किसान आंदोलन के लिए सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट कर जुटा रहा था भीड़, पुलिस ने दर्ज की FIR

नोएडा। गौतमबुद्ध नगर जिले में पुलिस ने शुक्रवार को एक व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। आरोप है कि उसने किसान आंदोलन में भीड़ जुटाने के लिए सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट किया, जबकि जिले में धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू है। यह निषेधाज्ञा पांच या पांच से ज्यादा लोगों के एकत्र होने पर रोक लगाती है, खासकर आंदोलन और जुलूसों के लिए।

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो

नोएडा के सेक्टर-63 पुलिस थाने के प्रभारी निरीक्षक, अवधेश प्रताप सिंह ने बताया कि उप निरीक्षक कृष्ण कुमार यादव को सूचना मिली कि गांव बहलोलपुर के निवासी अतुल कुमार यादव का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में वह लोगों से किसान आंदोलन में भाग लेने की अपील कर रहा था। वीडियो में यादव ने कहा था कि ज्यादा से ज्यादा लोग घरों से निकलकर आंदोलन में शामिल हों और अगर मांगें पूरी नहीं हुईं तो ज्यादा से ज्यादा गिरफ्तारी दें।

उन्होंने यह भी कहा कि वह खुद गिरफ्तारी देने जा रहे हैं। इसके बाद इस वीडियो को देखकर 100 से ज्यादा लोग ग्रेटर नोएडा के परी चौक के पास एकत्र हो गए, जिससे लोक व्यवस्था में गड़बड़ी हुई। पुलिस ने वीडियो के आधार पर मामला दर्ज किया और आरोपी की तलाश शुरू कर दी है।

किसान आंदोलन का बढ़ता दबाव

किसान अपनी विभिन्न मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। शुक्रवार को किसानों ने दिल्ली कूच करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें रास्ते में ही रोक दिया। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि अगर केंद्र सरकार ने जल्द बातचीत शुरू नहीं की, तो वे 8 दिसंबर को फिर से दिल्ली कूच करेंगे। इससे पहले, किसानों ने सोमवार को दिल्ली कूच की कोशिश की थी, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया और वे दलित प्रेरणा स्थल पर धरने पर बैठ गए। मंगलवार को 160 से ज्यादा किसानों को हिरासत में लिया गया, जिसके बाद बुधवार को ग्रेटर नोएडा में जीरो प्वाइंट पर विरोध प्रदर्शन हुआ।

यूपी सरकार का कदम

उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदर्शनकारी किसानों की शिकायतों का समाधान करने के लिए मंगलवार को ही एक पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है। समिति को एक महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया गया है। सरकार की कोशिश है कि इस मुद्दे का हल बातचीत से निकाला जाए और किसानों के विरोध को शांत किया जा सके।

इस घटनाक्रम से यह साफ है कि किसान आंदोलन अब भी जोरों पर है और पुलिस प्रशासन ने सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से आंदोलन को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ सख्ती बरतने की रणनीति अपनाई है।

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