दिल्ली में कोरोना की अब धीमी रफ्तार, लेकिन बढ़ रही ब्लैक फंगस की रफ्तार

नई दिल्ली।  दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मामले भले ही कम हो रहे हो लेकिन ब्लैक फंगस के मरीजों की लगातार बढ़ती संख्या और इसके इलाज में इस्तेमाल होने वाली वैक्सीन की कमी अब सरकार और मरीजों की परेशानी को और बढ़ा रही है. इसकी वजह ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन की देशभर में किल्लत है. इसकी चलते केंद्र सरकार हर राज्य को उस राज्य में मौजूद मरीजों की संख्या को देखते हुए इंजेक्शन उपलब्ध करवा रही है.

दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से कहा है कि वह जल्द से जल्द इस पर कार्रवाई करे और ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों की उपलब्धता बढ़ाने पर जोर दे. कोर्ट के साथ ही दिल्ली सरकार को दिल्ली के अस्पतालों में 1 मरीज़ से रोजाना वसूले जाने वाले अधिकतम पैसे की सीमा पर पुनर्विचार कर नई दर तय करने का निर्देश भी दिया है.

दिल्ली हाईकोर्ट में ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों और इंजेक्शन से जुड़े हुए मामले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील से पूछा कि आप यह बताइए कि दिल्ली को ये दवाइयां/इंजेक्शन किस हिसाब से दिये जा रहे हैं,  और एक मरीज को कितनी जरूरत पड़ती है? केंद्र सरकार के वकील ने कहा की एक मरीज को 1 हफ्ते में 42 इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है जबकि दिल्ली सरकार ने 90 इंजेक्शन की बात कही थी वह गलत जानकारी थी. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि हम इन इंजेक्शन का बफर स्टॉक अपने पास तैयार करना चाहते हैं क्योंकि अगर इसकी जरूरत पड़ती है तो वह पूरे हफ्ते तक चलता है.

कोर्ट ने कहा कि यह ऑक्सीजन की तरह का मामला नहीं है, हमारे देश में जब इसकी उपलब्धता नहीं है तो हमको हालातों को देखकर ही कोई फैसला लेना होगा. केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि हमने देश के हर एक राज्य की जरूरत को देखते हुए उसको यह इंजेक्शन उपलब्ध करा रहे हैं. केंद्र सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि जानकारी के मुताबिक देशभर में 7251 ब्लैक फंगस के पीड़ित मरीज मौजूद है.

बात की जाए दिल्ली की तो 19 मई को 197 मरीज मौजूद थे, यानी पूरे देश के करीब 3 फ़ीसदी मरीज. जबकि पूरे देश में 21,600 वायल दिए जाने थे और दिल्ली की 3 फ़ीसदी की जरूरत को देखते हुए दिल्ली को करीब 600 वायल दिए गए. इसी तरह से आज की तारीख में देश के सभी राज्यों को मिलाकर 15,000 वायल दिए गए हैं, जिसमें से दिल्ली की जरूरत को देखते हुए 3 फ़ीसदी वायल दिल्ली के हिस्से में आए.

कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि इस इंजेक्शन की कमी को दूर करने की आप क्या कर रहे हैं? केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि हम अलग-अलग कंपनियों से इसके प्रोडक्शन को लेकर बात कर रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि अगर आने वाले दिनों में दिल्ली की जरूरत बन जाती है तो उसको कैसे हैंडल किया जाएगा, क्योंकि कहीं ना कहीं इन सारी चीजों पर अभी से विचार करना होगा. कोर्ट ने कहा कि हम बस यह चाहते हैं कि आप इस पर जल्द से जल्द विचार कर कार्रवाई करें क्योंकि हम और लोगों को नहीं खोना चाहते. कोर्ट ने कहा कि इसको लेकर जल्द से जल्द ग्लोबल टेंडर जारी किए जा सकते हैं.

केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि इस बीमारी की दवा को उत्पादन करने वाली पांच कंपनियों से उत्पादन बढ़ाने को कहा गया है और अगले 15 दिनों के अंदर उत्पादन बढ़ाया जा सकेगा. केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि हमने इस बारे में विदेशी कंपनियों से भी बाकी शुरू कर दी है जल्द ही उपलब्धता बढ़ सकती है.

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि अभी तक ब्लैक फंगस की दवा लेने के लिए दो डॉक्टरों के हस्ताक्षर की जरूरत पड़ती थी लेकिन अब उसमें बदलाव कर दिया गया है एक डॉक्टर के हस्ताक्षर से भी दवा मिल सकेगी. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि यह 15 दिन का कोर्स है और इस हिसाब से हमको और अगले 5 हफ्ते के लिए करीब 1 लाख वायल की जरूरत पड़ेगी.

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