकसभा से निष्कासन के बाद महुआ ने कहा कि एथिक्स कमेटी ने मुझे झुकाने के लिए बनाई गई अपनी रिपोर्ट में हर नियम तोड़ दिया. ये बीजेपी के अंत की शुरुआत है. महुआ मोइत्रा लोकसभा के फैसले के खिलाफ संविधान के अनुच्छेद-226 के तहत हाईकोर्ट भी जा सकती थीं, लेकिन उन्होंने अनुच्छेद -32 के तहत सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.